पिता के नाम आवंटित बंगले से बेदखल करने के खिलाफ दायर याचिका खारिज, चिराग ने दिया ये रिएक्शन
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने लोकसभा सांसद चिराग पासवान को उनके दिवंगत पिता रामविलास पासवान को आवंटित बंगले से बेदखल करने के मामले में हस्तक्षेप करने से बृहस्पतिवार को इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने चिराग की मां रीना पासवान की याचिका खारिज करते हुए कहा कि वह इस स्तर पर उस प्रक्रिया …
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने लोकसभा सांसद चिराग पासवान को उनके दिवंगत पिता रामविलास पासवान को आवंटित बंगले से बेदखल करने के मामले में हस्तक्षेप करने से बृहस्पतिवार को इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने चिराग की मां रीना पासवान की याचिका खारिज करते हुए कहा कि वह इस स्तर पर उस प्रक्रिया को नहीं रोकेंगे, जो पहले ही शुरू हो चुकी है और संबंधित परिसर पासवान की ‘पार्टी का मुख्यालय नहीं’ है।
याचिकाकर्ता के वकील ने ‘व्यावहारिक कठिनाइयों’ का हवाला देते हुए अदालत से राष्ट्रीय राजधानी के बीचों-बीच जनपथ स्थित बंगले को खाली करने के लिए चार महीने का समय मांगा। उन्होंने अदालत को बताया कि मौजूदा समय में वहां सैकड़ों लोग रह रहे हैं और उनके पास राष्ट्रीय राजधानी में कोई और ठिकाना नहीं है। वहीं इस मामले पर चिराग पासवान ने रिएक्शन देते हुए कहा कि याचिका खारीज करने बाद मैं ने अपने दिवंगत पिता का आवंटित सरकारी बंगला खाली कर दिया है। उन्होने इस दौरान कहा कि आज नहीं तो कल यह होना ही था। हमने कभी भी यह मांग नहीं की थी कि ये बंगला हमेशा के लिए हमें दिया जाए. यह बात जरूर है कि मेरे पिताजी की बहुत सारी यादें इस घर से जुड़ी हुई हैं।
चिराग पासवान ने कहा कि मैं जिस चीज का अधिकारी नहीं हूं, वह मुझे मिल भी नहीं सकता है और मैं जबरन रख भी नहीं सकता हूं। उन्होंने कहा कि हां वैसे जिस तरीके से मुझे घर छोड़ना पड़ रहा है, उस तरीके पर मुझे थोड़ी आपत्ति जरूर है। मेरे पिताजी के समय से ही उनके साथ काम करने वाले करीब 100 लोग यहां रहते हैं।
बता दें कि याचिकाकर्ता के वकील ने यह भी दलील दी कि बंगले में दिवंगत राम विलास पासवान की याद में एक संग्रहालय बनाया गया है और वहां कई कलाकृतियां भी मौजूद हैं। इस पर न्यायमूर्ति वर्मा ने कहा, “यह आपका पार्टी मुख्यालय नहीं है।” उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया 2020 में शुरू हुई थी और संबंधित पक्षों को नोटिस भी जारी किए गए थे।
अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि बाहर निकलिए सर। प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। अन्य लोग भी इंतजार कर रहे हैं। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने अदालत को बताया कि बंगला खाली कराने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और वहां रह रहे लोगों को इसका नोटिस 2020 में ही दे दिया गया था। उन्होंने कहा कि प्रक्रिया शुरू हो गई है। बहुत कम घरेलू सामान बचा है। पांच ट्रक निकल चुके हैं।
शर्मा ने कहा कि अक्टूबर 2020 में रामविलास पासवान के निधन के साथ ही बंगले के आवंटन की अवधि समाप्त हो गई थी। केंद्र सरकार ने बुधवार को लोकसभा सांसद से जनपथ स्थित बंगला खाली करवाने के लिए एक टीम भेजी थी, जिसे केंद्रीय मंत्रियों को आवंटित किया जाना है। पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन के बाद यह बंगला लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) का आधिकारिक पता बन गया है, जो चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के बीच मतभेद के चलते दो गुटों में बंट गई है।
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