रामपुर का गेहूं भरेगा यूक्रेन, रूस और दक्षिण अफ्रीका वालों का पेट
रामपुर, अमृत विचार। यूक्रेन और रूस के बीच हुए युद्ध के बाद यूरोपीय देशों समेत दक्षिण अफ्रीका के बाशिंदों के समक्ष पेट भरने के लिए गेहूं की किल्लत हो गई है। क्योंकि, यूरोपीय देशों में यूक्रेन और रूस ही गेहूं के सबसे बड़े निर्यातक देश हैं। भारत में भी अकाल पड़ने पर रूस ने गेहूं …
रामपुर, अमृत विचार। यूक्रेन और रूस के बीच हुए युद्ध के बाद यूरोपीय देशों समेत दक्षिण अफ्रीका के बाशिंदों के समक्ष पेट भरने के लिए गेहूं की किल्लत हो गई है। क्योंकि, यूरोपीय देशों में यूक्रेन और रूस ही गेहूं के सबसे बड़े निर्यातक देश हैं। भारत में भी अकाल पड़ने पर रूस ने गेहूं भेजा था।
लेकिन, आज परिस्थितियां उलट गई हैं। यूरोपीय देशों में खाने के लिए गेहूं का टोटा है। भारत से इन देशों के लिए गेहूं की आपूर्ति की जा रही है। रामपुर से भी 24 हजार क्विंटल की पहली रेक गांधी धाम के लिए रविवार की तड़के रवाना हो गई है। सोमवार की रात को भी एक और रेक जाएगी।
गुजरात के बंदरगाह से जलमार्ग के माध्यम से यूक्रेन, रूस समेत यूरोप के कई देशों को भारत से गेहूं निर्यात किया जा रहा है। रामपुर से भी 24 हजार क्विंटल की पहली रेक रामपुर जनपद की तहसील बिलासपुर से गांधी धाम के लिए रविवार की तड़के रवाना हो गई। मंडी सचिव उदयवीर सिंह ने बताया कि इससे किसानों को बहुत लाभ होने वाला है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने गेहूं का समर्थन मूल्य 2015 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया है। लेकिन, मंडी में आढ़तियों द्वारा शनिवार को 2150 और रविवार को 2140 रुपये प्रति क्विंटल खरीदा गया है। रामपुर जनपद को एक लाख 57 हजार एमटी गेहूं खरीद का लक्ष्य दिया गया है। प्रशासन के सामने शासन द्वारा दिया गया लक्ष्य पूरा करना भी मुश्किल हो गया है। क्योंकि, किसानों को खुले बाजार में गेहूं का अधिक दाम और नकद मिलने के कारण गेहूं क्रय केंद्रों की ओर देख भी नहीं रहा है।
यूरोप, अफ्रीका, मध्य एशिया को यूक्रेन और रूस से होती थी आपूर्ति
जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी डा. अनुपम निगम बताते हैं कि यूरोपीय देशों, दक्षिण अफ्रीका और मध्य एशिया को यूक्रेन और रूस से ही आपूर्ति होती थी। लेकिन, यूक्रेन और रूस के बीच हो रहे युद्ध के कारण गेहूं उत्पादन बर्बाद हो गया है। इसके अलावा रूस ने यूक्रेन के बंदरगाहों को भी तबाह कर दिया है।
पोलैंड और हंगरी के बंदरगाहों पर भारत का गेहूं पहुंच रहा है और वहां से ही यूरोपीय देशों में गेहूं की आपूर्ति की जा रही है। गेहूं क्रय केंद्रों पर गेहूं की आवक बहुत कम हो गई है इस बात से उच्चाधिकारी भी परिचित हैं। लेकिन, इसका लाभ किसानों के साथ देश को भी मिल रहा है।
सरकारी कीमतों से भी अधिक कीमतों में खरीदा जा रहा गेहूं
यूरोपीय देशों के अलावा मध्य एशिया और दक्षिण अफ्रीका से आर्डर मिलने के बाद भारतीय निर्यातक बहुत खुश हैं। गल्ला आढ़ती मोहम्मद अहमद बताते हैं कि इसका लाभ किसानों को भी खूब मिल रहा है, सरकारी कीमतों से अधिक कीमत पर किसानों का गेहूं आढ़ती खरीद रहे हैं।
भारतीयों के लिए खुशी की बात है कि आज अपना देश इस स्थिति में आ चुका है कि उन देशों को गेहूं को निर्यात कर रहा है। जहां से भी भारत के लिए गेहूं आयात किया जाता था। गुजरात के बंदरगाहों से यूरोप, मध्य एशिया और दक्षिण अफ्रीका के लिए गेहूं निर्यात किया जा रहा है। यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध होने के कारण यह स्थिति बनी है। रविवार की तड़के तहसील बिलासपुर से 24 हजार क्विंटल गेहूं से लदी रेक गांधी धाम के लिए रवाना हुई है। सोमवार को भी एक और रेक लग जाएगी।—उदयवीर सिंह, मंडी सचिव
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