बाबर ने भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना कर इसको जड़ तक मजबूत किया, जानें कैसे
भारत में मुगल साम्राज्य ने 300 सालों से ज्यादा वक्त तक राज किया। वहीं भारत में मुगल साम्राज्य के उदय की एक मात्र वजह थी मुगल सम्राट बाबर। बता दें बाबर ने बहुत ही कम समय में भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना कर इसको जड़ तक मजबूत कर दिया था। तो आइए, जानते हैं …
भारत में मुगल साम्राज्य ने 300 सालों से ज्यादा वक्त तक राज किया। वहीं भारत में मुगल साम्राज्य के उदय की एक मात्र वजह थी मुगल सम्राट बाबर। बता दें बाबर ने बहुत ही कम समय में भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना कर इसको जड़ तक मजबूत कर दिया था। तो आइए, जानते हैं बाबर ने यह सब कैसे कर दिखाया। आइये बाबर के जन्म के बारे में जानते हैं।
पहले मुगल सम्राट जहीरुद्दीन मोहम्मद बाबर का जन्म 14 फरवरी 1483 को तुर्किस्तान में हुआ था। पिता की असमय मौत से उन पर अपने परिवार की ज़िम्मेदारी 11 साल की उम्र में ही आ गई थी| उसके पिता उमरशेख मिर्ज़ा तैमूर के वंशज और अपनी मां, जिनका नाम कुतुलनिगार खां वह चंगेज खान की वंशज थीं। बाबर ने शुरुआती दौर में अपने पैतृक स्थान फरगना जीत तो लिया था लेकिन वे बहुत समय पर उस पर राज नहीं कर पाए और उन्हें हार का सामना करना पड़ा था उस समय उन्हें बेहद कठिन दौर से गुजरना पड़ा था।
बता दें बाबर ने 19 साल की उम्र उस समय का फायदा उठा लिया जब उसके दुश्मन एक-दूसरे से दुश्मनी निभा रहे थे और 1502 में उन्होंने अफगानिस्तान के काबुल में जीत हासिल की। जिसके बाद उन्हें ‘पादशाह’ की उपाधि धारण मिल गई। पादशाह से पहले बाबर ”मिर्जा” की पैतृक उपाधि धारण करता था। इसी के साथ पैतृक स्थान फरगना और समरकंद को भी जीत लिया था। ये किसी को नहीं पता था कि बाबर की वह एक दिन भारत पर राज करेगा।
बता दें बाबर मध्य एशिया को कब्जाना चाहता था। उसकी नजर भारत पर गई तब यहां की राजनीतिक दशा भी बिगड़ी हुई थी जिसका उसने फायदा उठाया। उस समय दिल्ली के सुल्तान कई लड़ाईयां लड़ रहे थे जिस वजह से भारत में राजनीतिक बिखराव था। भारत में कुछ छेत्र ऐसे भी थे जो अफगानी और राजपूतों के क्षेत्र में नहीं आते थे। उस समय जब बाबर ने दिल्ली पर हमला किया था तब बंगाल, मालवा, गुजरात, सिंध, कश्मीर, मेवाड़, दिल्ली खानदेश, विजयनगर एवं विच्चिन बहमनी रियासतें आदि अनेक स्वतंत्र राज्य थे।
दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम के चाचा आलम खान बाबर की बहादुरी और उसके कुशल शासन से बेहद प्रभावित थे और वह लोदी के काम से खुश नहीं थे, इसलिए दौलत खां लोदी और इब्राहिम के चाचा आलम खा लोदी ने मुगल सम्राट बाबर को भारत आने का न्योता भेजा था। बाबर ने न्योता खुशी से स्वीकार किया क्योंकि बाबर की दिल्ली की सल्तनत पर पहले से ही नजर थी। बता दें बाबर ने मुग़ल साम्राज्य के लिए कई युद्ध लड़े, कुछ में वह आसानी से जीता। मगर एक युद्ध ऐसा था जिसमें उसे अपनी सारी ताकत लगानी पड़ी थी।
वहीं निजी जीवन की बात करें तो बाबर की 11 बेगम थीं, जिनके नाम आयेशा सुल्तन बेगम, जैनाब सुल्तान बेगम, मौसमा सुल्तान बेगम, महम बेगम, गुलरुख बेगम, दिलदार बेगम, मुबारका युरुफझाई और गुलनार अघाचा था। बाबर के कुल 20 बच्चे थे। 1530 में बाबर की मौत किसी बीमारी की वजह से हुई थी। बाबर का अंतिम संस्कार अफगानिस्तान में हुआ था। बाबर की मौत के बाद उसके बड़े बेटे हुमायूं को मुगल साम्राज्य का उत्तराधिकारी बनाया गया।
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