शीतकालीन सत्र : यूपी विधान परिषद में पुनर्नियोजित चिकित्सकों की आयु सीमा बढ़ाने की मांग
लखनऊ। शीतकालीन सत्र के दौरान सोमवार को उत्तर प्रदेश विधान परिषद में शून्यकाल के दौरान विधान परिषद सदस्य विजय बहादुर पाठक ने नियम-111 के अंतर्गत प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ से जुड़े पुनर्नियोजित चिकित्सकों की आयु सीमा बढ़ाने की मांग को प्रमुखता से उठाया।
उन्होंने सदन में कहा कि पुनर्नियोजित चिकित्सकों की अधिकतम आयु सीमा 65 वर्ष से बढ़ाकर 70 वर्ष किए जाने से प्रदेश में चिकित्सकों की कमी दूर होगी और राज्य चिकित्सा सेवा को और अधिक गतिमान बनाने में सहायता मिलेगी। सदस्य ने कहा कि योगी सरकार राज्य के प्रत्येक नागरिक को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से लगातार नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है।
"वन डिस्ट्रिक्ट, वन मेडिकल कॉलेज" जैसी योजनाओं के साथ-साथ अस्पतालों के उच्चीकरण का कार्य भी तेजी से किया जा रहा है, जिससे चिकित्सकों की आवश्यकता लगातार बढ़ रही है। विजय बहादुर पाठक ने कहा कि सरकार ने चिकित्सकों की सेवा आयु 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दी है, लेकिन पुनर्नियोजित चिकित्सकों की आयु सीमा अब भी 62 से 65 वर्ष के बीच निर्धारित है।
आयोग से नए विशेषज्ञ चिकित्सकों की सीमित उपलब्धता के कारण प्रदेश में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी बनी हुई है। ऐसे में सेवानिवृत्त चिकित्सकों के पुनर्नियोजन की आयु सीमा 70 वर्ष किए जाने से यह समस्या काफी हद तक दूर हो सकती है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि मेडिकल कॉलेजों में पहले ही पुनर्नियोजित चिकित्सकों की तैनाती की आयु सीमा 70 वर्ष कर दी गई है।
जब यह सुविधा मेडिकल कॉलेजों में दी जा सकती है, तो राज्य के अन्य चिकित्सा संस्थानों और सेवाओं में भी इसे लागू किया जाना चाहिए। केंद्र सरकार की सीजीएचएस, राज्य सरकार के बीमा चिकित्सालयों और चिकित्सा शिक्षा विभाग में भी 70 वर्ष तक पुनर्नियोजन के उदाहरण मौजूद हैं।
इसके साथ ही शून्यकाल में विधान परिषद सदस्य ने राज्य सरकार द्वारा जिला स्तर पर गठित निगरानी समितियों की अनियमित बैठकों का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि दिशा की तर्ज पर राज्य योजनाओं की समीक्षा के लिए गठित इन समितियों की कुछ जनपदों में बैठकें हुई हैं, लेकिन अधिकांश जिलों में अब तक नियमित बैठकें नहीं हो पाई हैं।
उन्होंने इन समितियों की बैठकों को नियमित रूप से आयोजित कराने की मांग की। सभापति की व्यवस्था के बाद सदन के नेता ने इस विषय पर सदन को आश्वस्त किया कि निगरानी समितियों की बैठकों को नियमित कराने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
