दस्तकारी

मुरादाबाद : इनकी नियति में लिख गया रोना और छला जाना

आशुतोष मिश्र/अमृत विचार। चुनावी भोंपू बजने लगे हैं।… तो इन गलियों में फिर से उम्मीद जगी है। समय-समय पर लोग आ रहे हैं। अपनी बातें सुना रहे हैं। झंडे और चुनाव निशान को हवाला देकर गुहार लगा रहे हैं। करीब हर बार यह भरोसा इन्हें दिया जाता है। दावा यह कि हम दिक्कत कम कर देंगे। …
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