होम्योपैथी ट्रीटमेंट से बिना ऑपरेशन हो सकता है बच्चेदानी की गांठ का इलाज, जानें केसै?
गर्भाशय में गांठें या फाइब्रॉइड्स एक महिलाओं में होने वाली एक आम समस्या बन चुकी है। इसी वजह से अधिकतर महिलाओं को 40 की उम्र के बाद और कुछ को इससे भी कम उम्र में ही गर्भाशय निकलवाना पड़ता है। फाइब्रॉइड्स यूट्रस की वे गांठें हैं जो इसके अंदर या बाहरी किनारों पर होती हैं। …
गर्भाशय में गांठें या फाइब्रॉइड्स एक महिलाओं में होने वाली एक आम समस्या बन चुकी है। इसी वजह से अधिकतर महिलाओं को 40 की उम्र के बाद और कुछ को इससे भी कम उम्र में ही गर्भाशय निकलवाना पड़ता है। फाइब्रॉइड्स यूट्रस की वे गांठें हैं जो इसके अंदर या बाहरी किनारों पर होती हैं। ये गांठें कैंसर की नहीं होती।
इसके इलाज के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. सोनी होम्योपैथी क्लिनिक पर प्रैक्टिस कर रही डॉ. डोना इंद्रानी मुथूकुड़ा ( स्त्री रोग विशेषज्ञ ) बताती है कि यूटराइन फाइब्रॉइड यानी बच्चेदानी की गांठ का सफलपूर्वक इलाज जड़ से खत्म किया जा सकता हैं। यूटराइन फाइब्रॉइड महिलाओं के यूटरस से जुड़ी बीमारी है। यह एक तरह का गैर कैंसरस ट्यूमर है, जो तकरीबन 50 फीसदी महिलाओं को उनके जीवन में कभी न कभी हो ही जाता है। इसे गर्भाशय की रसौली भी कहा जाता है।
गर्भाशय की मांसपेशियों में छोटी-छोटी गोलाकार गाठें बनती हैं, जो किसी महिला में कम बढ़ती हैं और किसी में ज्यादा। यह मटर के दाने के बराबर भी हो सकती हैं और किसी-किसी महिला में यह बढ़ कर गेंद जैसा आकार भी ले सकती हैं। वे गैर कैंसरस ट्यूमर होते हैं इसलिए तुरन्त सर्जरी की जरूरत नहीं होती। ऐसे में होम्योपैथी के जरिए इस यूटराइन फाइब्रॉइड को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। होम्योपैथिक इलाज के दौरान डॉक्टर, महिला का अल्ट्रासाउंड कराकर देखते हैं और उसी प्रोग्रेस के आधार पर इलाज आगे बढ़ता है। चार से छह महीने के इलाज में मरीज को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।
यूटेराइन फाइब्रॉइड के लक्षण
कुछ महिलाओं में गर्भाशय फाइब्रॉइड के लक्षण दिखाई दे सकते हैं और कुछ में नहीं। गर्भाशय में फाइब्रॉइड होने के दौरान एक महिला को मासिक धर्म के दौरान अधिक ब्लीडिंग, पेल्विक एरिया में दर्द, बार-बार पेशाब आना, मूत्राशय पर दबाव, मलाशय में दर्द, पीठ के निचले हिस्से में दर्द, कब्ज, पेट फूलना, 7 दिनों से अधिक समय तक पीरियड्स रहना, खून का थक्का जमना आदि लक्षण दिख सकते हैं। होम्योपैथिक दवाईयां। कुछ होम्योपैथिक दवाईयां हैं जो आमतौर पर यूटराइन फाइब्रॉइड के केस मे प्राय: दी जाती हैं।
जैसे एपिस मेलफिका,थूजा ऑक्सीडेंटेलिस्, कैलकेरिया कार्ब, कैल्केरिया फ्लोर, पलसटिला, सीपिया, फासफोरस, औरम मूर नेट्रोनेटम, फ्रैक्सीनस अमेरिकाना आदि। जैसी दवाईयां है। ये दवाईयां बिना डॉक्टर के सलाह से ना ले क्योकि ये दवाईयां मरीज के स्वभाव और बनावट के आधार पर ही (कॉन्स्टिट्यूशनल ) दी जाती हैं।
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