रासायनिक खेती से मनुष्य के स्वास्थ्य और प्रकृति में आई गिरावट: अनुपमा जायसवाल

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बहराइच। कृषि विज्ञान केंद्र के परिसर में कृषि एवं कृषि कल्याण मंत्रालय व कृषि कल्याण विभाग की ओर से आजादी का अमृत महोत्सव किसान भागीदारी प्राथमिकता हमारी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में सर्वप्रथम मुख्य अतिथि विधायक अनुपमा जायसवाल एवं विशिष्ट अतिथि सीडीओ कविता मीणा ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। जनपद …

बहराइच। कृषि विज्ञान केंद्र के परिसर में कृषि एवं कृषि कल्याण मंत्रालय व कृषि कल्याण विभाग की ओर से आजादी का अमृत महोत्सव किसान भागीदारी प्राथमिकता हमारी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में सर्वप्रथम मुख्य अतिथि विधायक अनुपमा जायसवाल एवं विशिष्ट अतिथि सीडीओ कविता मीणा ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

जनपद के विभिन्न विभागों द्वारा लगाए गए स्टालों का अवलोकन व भ्रमण किया। कार्यक्रम में सदर विधायक अनुपमा ने बताया कि पिछले कई वर्षों से खेती में काफी नुकसान देखने को मिल रहा है। इसका मुख्य कारण हानिकारक कीटनाशकों का उपयोग है, इससे लागत भी बढ़ रही है। भूमि के प्राकृतिक स्वरूप में भी बदलाव हो रहे है जो नुकसान भरे हो सकते हैं।   रासायनिक खेती से प्रकृति में और मनुष्य के स्वास्थ्य में काफी गिरावट आई है। सीडीओ ने बताया कि प्राकृतिक खेती से देश के 80 प्रतिशत उन छोटे किसानों को सबसे अधिक फायदा होगा, जिनके पास 2 हैक्टेयर से कम भूमि है। इनमें से अधिकांश किसानों का काफी खर्च कैमिकल फर्टिलाइजर (रासायनिक खाद) पर होता है। उपनिदेशक कृषि ने बताया कि खेती में खाने पीने की चीजे काफी उगाई जाती है। जिसे हम उपयोग में लेते है।

इन खाद्य पदार्थों में जिंक और आयरन जैसे कई सारे खनिज तत्व उपस्थित होते है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होती है। रासायनिक खाद और कीटनाशक के उपयोग से ये खाद्य पदार्थ अपनी गुणवत्ता खो देते है। जिससे हमारे शरीर पर बुरा असर पड़ता है। जिला कृषि अधिकारी सतीश कुमार पाण्डेय ने कहा कि सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिये लोगों को प्रोत्साहित कर रही है।जिला उद्यान अधिकारी ने बताया खेतों में कोई जोताई नहीं करना। यानी न तो उनमें जुताई करना, और न ही मिट्टी पलटना। जिला मत्स्य अधिकारी ने बताया भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि हो जाती है। सिंचाई अंतराल में वृद्धि होती है। रासायनिक खाद पर निर्भरता कम होने से लागत में कमी आती है। बाजार में जैविक उत्पादों की मांग बढ़ने से किसानों की आय में भी वृद्धि होती है।

इसी क्रम में जिला रेशम अधिकारी ने बताया छोटे किसान आजीविका और अस्तित्व के संकट से जूझ रहे हैं। केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक अध्यक्ष डॉ. बीपी शाही ने बताया प्राकृतिक खेती को रासायनमुक्त खेती के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जिसमें केवल प्राकृतिक आदानों का उपयोग करता है। डॉ. पी के सिंह ने बताया प्राकृतिक खेती कई अन्य लाभों, जैसे कि मिट्टी की उर्वरता और पर्यावरणीय स्वास्थ्य की बहाली, और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का शमन या निम्नीकरण, प्रदान करते हुए किसानों की आय बढ़ाने का मजबूत आधार प्रदान करती है।केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. शैलेंद्र सिंह ने बताया की प्राकृतिक खेती के भारत में कई स्वदेशी रूप हैं, इनमें से लोकप्रिय सबसे आंधप्रदेश में की जाती है। गन्ना विकास विभाग, रेशम, विकास विभाग, ग्रामीण डेवलपमेंट सर्विसेज यकृषि रक्षा इकाई, अभिमन्यु सीड्सय सिजेंटा सीड्स यूएस एग्री सीड्स, बायरय पायनियर, दयाल फर्टिलाइजर यरे आफ होप फाउंडेशन ,टीसीएल द्वारा प्रतिभाग किया गया। कार्यक्रम में कुल 427 कृषको ने प्रतिभाग किया।

कार्यक्रम में प्रगतिशील कृषक अनिरूद्ध यादव ने कृषकों को घनजीवामृत, जीवामृत व कीट नियंत्रण हेतु 10 पर्णीय अर्क को तैयार करने का प्रयोग के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की। प्रगतिशील महिला कृषक सुभद्रा गुप्ता ने महिलाओं को प्राकृतिक विधि से सब्जी उत्पादन व कुपोषण के बारे में जानकारी दी।साथ ही मुख्य विकास अधिकारी महोदया द्वारा रिजवान, घासीपुर यंत्रीकरण, अनिरूद्ध यादव प्रकृतिक खेती, सुभद्रा गुप्ता खाद्य प्रसंस्करण, बब्बन सिंह गन्ना, जगन्नाथ मौर्य, प्राकृतिक सब्जी, आनन्द कुमार वर्मा, दलहन उत्पादन, सुशील सिंह मशरूम उत्पादन, विवेक तिवारी जलवायु समुत्थान , बाबूलाल मौर्य, यांत्रीकरण, लालता प्रसाद गुप्ता विविधीकरण, राम फेरन पाण्डेय, मधुमक्खी पालन, शक्तीनाथ सिंह जागरूक व प्रगतिशील कृषक को मोमेन्टो व शाल प्रदान कर पुरस्कृत व सम्मानित किया गया।

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