बरेली: एक तरफ प्रतियोगिता तो दूसरी तरफ पॉलीथिन खा रहीं गाय
बरेली, अमृत विचार। गाय सिर्फ एक जानवर नहीं है, बल्कि यह एक जीता जागता विज्ञान है। गाय के बारे में लोगों को कितनी जानकारी है। इसके लिए राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के द्वारा 25 फरवरी को एक ऑनलाइन प्रतियोगिता का आयोजन कराया जा रहा है। यूजीसी ने भी सभी विश्वविद्यालयों को संबंधित महाविद्यालयों के छात्रों को …
बरेली, अमृत विचार। गाय सिर्फ एक जानवर नहीं है, बल्कि यह एक जीता जागता विज्ञान है। गाय के बारे में लोगों को कितनी जानकारी है। इसके लिए राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के द्वारा 25 फरवरी को एक ऑनलाइन प्रतियोगिता का आयोजन कराया जा रहा है। यूजीसी ने भी सभी विश्वविद्यालयों को संबंधित महाविद्यालयों के छात्रों को ऑनलाइन प्रतियोगिता में शामिल कराने के निर्देश दिए हैं, लेकिन शहर में जो गायों की हालत दिखती है, वह काफी चिंता जनक है। गाय कूड़े में पड़ी खाद्य सामग्री को खाने के चक्कर में पॉलीथिन खाकर बीमार पड़ रही हैं। प्रति वर्ष करीब 150 गायें इसी वजह से अलग-अलग बीमारी से ग्रस्त हो रही हैं।
कामधेनु आयोग की तरफ से जिस प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। उसका नाम कामधेनु गाय विज्ञान प्रचार-प्रसार इग्जीवीशन नाम दिया गया है। इस प्रतियोगिता में प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक व स्नातक व परास्नातक के छात्र हिस्सा ले सकते हैं। प्रतियोगिता में आम नागरिक भी हिस्सा ले सकते हैं। प्रतियोगिता में भाग लेने वाले सभी अभ्यर्थियों को प्रमाणपत्र भी दिया जाएगा। प्रतियोगिता हिंदी अग्रेजी के साथ क्षेत्रीय भाषाओं में भी आयोजित की जा रही है। इस प्रतियोगिता के लिए 5 जनवरी से पंजीकरण हो रहे हैं और 20 फरवरी पंजीकरण की आखिरी तारीख है।
प्रतियोगिता में भाग लेने वालों के लिए राष्ट्रीय कामधेनु आयोग की वेबसाइट पर सभी भाषाओं में जानकारी भी उपलब्ध करायी गई है। जैसे देशी और विदेशी गाय के बीच अंतर, चारा और गौचर भूमि, भारतीय गौवंश, पंचगव्य, कामधेनु गाय व शास्त्रों में श्लोक के बारे में जानकारी दी गई है। वहीं, शहर की बात करें तो शासन ने निर्देश दिए हैं कि कोई भी गोवंश छुट्टा नहीं घूमना चाहिए। नगर निगम एरिया में आश्रय स्थल बनाया गया है। नगर पालिकाओं व ग्राम पंचायतों में भी आश्रय स्थल बनाए गए हैं।
इसके बावजूद शहर से लेकर गांव तक गोवंश खुलेआम घूमते दिख रहे हैं, जबकि इन पर खर्च करने के लिए काफी राशि आती है। शहर में तो गायें कूड़े में जगह-जगह पॉलीथिन खाती देखी जा रही हैं। पशु चिकित्सा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में प्रतिवर्ष कई गाय पॉलीथिन खाने से बीमार होती हैं। पॉलीथिन से गले व फेफड़ों की बीमारियां होती हैं। इसके अलावा प्रति वर्ष इसकी वजह से करीब 20 गायें अपनी जान भी गंवा देती हैं।
