मानवता शर्मसार: आधार कार्ड के बिना कब्रिस्तान में दफन नहीं होने दिया शव

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आसिफ अंसारी, बरेली। कोविड काल में इंसानियत खत्म हो गयी है। संक्रमण की भयावह स्थिति में हजारों मौतों से जहां श्मशान स्थलों में दिन रात चिताएं जलीं। वहीं कब्रिस्तानों में भी कब्रें खोदने के दौरान लोगों की हथेलियों में छाले पड़ गये थे। कई मामले ऐसे सामने आए कि श्मशान स्थलों के गेट पर शव …

आसिफ अंसारी, बरेली। कोविड काल में इंसानियत खत्म हो गयी है। संक्रमण की भयावह स्थिति में हजारों मौतों से जहां श्मशान स्थलों में दिन रात चिताएं जलीं। वहीं कब्रिस्तानों में भी कब्रें खोदने के दौरान लोगों की हथेलियों में छाले पड़ गये थे। कई मामले ऐसे सामने आए कि श्मशान स्थलों के गेट पर शव पड़े रहे लेकिन हालात ने लोगों को रातभर सड़क पर रहने को मजबूर कर दिया।

अब कोविड काल तो सामान्य होते जा रहा है लेकिन इंसानियत नहीं लौट रही है। लोग आज भी शव लेकर पहुंचने वालों को उसी नजर से देख रहे हैं। बुधवार को मानवता शर्मसार होने वाला मामला सामने आया। पति के शव को कब्रिस्तान में दफन करने के लिए एक महिला कब्रिस्तान कमेटी के सामने रोई और गिड़गिड़ाई। उसने पैर पकड़कर मिन्नतें कीं और छोटे बच्चों का वास्ता भी दिया। यहां तक कि पति का शव लेकर बच्चों के साथ रात में कहां भटकेगी।

इसलिए पति के शव को कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक होने दो मगर लोग नहीं पसीजे। उल्टा पुलिस को बुलवाकर शव के साथ महिला को कब्र्र्रिस्तान से बाहर निकलवा दिया और बोले-आधार कार्ड के बिना शव दफन नहीं होने की बात कही। रात भर महिला डेरे में बच्चों के साथ शव के पास बैठी रही। सुबह समाजसेवी संस्था की मदद से बरेली में शव को सुपुर्द-ए-खाक किया गया। जिले में शव दफनाने को लेकर मानवता को झकझोंर देने वाला यह मामला भोजीपुरा के गांव अभयपुर केशोपुर का है।

मूलरूप से कानपुर जिले के थाना भोगनीपुर क्षेत्र के गांव अमरोदा निवासी जुबैर पुत्र महमूद बुधवार को दो जून की रोटी के लिए परिवार के साथ यहां पहुंचा था। गांव के बाहर ही उसने अपना डेरा जमा लिया। परिवार में पत्नी शबनम और दो बच्चे हैं। रात में जुबैर का अपनी पत्नी शबनम से शराब के पैसे को लेकर विवाद हो गया। विवाद इतना बढ़ा कि आक्रोश में आकर जुबैर ने पत्नी के दुपट्टे के सहारे एक पेड़ में फंदा लगाकर जान दे दी। सुबह गांव के लोग जब खेतों पर पहुंचे तो उन्हें घटना की जानकारी हुई। सूचना मिलने पर भोजीपुरा पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। बुधवार की शाम पोस्टमार्टम के बाद एंबुलेंस ने शव गांव में पहुंचा दिया था।

शव दफनाने के विरोध में पहुंचे ग्रामीण
शबनम ने बताया कि शव गांव में ले जाने के लिए उसके पास रुपये नहीं थे। इसलिए वह भोगनीपुर गांव के ही कब्रिस्तान में शव सुपुर्द-ए-खाक करने के लिए पहुंची। जैसे ही सूचना गांव वालों को मिली तो सभी कब्रिस्तान के गेट पर जा पहुंचे और शव कब्रिस्तान में दफनाने को लेकर विवाद शुरू कर दिया। इसके बाद ग्रामीणों ने पुलिस को मौके पर बुला लिया।

बच्चे भूख से बिलखते रहे, बेरहम लोग मांगते रहे आधार कार्ड
पुलिस ने भी ग्रामीणों से शव सुपुर्द-ए-खाक करवाने की अपील की तो ग्रामीणों ने आधार कार्ड की शर्त रख दी। शबनम रोते हुए बोली कि पति से विवाद के बाद उसने आधार कार्ड जला दिया। बच्चे भूखे हैं। रो रहे हैं। बावजूद ग्रामीणों ने शव कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक नहीं होने दिया और महिला को शव लेकर कब्रिस्तान से जाने के लिए कह दिया।

मौत के 24 घंटे बाद शव से आने लगी बदबू
गांव के कब्रिस्तान से शव लौटाए जाने के बाद महिला डेरे पर वापस आ गई। रात भर महिला शव लेकर वहीं बैठी रही। बच्चे भूख से रोते रहे लेकिन ग्रामीण मदद को नहीं आए। मौत के 24 घंटे बीतने व गर्मी अधिक पड़ने से शव से बदबू आने लगी। गुरुवार सुबह एंबुलेंस से शव लेकर महिला वापस पोस्टमार्टम हाउस पहुंच गई। दोपहर करीब दो बजे तक महिला पति को सुपुर्द ए खाक करने का इंतजार करती रही।

मदद के लिए पहुंची आवामी खिदमत कमेटी
मामले की सूचना मिलने पर आवामी खिदमत कमेटी के लोग मौके पर पहुंच गए। कमेटी के अध्यक्ष शाकिर यार खां नूरी ने अपनी टीम के साथ युवक के शव को सदर बाजार से आगे के कब्रिस्तान में सुपुर्द ए खाक कराया। इसके बाद महिला और उसके बच्चों को एंबुलेंस की मदद से भोजीपुरा स्थित डेरे पहुंचा दिया गया।

सूचना मिलने पर टीम के साथ मौके पर गया था। उसके बाद महिला के पति को टीम के साथ सदर बाजार के आगे स्थित आगे कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। -शाकिर यार खां नूरी, आवामी खिदमत कमेटी अध्यक्ष

किसी भी मुसलमान का कहीं भी किसी जगह भी इंतकाल हो जाए तो बेहतर यही है कि वह करीब के कब्रिस्तान में दफन कर दिया जाए। शरियत का हुक्म ये है कि जनाजे को दफन करने में जल्दी की जाए। अगर कब्रिस्तान के मुतावल्ली या गांव के लोग मना करते हैं तो यह अफसोसजनक बात है। मना करने से जनाजे को दफन करने में देरी होती है तो वह सभी लोग गुनाहगार होंगे। -मौलाना शाहबुद्दीन रजवी, दरगाह आला हजरत

क्षेत्र के अभयपुर केशोपुर गांव में डेरा डाल कर रहे जुबैर की आत्महत्या के प्रकरण में बुधवार की शाम करीब 5 बजे शव को अंतिम संस्कार करने वाली कमेटी के हवाले कर दिया गया था। जिसको रात होने के कारण बुधवार को अंतिम संस्कार नहीं हो सका। जिसके बाद शव को मोर्चरी में रखवा दिया गया था। गुरुवार को उसका मुस्लिम रिति रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार कर दिया गया है। -अशोक कुमार, इंस्पेक्टर भोजीपुरा

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