बाराबंकी: तालाबों में पानी की एक बूंद भी नहीं, कागजों पर सब लबालब, नहीं दिखा मंत्री के आदेश का असर

Amrit Vichar Network
Published By Amrit Vichar
On

बाराबंकी। अप्रैल आखिर में जिले के रसौली में पेयजल परियोजनाओं का उद्घाटन करने आये प्रदेश सरकार में जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में निर्देश दिया था कि 15 मई तक तालाबों में पानी भर दिया जाए। बावजूद इसके शहर के धनोखर तालाब, नागेश्वर नाथ तालाब में थोड़ा सा …

बाराबंकी। अप्रैल आखिर में जिले के रसौली में पेयजल परियोजनाओं का उद्घाटन करने आये प्रदेश सरकार में जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में निर्देश दिया था कि 15 मई तक तालाबों में पानी भर दिया जाए। बावजूद इसके शहर के धनोखर तालाब, नागेश्वर नाथ तालाब में थोड़ा सा ही पानी दिख रहा शहर है।

ग्रामीण क्षेत्रों में 90% से अधिक तालाब सूखे पड़े हैं। हैदरगढ़ के दौलतपुर मेरे घरमुईया गांव के सामने मछली का तालाब सूखा पड़ा है। इसी तरह भेतमुआ गांव का तालाब भी सूखा है। विकास खंड देवां के ग्राम इस्माइल पुर मजरे छोटी पुरवा का ज्वार तालाब में पानी सूख चुका है। यह दो नजीरें तो बानगी भर है जिले की सभी तहसीलों और विकास खण्डों के तालाबों स्थिति इस बात की खुली गवाही दे रहे हैं कि मंत्री के आदेशों का प्रशासनिक स्तर पर ध्यान ही नहीं दिया गया।

भीषण गर्मी से ग्रामीण क्षेत्र के कई तालाब सूख चुके हैं। जिससे सबसे ज्यादा परेशानी ग्रामीण क्षेत्र में रहने वालों को हो रही है। ग्रामीण सिर्फ तालाब के भरोसे रहते हैं। ग्रामीण क्षेत्र के तालाबों का पानी सूख गया है। मई की गर्मी से हालात बिगड़ रहे हैं। कई गांवों में तालाबों की सफाई और देखरेख नहीं होने के कारण पानी न के बराबर है। कई गांव के जिस तालाब में पानी है, उसमें गंदगी फैली हुई है। सफाई के लिए भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। भीषण गर्मी से पशु-पक्षी भी बेहाल हैं।

तालाब और पोखरों के सूख जाने से बेजुबान प्यास से छटपटा रहे हैं। ब्लॉक के अधिकांश तालाब सूखे हैं। लाखों रुपये खर्च कर विकसित किए गए मॉडल तालाब अपनी रंगत खो रहे हैं। हालत यह है कि तालाबों में धूल उड़ रही है। गर्मी में पशु-पक्षियों को भटकना पड़ रहा है। एक दौर था जब गांव में जाते थे तो वहां के तालाब लबालब भरे रहते थे। तालाबों में पानी की कोई कमी नहीं रहती थी, लेकिन अब साल दर साल गांवों के तालाब भी पानी के लिए तरसने लगे हैं । कई साल पहले तक गांव में कई ऐसे तालाब होते थे, जहां 12 महीने पानी भरा रहता था और उस तालाब से पूरा गांव अपनी दिनचर्या के लिए पानी लेता था।

पशु-पक्षी व हर तरह के जीवों के लिए ये तालाब पानी के बड़े श्रोत होते हैं , लेकिन अब बदलते वक्त के साथ गांवों के तालाबों की स्थिति भी खराब हो चुकी है। तालाब सूखे तो कुएं भी सूखने लगे। ग्रामीण बताते हैं कि जैसे-जैसे अब गांव में तालाब सूखने लगे हैं, गांव में पानी की कमी होने लगी है । पहले गांव में कुएं नहीं सूखते थे, क्योंकि तालाब में पानी रहता था लेकिन अब गांव के तालाब जब सूखने लग गए तो कुओं से भी पानी गायब होता जा रहा है। इससे लोगों को जल संकट से जूझना पड रहा है ।

सिर्फ कागजों पर भरे जा रहें तालाब

डीडीओ से सूखे तालाबों पर जब बात हुई तो उन्होंने ने बताया जो तालाब नहरों से कनेक्ट है उन्हें नहर विभाग से भरवाया जा रहा है । पंचायत स्तर भर सभी तालाब भरे जा चुके हैं ।जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है ।

विभाग के पास नहीं है भरे गए तालाबों की सूची

अमृत विचार संवाददाता ने जब तालाब की स्थितियों की जानकारी डीडीओ से लेनी चाही तो उन्होंने तालाब भरे होने की बात कही जब संवाददाता ने बताया कि अधिकतर पंचायतों में तालाब सूखे पड़े हैं। ऐसी सूचनाएं आ रही हैं तो उन्होंने कहा हमें सूची दीजिए हम उन तालाबों में पानी पहुंचायेंगे ।

यह भी पढ़ें:-अमृत सरोवर योजना : झांसी में शुरू हुआ 50 तालाबों के जीर्णोद्धार का काम

संबंधित समाचार