नल-दमयंती ताल की एक अनोखी कहानी

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उत्तराखंड राज्य, नैनीताल जिले के भीमताल में स्थित नल दमयंती झील है। इस झील की अनोखी कहानी है। यह भीमताल से लगभग 2 किलोमीटर दूरी पर स्थित है तथा यह झील सुंदर प्रकृति का आनंद लेने के लिए एक आदर्श स्थान है। इस झील का नाम राजा “नल” और रानी “दमयंती “ के नाम पर …

उत्तराखंड राज्य, नैनीताल जिले के भीमताल में स्थित नल दमयंती झील है। इस झील की अनोखी कहानी है। यह भीमताल से लगभग 2 किलोमीटर दूरी पर स्थित है तथा यह झील सुंदर प्रकृति का आनंद लेने के लिए एक आदर्श स्थान है।

इस झील का नाम राजा “नल” और रानी “दमयंती “ के नाम पर पडा था और इसी ताल में उनकी समाधी बना दी गयी थी| इस ताल का आकर “पंचकोणी” है| उस समय इस ताल से पुरे गाँव में सिचाई की जाती थी।

इसमें कभी-कभी कटी हुई मछलियों के अंग दिखाई देते हैं। ऐसा कहा जाता है कि अपने जीवन के कठोर दिनों में नल दमयन्ती इस ताल के समीप निवास करते थे। जिन मछलियों को उन्होंने काटकर कढ़ाई में डाला थाए वे भी उड़ गयी थीं। कहते हैंए उस ताल में वही कटी हुई मछलियाँ दिखाई देती हैं। साततालों के एक झील में शामिल नल दमयंती झील के किनारे स्थित शिव मंदिर की बड़ी मान्यता है।

सावन के महिने में यहां विशेष पूजा -अर्चना की जाती है। दूरदराज और दूसरें शहरों के लोग भोलेनाथ की पूजा अर्चना के लिए यहां आतें है। पूरे सावन माह में यहां भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते है। सावन के सोमवार को तो यहा मेला जैसा लगा रहता है। माना जाता है कि मंदिर में पूजा -अर्चना से यहां के क्षेत्र में शांति व सुख-समृद्धि बनी रहती है।

नल दमयंती ताल की महत्ता का वर्णन स्कंद पुराण में मिलता है। द्वापर युग में राजा नल को उनके भाई पुष्कर ने छल से हराकर उनका राज्य ले लिया था। राजा नल को पत्नी दमयंती के साथ वनवासी जीवन व्यतीत करना पड़ा वनवास की अवधि में उन्होंने अधिकांश समय इसी स्थान में व्यतीत किया था। मंदिर की स्थापना की समय सीमा भी तब की ही मानी जाती है। सावन में मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन होता है। स्थानीय निवासी शिव पुराण के अलावा प्रत्येक दिन पार्थी (शिव की पूजा) पूजा भी करते हैं। इस पूजा में क्षेत्र के श्रद्धालु सपरिवार सम्मलित होते है।

मान्यता है कि भगवान शिव की इस पूजा-अर्चना से सुख-समृद्धि तो प्राप्त होती ही हैं, सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है। नलदमयंती शिव मंदिर के बारे में यहां के पण्डित जी का कहना है कि मंदिर काफी पुराना है। उनके पूर्वजों को भी पता नही था कि मंदिर कब से बना है। यहा कई युगों से पूजा-अर्चना होते आ रही है। मंदिर की ख्याति इतनी फैली हुई है कि क्षेत्र में किसी भी मंगल कार्य को प्रारंभ करने से पूर्व नल दमयंती मंदिर के देवी-देवताओं को अवश्य याद किया जाता है। क्षेत्र के निवासियों में भोले की विशेष कृपा है।

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