''कलाई बैंड'' से बजा रहे कर्मचारी चिड़ियाघर का ''बैंड''... कर्मचारी इन्हीं को बेचकर रोज दिला रहे दर्जनों लोगों को प्रवेश
प्रवेश के दौरान दर्शकों को टिकट के साथ कलाई बैंड दिए जाते हैं
नीरज अभिषेक, लखनऊ, अमृत विचार: चोरी छिपे दर्शकों का प्रवेश रोकने और राजस्व बढ़ाने के लिए चिड़ियाघर में बनाई गई कलाई बैंड व्यवस्था का वहां के कर्मचारी ही बाजा बजा रहे हैं। वापसी में दर्शकों से कलाई बैंड लेकर कर्मचारी आधे दाम पर दूसरे दर्शकों को देकर धनराशि अपनी जेब में रख कर चिड़ियाघर को राजस्व का क्षति पहुंचा रहे हैं।
नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान स्थापना दिवस पर प्रबंधन ने कलाई बैंड व्यवस्था की शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य बिना टिकट लोगों को प्रवेश से रोककर राजस्व में बढ़ोतरी करना था। 80 रुपये भुगतान पर दर्शक को टिकट के साथ बैंड दिया जाता है। कलाई बैंड दर्शक घड़ी की तरह बांध लेते हैं। लौटने पर दर्शक इन कलाई बैंड को साथ ले जा सकते हैं या फिर बाहर लगे डिब्बे में डालना होता है। किंतु चिड़ियाघर के कर्मचारी दर्शकों से लेकर रख लेते हैं। उस बैंड को कर्मचारी दूसरे दर्शक को 30 से 40 रुपये में बेच कर प्रवेश दे देते हैं। कर्मचारी पांच रुपए का गम ट्यूब अपने साथ रखते हैं। कलाई बैंड को चिपका कर इसका फिर से उपयोग कर लेते हैं।
कलाई बैंड को एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया है। बैंड के गेट पर वापसी में कलेक्ट किए जाने का काम दो दिनों तक किया गया। अब कलेक्शन बंद कर दिया गया है। लोग बैंड पहनकर अपने घर जा सकते हैं। इसे जमा करना आवश्यक नहीं है। यदि इसका कर्मचारी गलत उपयोग कर रहे हैं तो उन पर कार्रवाई के अतिरिक्त इस योजना को बंद भी किया जा सकता है।
-अदिति शर्मा, निदेशक, नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान
