व्हाट्सएप से जीएसटी चोरी की डील: पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे, लखनऊ में फर्जी फर्मो से हुआ करोड़ों का कारोबार
लखनऊ, अमृत विचार: अन्तरराज्यीय जीएसटी चोरी गिरोह के गिरफ्तार आरोपियों से की गई पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। पुलिस जांच में सामने आया है कि गिरोह का सरगना दिलशाद मलिक मेरठ के हापुड़ रोड स्थित ग्रांड स्क्वेयर प्लाजा और गाजियाबाद के आरडीसी स्थित देविका चैंबर में ‘राणा एसोसिएट’के नाम से अकाउंटेंसी का काम करता था। यहीं से फर्जी फर्मों का पूरा नेटवर्क संचालित किया जा रहा था। जीएसटी चोरी की डील व्हाट्सएप से होती थी। वहीं, लखनऊ में भी कई फर्जी फर्में बनाई गई थी। जिन पर करोड़ों का कारोबार हुआ।
एसटीएफ के अधिकारी के मुताबिक दिलशाद मलिक के साथ सुहैल, वसीम, अंकुर तिवारी, स्वतंत्र तिवारी, रमेश और जावेद काम करते थे। यह सभी मिलकर कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर बोगस फर्मों का पंजीकरण कराते थे। बिना किसी वास्तविक खरीद-बिक्री के फर्जी सेल्स इनवॉयस काटे जाते, फर्जी ई-वे बिल तैयार कर जीएसटी पोर्टल पर अपलोड किए जाते और फर्जी जीएसटी रिटर्न फाइल कर दी जाती थी।
जांच में खुलासा हुआ कि वास्तविक फर्मों के मालिक अपना जीएसटी नंबर, माल या सेवा का प्रकार, मात्रा और कीमत की जानकारी व्हाट्सएप के जरिए दिलशाद मलिक को भेजते थे। इसके बाद दिलशाद अपने सहयोगियों के माध्यम से पहले से बनी बोगस फर्मों के नाम पर फर्जी इनवॉयस और ई-वे बिल तैयार कर जीएसटी पोर्टल पर अपलोड करा देता था। यही विवरण आगे संबंधित वास्तविक फर्म मालिकों को उपलब्ध करा दिया जाता था, जिससे उन्हें फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ मिल जाता था।
बैंक खातों से दिखाया जाता था फर्जी लेन-देन
फर्जी इनवॉयस में दर्शाई गई खरीद को वास्तविक दिखाने के लिए बैंक खातों के माध्यम से रकम का ट्रांसफर दिखाया जाता था। बाद में इस धनराशि की भरपाई नकद या अन्य बोगस फर्मों के जरिए सर्कुलर ट्रेडिंग दिखाकर कर ली जाती थी। जांच में यह भी सामने आया है कि विभिन्न फर्मों के लॉगिन आईडी और पासवर्ड अभियुक्तों के पास रहते थे, जिससे वे ओटीपी प्राप्त कर आसानी से बैंक लेन-देन करते थे।
लखनऊ में भी बनाई गई थीं फर्जी फर्में
एसटीएफ के अनुसार आरोपियों ने लखनऊ में भी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर छह बोगस फर्में—हर्ष ट्रेडर्स, इंदर इंटरप्राइजेज, आरके इंटरप्राइजेज, राहुल इंटरप्राइजेज, मार्शल इम्पैक्स और कुमार ट्रेडर्स—पंजीकृत कराई थीं। इन फर्मों के जरिए सर्कुलर ट्रेडिंग कर स्वयं की और अन्य वास्तविक फर्मों को लाभ पहुंचाया गया और करोड़ों रुपये की जीएसटी चोरी कर सरकारी राजस्व को भारी नुकसान पहुंचाया गया। पुलिस का कहना है कि मामले में आगे और बड़े खुलासे होने की संभावना है और अन्य लाभार्थी फर्मों की भी जांच की जा रही है।
फर्जी फर्मों के जाल फैला 500 करोड़ GST चोरी करने वाले 8 गिरफ्तार
