UP Election 2022: सरेनी में जातीय समीकरण पर टिकी राजनीति, सभी पार्टियों ने लगाया अपना दांव

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रायबरेली। विधानसभा सरेनी में प्रत्याशियों के साथ-साथ कार्यकर्ताओं के मध्य भी चुनावी घमासान परवान चढता दिख रहा है और सभी अपनी व अपने प्रत्याशियों की जीत का दावा कर रहे हैं। दिन-ब-दिन विधानसभा चुनाव एक नया मोंड लेता दिख रहा है और ऐसे में किसी के लिए यह कह पाना मुश्किल हो रहा है कि …

रायबरेली। विधानसभा सरेनी में प्रत्याशियों के साथ-साथ कार्यकर्ताओं के मध्य भी चुनावी घमासान परवान चढता दिख रहा है और सभी अपनी व अपने प्रत्याशियों की जीत का दावा कर रहे हैं।

दिन-ब-दिन विधानसभा चुनाव एक नया मोंड लेता दिख रहा है और ऐसे में किसी के लिए यह कह पाना मुश्किल हो रहा है कि आखिरकार किसके सिर पर जीत का सेहरा बंधेगा। जहां सरेनी में सपा,भाजपा ने क्षत्रिय उम्मीदवार,वहीं बसपा ने यादव तो कांग्रेस ने ब्राह्मण प्रत्याशी को मैदान में उतारा है।

उल्लेखनीय है कि सरेनी विधानसभा क्षेत्र के मतदाता मिलजुलकर जनादेश देने में यकीन करते हैं,लेकिन इसके बाद भी क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या नहरों में पानी का आज तक समाधान नहीं निकल सका है यहां से 7 बार कांग्रेस और तीन-तीन बार समाजवादी पार्टी व भाजपा के विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं 1985 में निर्दलीय सुरेंद्र बहादुर सिंह को भी मतदाता मौका दे चुके हैं।

हालांकि अब तक बसपा को यहां से जीत नहीं मिली है!अब तक बसपा को छोंडकर बडी पार्टियों को मौका देने वाली सरेनी विधानसभा में इस बार रोमांचक जंग छिडी है। जहां पहले कांग्रेस,बसपा व भाजपा के मध्य त्रिकोणीय मुकाबला नजर आ रहा था।

वहीं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की जनसभा के बाद से यादव एक बार फिर सपा की ओर मुडता नजर आ रहा है। जिससे अब कयास लगाना मुश्किल नजर आ रहा है कि कौन सी पार्टी सरेनी से फतेह करेगी, जहां सपा,बसपा व भाजपा ने मजबूत प्रत्याशी उतारे हैं। तो वहीं कांग्रेस से महिला ब्राह्मण प्रत्याशी उतारे जाने से सरेनी विधानसभा का चुनावी समर बेहद दिलचस्प हो गया है,जिससे चुनाव चतुष्कोणीय होता नजर आ रहा है।

जहां बसपा ने अपने पुराने प्रत्याशी ठाकुर प्रसाद यादव व कांग्रेस ने पुराने प्रत्याशी को बदलकर ब्राह्मण चेहरे के तौर पर महिला प्रत्याशी सुधा द्विवेदी तो वहीं भाजपा ने पूर्व प्रत्याशी धीरेंद्र बहादुर सिंह व सपा ने भी पूर्व प्रत्याशी देवेंद्र प्रताप सिंह पर ही भरोसा जताया है। हालांकि कांग्रेस ने नई प्रत्याशी के रुप में सुधा द्विवेदी को टिकट देकर तुरुप का पत्ता चल दिया है।

भाजपा ने पिछली बार मोदी लहर में जीते धीरेंद्र बहादुर सिंह को फिर से चुनावी मैदान में उतारा है तो वहीं सपा व बसपा ने क्रमशःपूर्व प्रत्याशी देवेंद्र प्रताप सिंह व ठाकुर प्रसाद को ही अपना उम्मीदवार बनाया है। इस तरह प्रमुख उम्मीदवारों में दो क्षत्रिय,एक ब्राह्मण और एक यादव प्रत्याशी सरेनी विधानसभा में चुनावी मैदान में डटे हुए है।

चुनाव की तारीख नजदीक आता देख प्रचार और संपर्क अभियान सभी पार्टियों ने तेजी से चला रखा है हालांकि जनता ने भी अभी तक अपना मुंह बंद कर रखा है हालांकि कुछ स्थानों पर भाजपा और कांग्रेस की लड़ाई है तो कुछ स्थानों पर सपा और बसपा चुनाव लड़ रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि ब्राम्हण मतदाता अधिक होने के बावजूद भी विधानसभा सरेनी में बीते 27 सालों से कोई ब्राह्मण विधायक नहीं बना है। वैसे तो बसपा ने एक बार उमाशंकर त्रिवेदी को चुनाव लडाया था लेकिन उन्हें भी पराजय का सामना करना पड़ा।

इस बार किसी की लहर नहीं होने के कारण सरेनी विधानसभा में जातीय समीकरण ही जीत हार तय करेंगे। कहने को तो सरेनी विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह विकास और कानून व्यवस्था सहित वोट फॉर नेशन के नाम पर वोट मांग रहे हैं तो समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार देवेंद्र प्रताप सिंह उर्फ राजा अजय नई घोषणाओं के साथ मैदान में उतरे हैं और कांग्रेस प्रत्याशी सुधा द्विवेदी भी विकास और समाज सेवा के जरिए जनता को लुभाने में जुटी हुई हैं और तो और बसपा पार्टी के प्रत्याशी ठाकुर प्रसाद यादव का कहना है कि उनकी सरकार में सबसे अच्छी कानून व्यवस्था थी,लोग मायावती सरकार को अपनी सरकार कहते थे।

जनता की मानें तो सरेनी विधानसभा का चुनाव जातिगत होता जा रहा है।जहां क्षत्रिय बिरादरी के लोग विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह और पूर्व विधायक देवेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ राजा अजय के पक्ष में लामबंद हो रहे हैं तो वहीं ब्राम्हण जनता सुधा द्विवेदी के पक्ष में लामबंद होती नजर आ रही है। अब देखना दिलचस्प होगा कि 23 फरवरी को जनता किसके पक्ष में मतदान करती है और आगामी 10 मार्च को किसके सिर पर जीत का सेहरा बंधेगा।

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