पीलीभीत: आबादी में एक पखवाड़े से तेंदुए की दस्तक बरकरार, ग्रामीण परेशान

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गुलाबटांडा/पीलीभीत, अमृत विचार। एक पखवाड़े से आबादी में दस्तक दे रहे तेंदुए ने एक बार फिर हमला शुरू कर दिया है। तेंदुआ पशुशाला में बंधी बकरी को तेंदुआ खींचकर ले गया और निवाला बनाया। उसका अधखाया शव खेत में छोड़कर वापस नजदीक के गन्ने के खेत में छिप गया। इसकी सूचना मिलने पर पहुंची वन …

गुलाबटांडा/पीलीभीत, अमृत विचार। एक पखवाड़े से आबादी में दस्तक दे रहे तेंदुए ने एक बार फिर हमला शुरू कर दिया है। तेंदुआ पशुशाला में बंधी बकरी को तेंदुआ खींचकर ले गया और निवाला बनाया। उसका अधखाया शव खेत में छोड़कर वापस नजदीक के गन्ने के खेत में छिप गया। इसकी सूचना मिलने पर पहुंची वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर जानकारी जुटाकर, बकरी के शव को दफन कराया। ग्रामीणों को रटे रटाए अलर्ट रहने के निर्देश देकर वनकर्मी लौट गए। उधर, ग्रामीणों ने इस समस्या के स्थायी समाधान की मांग की।

पीलीभीत टाइगर रिजर्व के जंगल से सटे इलाकों में वन्यजीवों की दस्तक को लेकर समस्या सालों से बनी हुई है।मानव वन्यजीव संघर्ष के हालात आए दिन बन जाते हैं। न तो वन्यजीव सुरक्षित हैं, न ही इंसान। अभी दस दिन पहले ही एक बच्ची को तेंदुए ने बराही जंगल से सटे गांव में मार दिया था। उसके बाद से उसकी लगातार आवाजाही है। मगर, वन विभाग की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा सका। रविवार देर रात तेंदुआ एक बार फिर आबादी में पहुंचा।

ग्रामीण मंजीत सिंह ने बताया कि उनके फार्म हाउस के पास पशुशाला बनी है। उसमें बकरी बंधी हुई थी। देर रात तेंदुआ पशुशाला से बकरी को मुंह में दबाकर खींच ले गया। कुछ दूरी पर एक खेत में उसे निवाला बनाया। बकरी के चिल्लाने की आवाज सुनकर ग्रामीण जाग गए।देखा तो तेंदुआ बकरी के शव के पास बैठा था। एकजुट हाेकर ग्रामीणों ने शोर मचाया।उसके बाद तेंदुआ नजदीक के गन्ने के खेत की तरफ चला गया।

इसकी सूचना वन विभाग के अधिकारियों को दी। सोमवार सुबह वन विभाग की टीम गांव पहुंची और मौका मुआयना कर जानकारी जुटाई। पगमार्क भी ट्रेस किए गए। रेंजर वजीर हसन ने बताया कि फारेस्टर संदीप मंडल और वाचर भारत सिंह को मौके पर भेजा गया था। बकरी के शव को दफन करा दिया है।

गांव के लोगों को अलर्ट रहने को कहा गया है। तेंदुए की निगरानी बढ़ा दी गई है। उधर, ग्रामीण काफी परेशान हैं। वन्यजीवों के हमले के डर सताता रहता है। बच्चों को भी अकेले छोड़ने में चिंता रहती है। खेत पर जाना भी चुनौती से कम नहीं रहा है। इस समस्या का अधिकारियों को समाधान करना चाहिए।

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