जल्दी ही खुलेगा योग विशेषज्ञों के लिए रोजगार का बड़ा अवसर
ज्ञानेंद्र सिंह, नई दिल्ली, अमृत विचार। योग विशेषज्ञों के लिए रोजगार का बहुत बड़ा दरवाजा खुलने जा रहा है। अब अंग्रेजी के डॉक्टर अपने मरीजों को दवाइयों के साथ-साथ योग का भी परामर्श लिखेंगे। स्वास्थ्य मंत्रालय एवं आयुष मंत्रालय एक कार्यक्रम तैयार कर रहा है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के माध्यम से इसे देशभर में लागू …
ज्ञानेंद्र सिंह, नई दिल्ली, अमृत विचार। योग विशेषज्ञों के लिए रोजगार का बहुत बड़ा दरवाजा खुलने जा रहा है। अब अंग्रेजी के डॉक्टर अपने मरीजों को दवाइयों के साथ-साथ योग का भी परामर्श लिखेंगे। स्वास्थ्य मंत्रालय एवं आयुष मंत्रालय एक कार्यक्रम तैयार कर रहा है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के माध्यम से इसे देशभर में लागू किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर दोनों मंत्रालय इस दिशा में युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि इस समय आईएमए के देश भर में पौने चार लाख से ज्यादा सदस्य हैं। इसके अलावा सरकारी डॉक्टर भी हैं। इन डॉक्टरों को अब किसी भी रोग के मरीज को दवा के साथ साथ योग का भी परामर्श देना अनिवार्य होगा। इसके पीछे सरकार की दो मंशा है- एक, मरीज पर अंग्रेजी दवाइयों का बोझ कम पड़ेगा और दूसरा, योग के माध्यम से मरीज की रिकवरी जल्दी होगी। रोग पीड़ित मरीज स्वस्थ होने के बाद नियमित योग करने के आदी भी हो जाएंगे।
वर्तमान में डॉक्टर मरीजों को दवा लिख देते हैं। कुछ जागरूक मरीज ऐसे होते हैं जो अपनी मर्जी से किसी योग विशेषज्ञ की शरण में भी जाते हैं और दवाइयों के साथ-साथ योग भी करते हैं। मगर अब अंग्रेजी डॉक्टरों के लिए यह अनिवार्य किया जा रहा है कि वह स्वयं योग सीखें और उसके प्रत्येक आसनों को समझने के बाद अपने मरीजों को योग का परामर्श लिखें।
कार्यक्रम के तहत अंग्रेजी डॉक्टरों को परामर्श लिखने से पहले स्वयं योग के बारे में प्रशिक्षण लेना होगा ताकि उन्हें योग का महत्व समझ में आ सके और किस रोग में कौन से आसन आदि की जरूरत है इसके लिए वे योग विशेषज्ञों के पास मरीज को भेजेंगे। डॉक्टरों को योग सिखाने का काम सरकारी स्तर पर होगा। अभी यह व्यवस्था सिर्फ एम्स जैसे बड़े मेडिकल कॉलेजों में है जहां पर योग विभाग खोले गए हैं और मरीजों को योग सिखाया जाता है।
मगर अब यह निजी क्षेत्र में भी हो जाएगा। इससे हर शहर में हजारों योग विशेषज्ञ को काम मिलेगा और वे अंग्रेजी डॉक्टरों की क्लीनिक की तरह अपने योग केंद्र खोल सकेंगे और मरीजों को योगाभ्यास कराएंगे। आईएमए हेड क्वार्टर भी राज्यवार डॉक्टरों की सूची तैयार कर रहा है और स्वास्थ्य मंत्रालय एवं आयुष मंत्रालय को सौंपेगा। प्रधानमंत्री के प्रस्ताव को आईएमए सहर्ष स्वीकार कर लिया है और जल्दी ही देशभर में अपने सदस्यों को दिशा निर्देश जारी करेगा।
वर्तमान में योग से बीएससी, एमएससी व पीएचडी करने वाले योग विशेषज्ञों को उचित रोजगार न मिलने से वह विदेशों में पलायन कर रहे हैं मगर उक्त व्यवस्था लागू होने के बाद इसमें कमी आएगी।
