राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस विशेष: प्रसव पूर्व जरूरी जांच कराएं, खुद के साथ गर्भस्थ को सुरक्षित बनाएं

बहराइच। गर्भावस्था से लेकर शिशु जन्म के 42 दिन तक माँ व शिशु को विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। इसके लिए आवश्यक सभी बिन्दुओं का खास ख्याल रखते हुए शासन व स्वास्थ्य महकमा हर संभव प्रयास कर रहा है ताकि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को न्यूनतम स्तर पर लाया जा सके। समुदाय में …
बहराइच। गर्भावस्था से लेकर शिशु जन्म के 42 दिन तक माँ व शिशु को विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। इसके लिए आवश्यक सभी बिन्दुओं का खास ख्याल रखते हुए शासन व स्वास्थ्य महकमा हर संभव प्रयास कर रहा है ताकि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को न्यूनतम स्तर पर लाया जा सके। समुदाय में इस बारे में पर्याप्त जागरूकता लाने और इसके लिए मौजूद हर सुविधाओं का लाभ उठाने के बारे में जागरूकता के लिए हर साल 11 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस मनाया जाता है।
जिले के साथ देश में 11 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस मनाया जाता है। दिवस में गर्भवती महिलाओं को खानपान, प्रसव पूर्व जांच, खानपान समेत अन्य जानकारी दी जाती है। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ सतीश कुमार सिंह का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान होने वाले संभावित खतरों की पहचान व इलाज के लिए हर माह की नौ तारीख को स्वास्थ्य केन्द्रों पर प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान का आयोजन किया जाता है। इसमें एमबीबीएस चिकित्सक द्वारा गर्भवती की सम्पूर्ण जांच नि:शुल्क की जाती है और कोई जटिलता होने पर उनकी विशेष देखभाल व इलाज की सुविधा निःशुल्क मुहैया कराई जाती हैं।
उन्होने सरकारी योजनाओं के बारे में बताया कि पहली बार गर्भधारण करने वाली महिलाओं को प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत सही पोषण और उचित स्वास्थ्य देखभाल के लिए तीन किश्तों में 5000 रूपये दिए जाते हैं। साथ ही संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए जननी सुरक्षा योजना के तहत घर से अस्पताल व अस्पताल से घर पहुंचाने के लिए एम्बुलेंस की सुविधा तथा सभी सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराने पर ग्रामीण महिलाओं को 1400 रूपये और शहरी क्षेत्र की महिलाओं को 1000 रूपये दिए जाते हैं। प्रसव के तुरंत बाद बच्चे की उचित देखभाल के लिए जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम भी संचालित किया जा रहा है।
संभावित खतरों की पहचान-
- दो या उससे अधिक बार बच्चा गिर गया हो या एबार्शन हुआ हो
- बच्चे की पेट में मृत्यु हो गयी हो या पैदा होते ही मृत्यु हो गयी हो
- कोई विकृति वाला बच्चा पैदा हुआ हो
- प्रसव के दौरान या बाद में अत्यधिक रक्तस्राव हुआ हो
- पहला प्रसव बड़े आपरेशन से हुआ हो
- गर्भवती को पहले से हाई ब्लड प्रेशर, डायबीटीज, दिल , गुर्दे, टीबी, मिर्गी, पीलिया, लीवर या हाईपो थायराइड की बीमारी
खानपान का भी रखें ध्यान
जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी बृजेश सिंह का कहना है कि सभी गर्भवती को गर्भावस्था के तीसरे-चौथे महीने में प्रशिक्षित चिकित्सक से जांच अवश्य करानी चाहिए ताकि किसी भी प्रकार की जटिलता होने पर उसका समाधान किया जा सके । इसके अलावा गर्भवती खाने में हरी साग-सब्जी, मौसमी फल के अलावा आयरन व कैल्शियम की गोलियों का सेवन चिकित्सक के बताये अनुसार करना चाहिए।
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