लखनऊ, अमृत विचार: फर्जी इनवॉयस और ई-वे बिल के जरिए जीएसटी चोरी कर सरकार को करीब 500 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान पहुंचाने वाले अंतरराज्यीय संगठित गिरोह का पर्दाफाश करते हुए एसटीएफ ने बड़ी कार्रवाई की है। गिरोह के आठ सदस्यों को शुक्रवार को मेरठ स्थित एसटीएफ मेरठ कार्यालय में पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया।
STF ने अंतरराज्यीय गिरोह के सदस्यों पर की मेरठ में कार्रवाई
एसटीएफ के डिप्टीएसपी प्रमेश कुमार शुक्ला के अनुसार आरोपी विभिन्न राज्यों और उत्तर प्रदेश के कई जनपदों में बोगस फर्मों का पंजीकरण कर फर्जी इनवॉयस और ई-वे बिल तैयार करते थे। इन दस्तावेजों के जरिए वास्तविक फर्मों को इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) बेचा जाता था, जिससे बड़े पैमाने पर जीएसटी चोरी की जा रही थी। डिप्टी एसपी प्रमेश कुमार शुक्ला के मुताबिक गिरफ्तार किए गए आरोपियों में दिलशाद मलिक, रमेश पटेल, अंकुर तिवारी, स्वतंत्र कुमार तिवारी, मोहम्मद वसीम, मोहम्मद सोहेल, जावेद मलिक और इकरामुद्दीन शामिल हैं। सभी आरोपी मेरठ, गाजियाबाद, दिल्ली, देवरिया और अंबेडकरनगर समेत विभिन्न स्थानों के निवासी हैं। एसटीएफ ने आरोपियों के कब्जे से 90 कूटरचित मोहर, 18 मोबाइल फोन, 54 चेकबुक, 54 डेबिट/क्रेडिट कार्ड, 7 पैन कार्ड, 5 आधार कार्ड, 4 वोटर कार्ड, 3 लैपटॉप, फर्जी ट्रांसपोर्ट बिल बुक, 25 फर्मों से जुड़ी बिलिंग फाइलें और चार लग्जरी कारें बरामद की हैं। इसके अलावा 3,370 रुपये नकद भी मिले हैं।
ऐसे चलता था फर्जीवाड़ा
पूछताछ में सामने आया कि गिरोह का सरगना दिलशाद मलिक मेरठ और गाजियाबाद में अकाउंटेंसी ऑफिस के जरिए नेटवर्क चलाता था। आरोपी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बोगस फर्में बनाते, बिना माल की खरीद के फर्जी बिक्री इनवॉयस काटते और ई-वे बिल व जीएसटी रिटर्न अपलोड करते थे। वास्तविक फर्म मालिक अपना जीएसटी नंबर और माल का विवरण व्हाट्सएप के जरिए देते थे, जिसके बदले उन्हें फर्जी आईटीसी उपलब्ध करा दी जाती थी। बैंक खातों के जरिए दिखावटी लेनदेन कर पूरे खेल को वैध दिखाया जाता था।
कई राज्यों में फैला नेटवर्क
फर्जी इनवॉयस और ई-वे बिल के जरिए लगा रहे थे चूना
जांच में खुलासा हुआ है कि गिरोह ने तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, झारखंड, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार, असम सहित कई राज्यों में बोगस फर्में पंजीकृत कर रखी थीं। उत्तर प्रदेश के मेरठ, गाजियाबाद, हापुड़, नोएडा, लखनऊ, कानपुर, वाराणसी और आगरा में भी कई फर्जी फर्में सामने आई हैं। आगरा की ‘शर्मा इंटरप्राइजेज’ नामक फर्म से ही करीब 137 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी की गई। इस मामले में एसटीएफ और जीएसटी विभाग ने संयुक्त कार्रवाई की। इसके बाद आगरा के लोहामंडी थाने में आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। एसटीएफ के मुताबिक जांच में कई और बड़े खुलासे होने की संभावना है।
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