फर्जी आयुष्मान कार्ड गिरोह में कई अस्पतालों के एजेंट, कई अधिकारी व कर्मचारी एसटीएफ के रडार पर

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Published By Muskan Dixit
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कई राज्यों में फैला नेटवर्क, अप्रूवल का अधिकारी लेते थे एक लाख रुपये महीना

लखनऊ, अमृत विचार: फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाने वाले गिरोह में कई अस्पतालों के एजेंट भी शामिल हैं। कई राज्यों तक फैल गिरोह का नेटवर्क का खुलासा कर एसटीएफ ने शुक्रवार को सात सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों से पूछताछ और उनके पास से मिले डिजिटल साक्ष्यों से कई अहम जानकारी सामने आई है। जांच में सामने आया कि इस गिरोह की कई निजी और सूचीबद्ध अस्पतालों में गहरी पैठ है, जहां आयुष्मान कार्ड की जांच और स्वीकृति की प्रक्रिया को प्रभावित किया जा रहा था। विभागीय अधिकारी भी इसमें शामिल हैं। अप्रूवल के लिए एक लाख रुपये महीने का लेने की बात सामने आई है।

एसटीएफ के मुताबिक गिरोह में शामिल जालसाज केवल कार्ड बनाने तक सीमित नहीं थे, बल्कि वे उन व्यक्तियों से भी संपर्क में थे, जो आयुष्मान कार्ड की वैधता जांचने या उसे स्वीकृत करने की जिम्मेदारी निभाते हैं। जांच में सामने आया कि गिरोह से जुड़े ज्यादातर लोग आउटसोर्सिंग के जरिए नियुक्त किए गए थे। जिससे सिस्टम की निगरानी कमजोर हुई और फर्जीवाड़े को बढ़ावा मिला। इसी खामी का फायदा उठाकर गिरोह ने बड़ी संख्या में जाली कार्ड तैयार किए और उनका इस्तेमाल इलाज के नाम पर सरकारी धन के गबन में किया। एसटीएफ अब इस पूरे नेटवर्क के तार जोड़ने में जुटी है। गिरफ्तार आरोपियों से जानकारी मिली तो उन अस्पताल कर्मियों, डाटा एंट्री आपरेटरों और सत्यापन से जुड़े कर्मचारियों की पहचान की जा रही है, जो सीधे या परोक्ष रूप से इस फर्जीवाड़े में शामिल हो सकते हैं।

प्रदेश के कई जिलों तक पहुंची जांच

एसटीएफ अधिकारी के मुताबिक जांच का दायरा लखनऊ तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रदेश के अन्य जिलों में भी इस गिरोह की सक्रियता के संकेत मिले हैं। जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि इस पूरे नेटवर्क का एक मुख्य सरगना दिल्ली में बैठकर संचालन कर रहा है। वह तकनीकी संसाधनों और संपर्कों के जरिए गिरोह को निर्देश देता था। एसटीएफ की टीमें उसके खिलाफ ठोस साक्ष्य जुटाने में लगी हैं और जल्द ही उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। गिरोह के पूरे नेटवर्क को ध्वस्त किया जाएगा।

एक लाख रुपये हर महीने लेते थे अधिकारी

एसटीएफ एएसपी विशाल विक्रम सिंह के मुताबिक अपात्रों के कार्डों का अप्रूवल करने के लिए इंप्लीमेंटेशन सपोर्ट एजेंसी (आईएसए) और स्टेट हेल्थ एजेंसी (एसएचए-पीएमजेवाई) के अधिकारी, जालसाज गिरोह के सरगना से एक लाख रुपये हर महीने लेते थे। गिरोह करीब एक साल से फर्जी दस्तावेजों से अपात्रों के आयुष्मान कार्ड बनाने का काम कर रहा था। गिरोह के सरगना चंद्रभान से पूछताछ में पता चला कि उसने एक साल में पांच हजार से अधिक अपात्रों के आयुष्मान कार्ड बनवाए थे। वह कार्ड का अप्रूवल कराने के लिए आईएसए के एक्जीक्यूटिव सुजीत कनौजिया, सौरभ मौर्या और पूर्व अफसर विश्वजीत को एक लाख रुपये हर महीने देता था। एजेंसी के एक अफसर से गिरोह हर महीने में 10-15 कार्डों का अप्रूवल कराता था। गिरोह एक कार्ड बनवाने का छह से 10 हजार रुपये प्रति अपात्र व्यक्ति का लेता था

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