बरेली के सबसे पुराने सेंट स्टीफेंस चर्च का दिलचस्प इतिहास, अंग्रेजों के जमाने का पाइप ऑर्गन भी है मौजूद

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बरेली, अमृत विचार। इसमें कोई दो राह नहीं कि ब्रिटिशकाल में अंग्रेजों ने भारत में बहुत क्षति पहुंचाई। लेकिन, ये भी सच है कि वो अपने पीछे बेहद खूबसूरत इमारतें धरोहर के रूप में छोड़ कर गए और उन्हीं में से एक है सेंट स्टीफेंस चर्च। यूपी में बरेली जनपद के कैंट स्थित सेंट स्टीफेंस …

बरेली, अमृत विचार। इसमें कोई दो राह नहीं कि ब्रिटिशकाल में अंग्रेजों ने भारत में बहुत क्षति पहुंचाई। लेकिन, ये भी सच है कि वो अपने पीछे बेहद खूबसूरत इमारतें धरोहर के रूप में छोड़ कर गए और उन्हीं में से एक है सेंट स्टीफेंस चर्च। यूपी में बरेली जनपद के कैंट स्थित सेंट स्टीफेंस चर्च ब्रिटिश काल में बने सबसे पुराने गिरिजाघर (चर्च) में से एक है। चर्च इंडो-गॉथिक शैली की मिसाल है। यहां दूर-दराज से लोग चर्च में आकर आराधना करते हैं।

चर्च में रखा ब्रिटिशकाल का पाइप ऑर्गन
चर्च में रखा ब्रिटिशकाल का पाइप ऑर्गन

 

लाल ईंटों से निर्मित इस चर्च की स्थापत्य कला भी ऐतिहासिक व मनोरम है। इस चर्च को इंग्लैंड के आर्किटेक्ट ने भारतीय स्थापत्य व गॉथिक शैली के संगम से बनाया था। चर्च के पादरी अमन अभिषेक पादरी ने अमृत विचार से एक्सक्लूसिव बातचीत में बताया कि सेंट स्टीफन चर्च का निर्माण सन 1858 में शुरू हुआ था और सन 1862 में इस चर्च में फर्स्ट प्रेयर की गई।

पादरी अमन ने बताया कि इस चर्च की सबसे ख़ास बात यह है कि बरेली शहर के प्रथम कलेक्टर अपनी पूरी टीम के साथ इस चर्च में आराधना करने आया करते थे। जिनका नाम चर्च की मुख्य वेदी पर एक ब्रास प्लेट पर अंकित है। इसके साथ साथ शहर का जीरो माइल भी इस गिरिजाघर में अंकित है। इस चर्च का बड़ा स्वर्णिम इतिहास रहा है।

इस चर्च में पाइप ऑर्गन की बड़ी महत्ता है। ऐसा इसलिए क्योंकि उत्तर भारत और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसी भी दूसरे चर्च में चर्च का पाइप ऑर्गन (वादन यंत्र) नहीं पाया जाता। चर्च की मुख्य वेदी पर संगमरमर का कार्य भी बेहद अनोखा और खूबसूरत है। संगमरमर से बने पल्पिट और बप्तिस्मा फॉण्ट आज भी अपनी भव्यता से लोगों को अपनी और आकर्षित करते हैं।

इस चर्च में एक बार में लगभग 1000 श्रद्धालु मिलकर प्रभु की आराधना कर सकते हैं। प्रभु यीशु के प्रमुख शिष्य स्टीफन के नाम पर इस चर्च का नाम रखा गया। यहां अंग्रेजों के ज़माने के पाइप ऑर्गन और पियानों भी मौजूद है। जो अपने आप में ऐतिहासिक हैं। यहां चर्च के प्रमुख स्थल पर आज भी 150 वर्ष से अधिक पुराने पाइप ऑर्गन और पियानों रखा है।

गौरतलब है कि तत्कालीन ब्रिटिश सेना के कैप्टन रेव डब्ल्यूजी कोवी ने 25 दिसंबर 1862 को चर्च में पहली सर्विस की और उसी दिन यहां पर पहली शादी हुई थी। आज भी क्रिसमस के आसपास इस चर्च की सजावट और झांकी देखने के लिए हजारों की संख्या लोग आते हैं।

 

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