बरेली: आरक्षित सीट से जो जीती पार्टी, सत्ता में उसी की रही चमक

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बरेली,अमृत विचार। करीब 48 साल से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित बरेली जिले की फरीदपुर विधानसभा सीट कई मायनों में कुछ खास मानी जाती है। पहला यह है कि अनुसूचित जाति की सीट होने के बावजूद इस पर लंबे समय तक सपा और भाजपा का कब्जा रहा। दलित वोटबैंक वाली मानी जाने वाली बसपा केवल …

बरेली,अमृत विचार। करीब 48 साल से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित बरेली जिले की फरीदपुर विधानसभा सीट कई मायनों में कुछ खास मानी जाती है। पहला यह है कि अनुसूचित जाति की सीट होने के बावजूद इस पर लंबे समय तक सपा और भाजपा का कब्जा रहा। दलित वोटबैंक वाली मानी जाने वाली बसपा केवल एक बार चुनाव जीत सकी।

खास बात यह है कि इस सीट से पिछले तीन चुनावों में जो पार्टी जीती, उसकी चमक लखनऊ तक दिखाई दी। वही पार्टी सत्ता में आई है। इस सीट को लेकर यह इतिहास देखते आ रहे वोटर इस बार भी यह इंतजार कर रहे हैं कि इस सीट को लेकर यह तिलिस्म बरकरार रहेगा।
फरीदपुर विधानसभा सीट के बारे में कहा जाता है कि जिस पार्टी के प्रत्याशी को यहां से सफलता मिल गई, उसी की प्रदेश में सरकार बनती है, वहीं 2007 के विधानसभा चुनाव से जिस पार्टी का विधायक यहां से चुना गया, उसी पार्टी की प्रदेश में सरकार बनी।

बरेली की फरीदपुर विधानसभा सीट पर वैसे तो 2002 में समाजवादी पार्टी के डॉ. सियाराम सागर चुनाव जीतकर विधायक बने थे, लेकिन 2002 के विधानसभा चुनाव के बाद सूबे में बहुजन समाज पार्टी की कुछ दिनों तक सरकार रही थी और उसके बाद मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी ने सरकार बनाई थी।

इसके बाद 2007 के विधानसभा चुनाव में फरीदपुर की विधानसभा सीट से बहुजन समाज पार्टी के विजय पाल सिंह चुनाव जीतकर विधायक बने तो मायावती के नेतृत्व में बसपा की सरकार बनी। इतना ही नहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से प्रो. श्याम बिहारी लाल विधायक बने तो प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी।

अब 2022 के विधानसभा चुनाव में जहां भाजपा के टिकट पर मौजूदा विधायक प्रो. श्याम बिहारी लाल मैदान में हैं तो वहीं सपा ने विजय पाल को अपना प्रत्याशी बनाया है। इधर, कांग्रेस से समाजवादी पार्टी में रहे पूर्व विधायक स्वर्गीय डॉ. सियाराम सागर के बेटे विशाल सागर मैदान में हैं, जबकि बसपा से शालिनी सिंह चुनाव लड़ रही हैं।

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