मुरादाबाद : महंगाई का झटका, मेघनाद और कुंभकर्ण ने छोड़ा रावण का साथ

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मुरादाबाद, अमृत विचार। रामलीला में फूंके जाने वाले रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले भी महंगाई का शिकार हो चले हैं। पिछले चार साल से खर्च बचाने के लिए मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन नहीं किया जाता है। क्योंकि महंगाई के चलते मेघनाद और कुंभकर्ण ने रावण का साथ छोड़ा दिया। इस बार …

मुरादाबाद, अमृत विचार। रामलीला में फूंके जाने वाले रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले भी महंगाई का शिकार हो चले हैं। पिछले चार साल से खर्च बचाने के लिए मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन नहीं किया जाता है। क्योंकि महंगाई के चलते मेघनाद और कुंभकर्ण ने रावण का साथ छोड़ा दिया।

इस बार दर्शकों को रावण दहन के दौरान मात्र 36 फुट का पुतला ही देखने को मिलेगा। जबकि हर साल 50 फुट के रावण का पुतला लोगों के लिए आर्कष्ण केंद्र बना रहता था। हर साल शहर में पांच जगह रावण दहन किया जाता है। रावण का पुतला बनाने वाले कारीगर एक माह पहले से ही तैयारियां शुरू कर देते हैं। अधिकांश कारीगार मेरठ व अन्य शहर से आते हैं। अब इन कारीगारों ने दशहरा नजदीक आते ही रावण के पुतले को आकार देना शुरू कर दिया है। ये लोग सुबह से शाम तक इसे बनाने में जुटे हुए हैं। हर साल रावण का पुतला तीन हिस्सों में बनाया जाता है। पहले पैर, फिर घड़ और सबसे आखिर में मुंह। इसके बाद पूरा रावण बनकर तैयार होता है। लकिन, कुछ समय से मेघनाद, कुंभकर्ण ने रावण का साथ छोड़ दिया है।

नागफनी थाना क्षेत्र के दोलतबाग के निवासी वसीम ने बताया कि हमारे परिवार में पिछले तीन पीढ़ियों से रावण का पुतला बनाने का काम होता चला आ रहा है। अभी भी हम लोग रावण का पुतला बना रहे हैं। बढ़ती महंगाई के कारण रावण के पुतले का कद छोटा कर दिया गया है। अब पुलते को आकार देने में पहले से अधिक मेहनत करनी पड़ रही है। दिन रात मेहनत करने के बाद एक सीजन में 40 से 50 हजार रुपये ही कमा पाते हैं।

पहले की अपेक्षा 20 प्रतिशत अधिक देना पड़ रहा मेहनताना
श्री राम कथा मंचन समिति के मंत्री श्याम कुमार रस्तोगी का कहना है कि पिछले 30 सालों से यहां रावण का दहन किया जाता है। पहले रावण मेघनाद समेत कुंभकर्ण का पुतला दहन किया जाता था। लेकिन, कुछ सालों से केवल रावण का ही पुतला दहन किया जा रहा है। इस बार बढ़ती महंगाई के चलते रावण के पुलते का कद 50 फुट से घटाकर 36 फुट कर दिया है। हर साल रावण के पुतले को आकार देने वाले कारीगरों को 40 से 50 हजार रुपये मेहनताना देने पड़ता था। जबकि इस बार बढ़ती महंगाई के कारण इनको 20 प्रतिशत से अधिक मेहनताना देना पड़ रहा है।

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