काशी में घूमने के लिए ये 6 जगहें हैं सबसे खास, जहां होती है अच्छी खासी भीड़..जानें

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वाराणसी। काशी एक ऐसा शहर है, जहां देश ही नहीं विदेश के लोगों को भी काफी लुभावनी लगती है। यह शहर धार्मिक और सांस्कृतिक व प्राचीन नगरी के लिए भी प्रसिद्ध मानी जाती है। यहां विदेशी शैलानियों का हमेशा से ही जमावड़ा लगा रहता है। बनारस गंगा नदी के किनारे एक बेहद ही खूबसूरत शहर …

वाराणसी। काशी एक ऐसा शहर है, जहां देश ही नहीं विदेश के लोगों को भी काफी लुभावनी लगती है। यह शहर धार्मिक और सांस्कृतिक व प्राचीन नगरी के लिए भी प्रसिद्ध मानी जाती है। यहां विदेशी शैलानियों का हमेशा से ही जमावड़ा लगा रहता है। बनारस गंगा नदी के किनारे एक बेहद ही खूबसूरत शहर है, जो हिन्दुओं के लिए एक बहुत ही खास तीर्थ स्थलों में जाना जाता है। यहां कई लोग मुक्ति और शुद्धिकरण के लिए भी आते हैं। वाराणसी अपने कई विशाल मंदिरों के अलावा घाटों और अन्य कई लोकप्रिय स्थानों से हर साल यहां आने वाले लाखों पर्यटकों को बेहद आकर्षित करता है। ये जगह न केवल भारतियों को बल्कि विदेशी पर्यटकों को भी काफी पसंद आती है। आइये जानते हैं यहां के प्रसिद्ध घुमने वाले स्थानों के बारे में…

काशी विश्वनाथ मंदिर….

वाराणसी में सबसे प्रमुख मंदिर के रूप में काशी विश्वनाथ मंदिर को देखा जाता है। बता दें कि, इस मंदिर की कहानी तीन हजार पांच सौ साल से भी अधिक पुरानी है। काशी विश्वनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जिसके दर्शन करने के लिए हर साल लाखों संख्या में लोग यहां आते हैं और रात से कतारें लगी रहती है बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए।

 

वहीं, कई भक्तों का मानना है कि शिवलिंग की एक झलक आपकी आत्मा को शुद्ध कर देती है और जीवन को ज्ञान के पथ पर ले जाती है।

बनारस का अस्सी घाट….जहां लोग हो जाते हैं मंत्रमुग्ध

काशी के अस्सी घाट को वह स्थान माना जाता है, जहां महान कवि तुलसीदास का निधन हुआ था। इस जगह का दक्षिणी घाट पर्यटकों के बीच सबसे लोकप्रिय है। हर रोज इस जगह को देखने के लिए काफी लोगों की संख्या हर एक घंटे में बढ़ती रहती है। वहीं, त्योहारों में तो ये संख्या और भी ज्यादा बढ़ जाती है। अस्सी घाट अस्सी और गंगा नदियों के संगम पर स्थित है और एक पीपल के पेड़ के नीचे स्थापित बड़े शिव लिंगम के लिए प्रसिद्ध है।

इस घाट का अत्यधिक धार्मिक महत्व है और पुराणों और भी कई चीजों में भी इसका वर्णन किया गया है। अस्सी घाट बनारसियों का दिल है, साथ ही पर्यटक गंगा में सूर्यास्त और सूर्योदय के अद्भुत दृश्य का आनंद लेने के लिए वहां आते हैं। स्थानीय युवाओं के बीच शाम को समय बिताने के लिए घाट एक प्रसिद्ध स्थान रहा है। घाट की सुबह की आरती बेहद ही शानदार होती है, देखने के लिए वैसे आपको सुबह जल्दी उठना पड़ेगा।

वाराणसी में रामनगर किला….जोकि बलुआ पत्थर से बनाया गया है

बता दें कि, तुलसी घाट से गंगा नदी के पार स्थित, यह उस समय बनारस के राजा बलवंत सिंह के आदेश पर 1750 ईस्वी में बलुआ पत्थर से बनाया गया था। 1971 में, सरकार की ओर से एक आधिकारिक राजा का पद समाप्त कर दिया गया था,

लेकिन फिर भी पेलू भीरू सिंह को आमतौर पर वाराणसी के महाराजा के रूप में जाना जाता है। इसमें वेद व्यास मंदिर, राजा का निवास स्थान और क्षेत्रीय इतिहास को समर्पित एक संग्रहालय है।

संकट मोचन हनुमान मंदिर…भगवान हनुमान के एक झलक के लिए लगी रहती है लंबी कतारें

संकट मोचन हनुमान मंदिर अस्सी नदी के किनारे स्थित है। यहां हर एक दिन लोगों की भीड़ भगवान के दर्शन के लिए लगी रहती है। वहीं, अगर इस मंदिर के इतिहास के बारे में जाने तो, यह मंदिर 1900 के दशक में स्वतंत्रता सेनानी पंडित मदन मोहन मालवीय जी की ओर से बनाया गया था। यह भगवान राम और हनुमान को समर्पित है।

वाराणसी हमेशा संकट मोचन मंदिर से जुड़ा हुआ है। बनारस आने वाला हर एक व्यक्ति इस मंदिर में जाता है और हनुमान के दर्शन जरूर करता है। इस मंदिर में चढ़ाए जाने वाले लड्डू स्थानीय लोगों के बीच अनिवार्य रूप से प्रसिद्ध है। संकट मोचन का दौरा करते समय उन बंदरों से सावधान रहें जो मंदिर परिसर में आते हैं और प्रसाद को चुरा लेते हैं।

नया विश्वनाथ मंदिर जो बसा है, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के बीच में…

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के अंदर स्थित इस मंदिर में दर्शन करने लिए रोजाना पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है। बिड़ला परिवार, जो भारत में उद्यमियों का एक बेहद सफल समूह रहा है, ने इसका निर्माण शुरू किया था। मंदिर के बारे में एक बड़ी बात यह है कि यह सिर्फ एक इमारत नहीं है,

बल्कि असल में सात अलग-अलग मंदिर हैं जो मिलकर एक बड़ा धार्मिक परिसर बनाते हैं। वहीं, यहां पर भक्तों के साथ-साथ छात्र एवं छात्राओं का भी काफी जमावड़ा लगा रहता है। वहीं, वनारस के सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक इस खूबसूरत मंदिर में आपको एक बार जरूर जाना चाहिए।

दशाश्वमेध घाट की आरती…वाह…अद्भुत, अविश्वसनीय…..अकल्पनीय

जैसा कि नाम से पता चलता है, ऐसा माना जाता है कि यह वह स्थान है जहां भगवान ब्रह्मा ने दशा अश्वमेध यज्ञ किया था। यह घाट एक धार्मिक स्थल है और यहां कई तरह के अनुष्ठान किए जाते हैं। यह घाट हर शाम आयोजित होने वाली गंगा आरती के लिए सबसे प्रसिद्ध है, और हर दिन सैकड़ों लोग इसे देखने आते हैं।

गंगा आरती देखना एक ऐसा अनुभव है, जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। अगर आप वाराणसी आ रहे हैं तो इस घाट का नजारा देखना बिल्कुल भी न भूलें।

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