बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहा बर्बरतापूर्ण कृत्य आसुरी प्रवृत्ति का परिचायक : शंकराचार्य

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Published By Deepak Mishra
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वाराणसी। काशी में प्रवास कर रहे ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज ने बांग्लादेश के हालात पर सोमवार को कहा कि आज का समय मानवता की कसौटी का समय है। एक ओर जहां हम आध्यात्मिक उत्कर्ष की बातें करते हैं, वहीं दूसरी ओर पड़ोसी देश बांग्लादेश से आ रही बर्बरतापूर्ण सूचनाएं हृदय को विदीर्ण कर रही हैं।

मिथ्या एवं आधारहीन आरोप में एक निर्दोष व्यक्ति दीपू चंद्र दास को जिस प्रकार उन्मादी भीड़ द्वारा जीवित जला दिया गया, वह केवल एक व्यक्ति की हत्या नहीं अपितु संपूर्ण मानवता के माथे पर कलंक है। शंकराचार्य ने कहा कि धर्म कभी भी प्रतिशोध और हिंसा का मार्ग नहीं सिखाता।

हिंसा के वशीभूत होकर किया गया यह कृत्य साक्षात् आसुरी प्रवृत्ति का परिचायक है। जो लोग निहत्थे और निर्दोष को अग्नि के हवाले करते हैं, वे किसी भी धर्म के अनुयायी नहीं हो सकते, वे केवल मानवता के शत्रु हैं। प्रशासन की अक्षमता और वैश्विक समुदायों का मौन जघन्य अपराध में उनकी मूक सहमति जैसा प्रतीत होता है। 

उन्होने कहा " अंतिम क्षण तक अपने धर्म पर अड़े रहने वाले पुण्यात्मा दीप चंद्र के प्रति हमारी गहरी संवेदनाएं हैं। यद्यपि अग्नि में उसके नश्वर शरीर को जला दिया गया है, किंतु "नैनं छिन्दंति शस्त्राणि, नैनं दहति पावकः" के न्याय से उसकी आत्मा सदा अविनाशी है। हम परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वह उस निर्दोष आत्मा को अपने सायुज्य में स्थान दें। साथ ही उस परिवार के प्रति, जिस पर दुखों का यह वज्रपात हुआ है, हम अपनी सहानुभूति प्रकट करते हैं। ईश्वर उन्हें इस पीड़ा को सहन करने का धैर्य एवं साहस प्रदान करें।"

 महाराजश्री ने साथ ही कहा " हम स्पष्ट आह्वान करते हैं कि सभी सभ्य समाज अब और मौन नहीं रह सकता। यह समय केवल प्रार्थना का नहीं बल्कि न्याय के लिए हुंकार भरने का भी है। जब तक पीड़ित परिवार को न्याय और दोषियों को उनके कुकृत्य का कठोरतम दंड नहीं मिल जाता, तब तक धर्मसत्ता का यह स्वर शांत नहीं होगा।" 

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