World Soil Day 2021: जानें विश्व मृदा दिवस का इतिहास, मिलकर बढ़ाएं मिट्टी की उत्पादकता

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World Soil Day 2021: हर साल 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस (World Soil Day) मनाया जाता है। दुनिया में मिट्टी के बिना कोई खाद्य सुरक्षा नहीं हो सकती है। इसी के चलते मिट्टी प्रबंधन के महत्व और इसे इस तरह रखने के लिए 5 दिसंबर को समर्पित किया जाता है। वहीं, 2013 में संयुक्त …

World Soil Day 2021: हर साल 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस (World Soil Day) मनाया जाता है। दुनिया में मिट्टी के बिना कोई खाद्य सुरक्षा नहीं हो सकती है। इसी के चलते मिट्टी प्रबंधन के महत्व और इसे इस तरह रखने के लिए 5 दिसंबर को समर्पित किया जाता है। वहीं, 2013 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 68वीं सामान्य सभा की बैठक में पारित संकल्प की ओर से विश्व मृदा दिवस मनाने का संकल्प लिया गया था।

बता दें कि दुनियां में मिट्टी के बिना कोई खाद्य सुरक्षा नहीं हो सकती है। मिट्टी प्रबंधन के महत्व और इसे इस तरह रखने के लिए ये दिन यानि विश्व मृदा दिवस समर्पित किया जाता है।

World Soil Day का इतिहास

2002 में अंतरराष्ट्रीय मृदा विज्ञान संघ (international soil science association) ने 5 दिसंबर को हर साल विश्व मृदा दिवस (World Soil Day) मनाने की सिफारिश की थी।

वहीं, एफएओ के सम्मेलन ने सबकी सहमति से जून 2013 में विश्व मृदा दिवस का समर्थन किया था। वहीं, 68 वें संयुक्त राष्ट्र महासभा(United Nations General Assembly) में इसको आधिकारिक रूप से मनाए जाने का अनुरोध किया गया।

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जानकारी अनुसार विश्व मृदा दिवस सबसे पहले 5 दिसंबर 2014 को मनाया गया था। इस दिन को खाद्य व कृषि संगठन की ओर से मनाया जाता है। वहीं, खेत में ज्यादा रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करने से मिट्टी की संरचना खराब होने लगती है। जबकि फसल की अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी का उपजाऊ और स्वस्थ रहना बहुत ही अति आवश्यक है। मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने के लिए निम्न बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए, जिससे फसल की उपज पर कोई असर न पड़े।

खेत में फसल की बुवाई से पहले मिट्टी की जांच जरुरी…

बता दें कि खेत में फसलों की बुवाई करने से पहले मिट्टी की जांच जरुर करनी चाहिए। इसके बाद ही पोषक तत्वों का प्रयोग किया जाता है। इससे फसल के उत्पादन की गुणवत्ता और अधिक बढ़ जाती है।

साथ ही मिट्टी में पोषक तत्वों के भंडार भी बढ़ेंगे। मिट्टी की उर्वरता शक्ति को बनाए रखने के लिए संतुलित पोषण की मुख्य भूमिका होती है। पोषक तत्वों में जैसे, लौह, जिंक, कापर की उचित मात्रा के प्रयोग से फसल को फायदा होता है।

लंबी और जल्दी से बढ़ने वाली फसलों के बाद बौनी फसलों को लगाएं

मिट्टी में उर्वरता शक्ति को बनाए रखने के लिए लंबी और जल्दी से बढ़ने वाली फसलों के बाद बौनी फसलों को लगाया जाता है।

क्योंकि गन्ने के बाद चारा फसलों को उगाने से मिट्टी की उर्वरता घटती है। इसलिए गन्ने के बाद दलहनी फसलों की खेती की जाती है। इससे मिट्टी की उर्वरता शक्ति बढ़ जाती है।

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