मुरादाबाद: हाय री आफत…चौराहे किए खत्म फिर भी नहीं मिला जाम से छुटकारा
मुरादाबाद, अमृत विचार। पीतलनगरी के नाम से प्रसिद्ध मुरादाबाद जाम के लिए बदनाम हो चुका है। लाकडाउन में भी आए दिन शहर की सड़कों पर सुबह-शाम लगने वाले जाम ने जिंदगी की रफ्तार को ब्रेक लगा दिया है। ऐसा नहीं हैं कि नगरवासियों को जाम से निजात दिलाने के लिए प्रयास नहीं हुए हैं। कई …
मुरादाबाद, अमृत विचार। पीतलनगरी के नाम से प्रसिद्ध मुरादाबाद जाम के लिए बदनाम हो चुका है। लाकडाउन में भी आए दिन शहर की सड़कों पर सुबह-शाम लगने वाले जाम ने जिंदगी की रफ्तार को ब्रेक लगा दिया है। ऐसा नहीं हैं कि नगरवासियों को जाम से निजात दिलाने के लिए प्रयास नहीं हुए हैं।
कई अफसर आए, जिन्होंने जाम से जूझ रही ‘जिंदगी’ को राहत देने के लिए प्लान बनाया। जाम का सवब बन रहे कई चौराहों को खत्म कर दिया गया। आटो व ई-रिक्शा पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही शहर को चार जोन में भी बांटा गया। लेकिन, हालात जस के तस हैं। इसकी वजह है कि अफसरों का तबादला होने के बाद ट्रैफिक व्यवस्था फिर पुराने ढर्रे पर आ जाती है।
करीब पांच साल पहले हुई एसपी ट्रैफिक की तैनाती
कई साल पहले जाम से कराह रहे मुरादाबाद में ट्रैफिक व्यवस्था की पूरी जिम्मेदारी सीओ ट्रैफिक और ट्रैफिक इंस्पेक्टर पर होती थी। सीओ के पास थानों की जिम्मेदारी होने के कारण जाम से निजात दिलाने के लिए ठोस प्लान नहीं बन पा रहे थे। समस्या ने विकराल रूप लिया तो यह मुद्दा शासन तक पहुंचा। करीब पांच साल पहले ट्रैफिक व्यवस्था में व्यापक सुधार लाने के लिए जिले में एसपी ट्रैफिक का पद बनाया गया था।
कई तिराहे व चौराहों को कर दिया गया बंद
किसी दौर में कपूर कंपनी, इंपीरियल तिराहा व सम्भल चौराहा समेत कई ऐसे चौराहे थे जहां पर रोज जाम लगता था। जल्दबाजी के चक्कर में आड़े-तिरछे घुसने वाले वाहन जाम को विकराल रूप दे देते थे। एक सर्वे के बाद मालूम हुआ कि चारों तरफ से आने वाले वाहन जब चौराहे से मुड़ते हैं तो जाम लग जाता है। लिहाजा करीब साढ़े तीन साल पहले इन चौराहों को बैरीकेडिंग लगाकर बंद कर दिया गया। उसके बाद डिवाइडर लगाकर रास्तों को बांट दिया गया ताकि चारों तरफ से आने वाले वाहन चौराहे के आगे से जाकर मुड़ पाएं। अधिकारियों का सोचना था कि जब चौराहे पर वाहनों की भीड़ नहीं होगी तो जाम से निजात मिल जाएगी।
चार जोन में बांटा गया टैंपो संचालन
शहर की सड़कों पर बिना रोक-टोक घूमने वाले ऑटो रिक्शा पर शिकंजा कसने की कवायद हुई थी। योजनाबद्ध तरीके से इनका संचालन कराने के लिए शहर को चार जोन में बांट दिया गया है। हर जोन पर चलने वाले ऑटो रिक्शाओं का रूट तय कर दिया गया है। सख्त आदेश हैं कि अगर परमिट के बजाय दूसरे रूट पर ऑटो दौड़ते मिले तो उनका चालान किया जाएगा। इसके बाद भी मौका मिलते ही चालक नियमों को ताक पर रखकर दूसरे रूट पर इन्हें दौड़ा देते हैं।
गुलाबबाड़ी से बड़े वाहनों का प्रवेश है बंद
एक दौर था जब दिल्ली रूट पर दौड़ने वाले बड़े वाहन भी नगर के अंदर से होकर गुजरते थे। इस कारण जाम विकराल रूप ले लेता था। बाईपास बनने के बाद काफी हद तक यह समस्या कम हो गई। हालांकि इसके बाद भी कभी-कभार बड़े वाहन शहर के अंदर प्रवेश कर जाते थे। लिहाजा गुरहट्टी पर बैरियर लगाकर बड़े वाहनों का प्रवेश नगर के अंदर बंद कर दिया गया।
एसपी ट्रैफिक अशोक कुमार ने बताया कि ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कई प्लान बनाए जा रहे हैं। दूसरे जिलों में पंजीकृत ऑटो रिक्शा को शहर में नहीं चलने दिया जा रहा है। जल्द ही कुछ नए प्वाइंट तैयार कर जाम से छुटकारा दिलाने का प्रयास किया जाएगा।
