जंगलों में रहने के डर से वन विभाग में महिलाओं की कमी : ममता

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गौरी त्रिवेदी/ अमृत विचार/ लखनऊ। मेरे लिये यह पद बेहद खास है। मेरा प्रयास रहेगा कि पूरे उत्तर प्रदेश में वृक्षारोपण कर हरियाली लाया जाए। प्रयास यह भी रहेगा कि महिलाओं को भी वन विभाग में प्रेरित कर लाया जाए। मौजूदा समय में जंगलों में रहने के डर से वन विभाग में आने से महिलाएं …

गौरी त्रिवेदी/ अमृत विचार/ लखनऊ। मेरे लिये यह पद बेहद खास है। मेरा प्रयास रहेगा कि पूरे उत्तर प्रदेश में वृक्षारोपण कर हरियाली लाया जाए। प्रयास यह भी रहेगा कि महिलाओं को भी वन विभाग में प्रेरित कर लाया जाए। मौजूदा समय में जंगलों में रहने के डर से वन विभाग में आने से महिलाएं बचना चाहती हैं। जिसके कारण वन विभाग में महिलाओं की कमी है। ऐसा कहना प्रदेश की पहली महिला पीसीसीएफ बनीं ममता संजीव दुबे का। 1986 बैच की आईएफएस ममता संजीव दुबे सितंबर 2017 से केंद्रीय रेल मंत्रालय में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर थीं।

इसके साथ ही वह उद्यम इंडियन रेलवे कंस्ट्रक्शन लिमिटेड में मुख्य सतर्कता अधिकारी के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुकीं हैं। हाल ही में उन्होंने उत्तर प्रदेश की प्रधान वन संरक्षक और वन बल के प्रमुख (पीसीसीएफ और एचओएफएफ) के रूप में पदभार ग्रहण किया है। इस मौके पर दैनिक अमृत विचार ने उनसे विशेष बातचीत और उनकी प्राथमिकताओं के बारे में जाना। पेश हैं इन साक्षात्कार के कुछ अंश….

सवाल – पहली बार महिला के रुप में यूपी पीसीसीएफ बनने के बाद जिम्मेदारी को निर्वहन करना कितनी बड़ी चुनौती?

जवाब – यह पदभार मेरे लिये एक बेहद अहम जिम्मेदारी है। जिसका कारण वनावरण पूरे प्रदेश में विस्तृत रुप से फैला हुआ है। जिसे और वृहद करना मेरी जिम्मेदारी है। मेरे लिये उस व्यवस्था को कार्यक्रम को समन्वय ढंग से चलाना बड़ी जिम्मेदारी है। पूरी जिम्मेदारी के साथ हम और हमारी टीम यूपी में ही नहीं, पूरे प्रदेश में वनावरण लाकर पूरे प्रदेश में हरियाली लाने की कोशिश करेगें।

सवाल – आपको वन विभाग में कितनी कमियां नजर आती है?

जबाव – वन विभाग में मैं इस चीज को कमी तो नहीं कहुंगी क्योंकि वानिकी बहुत तेजी से प्रदेश में बढ़ा है। जब भारत ने वानिकी को एक संस्थान के रुप में शुरु किया था, तब इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट के लिये वानिकी का उपयोग किया था। उस समय उसको सिर्फ रेवेन्यू के नजरिए से देखते थे। लेकिन उसके बाद इसे पूरी तरह से संशोधित किया गया। जिससे आम आदमी को मदद मिल सकें। मौजूदा समय में कोविड के दौरान जब ऑक्सीजन की कमी हुई तो उस समय लोगों को याद आया कि कूदरत के साथ छेड़-छाड़ नहीं करना चाहिए। हमारी टीम को इस रास्ते पर चलाना है कि वन विभाग में जो सम्पदा हमारे पास मौजूद है। उसको कंर्शव करें। जो हमारी जरुरतें हैं हम उन्हें पूरा करने के लिये जंगलो के बाहर वृक्षारोपण को बढ़ावा दें।

सवाल – अन्य विभागों की तुलना में वन विभाग में महिलाओं की कमी का क्या कारण?

जबाव – ज्यादा से ज्यादा संख्या में महिलाओं को इस प्रोफेशन में आना चाहिये, क्यों कि जब जंगलो में जानवरों के साथ, प्रकृति के साथ समय व्यतीत करते हैं तो किसी भी प्रकार के फैसले को प्रकृति से जोड़कर लेते हैं। ये महिलाओं की गलतफहमी है कि महिलाओं को जंगलो में रहना पडे़गा। जिससे परिवारिक जीवन पर खासा प्रभाव देखने को मिलेगा, लेकिन यदि परिवार का साथ है तो आपको दिक्कतों का सामना नहीं करना पडेंगा। मैं इस मामले में बहुत भाग्यशाली रही हूं। मेरे पूरे सफर में मेरे परिवारी जनों ने मेरी बहुत मदद की है।

सवाल – वन विभाग में नौकरी महिलाओं के लिए चुनौतीपूर्ण मानी जाती है। ऐसे में इस एक महिला अधिकारी के तौर पर किन परेशानियों का सामना करना पड़ा?

जबाव- महिलाएं जितनी कोमल हृदय की होती है, उतनी ही समय के अनुसार मजबूत भी हो जाती हैं। इस विभाग में काम करने से मुझमें प्रकृति के प्रति प्रेम और भी अधिक बढ़ गया। जिससे काम करने की एक नई ऊर्जा मिलती है। पुराणों में भी प्रकृति के करीब रहने से सकारात्मक ऊर्जा के संचार होने का उल्लेख है। आज भी ऐसी कई महिलाएं हैं जो जंगलो में पैदल भम्रण करती हैं और आदिवासी महिलाओं की मदद भी करती हैं। तो जंगलों में दुश्वार नहीं बल्कि काफी सुखमय एहसास होता है।

सवाल- पहली महिला पीसीसीएफ होने के नाते महिलाओं को क्या संदेश देना चाहेगीं?

जबाव- महिलाओं को किसी भी संदेश की जरुरत नहीं है। महिलाएं शक्ति स्वरूपा होती हैं, कभी भी खुद को कमजोर ना समझें। अपनी काबिलियत को पहचानें और आगे बढें। महिलाओं के लिये आज के दौर में मौकों की भरमार है, बशर्ते खुद को आगे लाकर इन मौकों को पहचानने और अपने आप को साबित करने की जरूरत है। हर महिला को अपनी काबिलियत के हिसाब से अपने हुनर के हिसाब से कॅरियर का चुनाव करना चाहिए। कड़ी मेहनत और दृढ़ निश्चय से हर मुकाम हासिल होता है।

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