बरेली: सीमा पर चौकसी बढ़ा उत्तराखंड के किसानों को उर्वरक बिक्री पर रोक लगाएं

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बरेली, अमृत विचार। अतिवृष्टि की वजह से आई बाढ़ ने धान समेत कई फसलों को नुकसान पहुंचाया है। किसान रबी फसल की बुवाई करने की स्थिति में नहीं हैं लेकिन बुवाई की तैयारी में यदि पिछड़ गया तो किसान के सामने बड़ा संकट गहरा जाएगा। ऐसे में कर्ज लेकर किसानों ने रबी फसल की बुवाई …

बरेली, अमृत विचार। अतिवृष्टि की वजह से आई बाढ़ ने धान समेत कई फसलों को नुकसान पहुंचाया है। किसान रबी फसल की बुवाई करने की स्थिति में नहीं हैं लेकिन बुवाई की तैयारी में यदि पिछड़ गया तो किसान के सामने बड़ा संकट गहरा जाएगा। ऐसे में कर्ज लेकर किसानों ने रबी फसल की बुवाई करने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए डीएपी खाद (उर्वरक) की खरीद बढ़ गयी है ताकि किसानों को और महंगे दामों में उर्वरक खरीदना न पड़े।

इस बीच राज्य सरकार के पास शिकायतें पहुंची हैं कि अंतर्राज्यीय सीमाओं के निकटवर्ती जनपदों में उर्वरक डीएपी की मांग बढ़ी है। इससे माना गया है कि उत्तराखंड क्षेत्र के किसानों को उर्वरक बेची जा रही है। अपर मुख्य सचिव ने बरेली, पीलीभीत, रामपुर, मुरादाबाद और लखीमपुर खीरी समेत 40 जनपदों के जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे पुलिस एवं स्टेट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो की सहायता से अंतर्राज्यीय सीमाओं पर सतर्क निगरानी कराएं।

उर्वरकों के अवैध बिक्री में संलिप्त पाए जाने वाले असामाजिक तत्वों के विरुद्ध कार्रवाई करें। प्रदेश के बाहर उर्वरक यातायात पर रोक लगाने के लिए सीमा की चौकियों पर सतर्कता बढ़ाएं। कृषि, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों का सचल दल गठित कर निरीक्षण कराएं। सीमावर्ती जनपदों से अन्य राज्य के किसानों की उर्वरकों का विक्रय न किया जाए।

किसानों को भी जोत-बही व खतौनी के आधार पर खाद दी जाए। इसके साथ भारत-नेपाल सीमा के पांच किमी क्षेत्र में निजी क्षेत्र में उर्वरकों की बिक्री के लिए उर्वरक निबंधन प्रमाणपत्र जारी न किए जाने के निर्देश का कड़ाई से पालन करने के भी निर्देश दिए। अपर मुख्य सचिव डा. देवेश चतुर्वेदी ने प्रदेश के बाहर किसानों को उर्वरक बिक्री एवं जोत बही/खतौनी के अनुसार निर्धारित मात्रा से अधिक उर्वरक की बिक्री करने वाले उर्वरक विक्रेताओं के विरुद्ध जांच करने के निर्देश दिए।

माह सितंबर और अक्टूबर के टॉप 100 क्रेताओं की समीक्षा कर यह देखने को कहा गया है कि क्या सीमावर्ती राज्यों के किसानों को उर्वरक बिक्री हुई? यह भी देखें कि बिना जोत बही के फुटकर विक्रेताओं से अधिक डीएपी प्राप्त कर अवैध हस्तांतरण तो नहीं किया गया है।

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