अब खेती-किसानी में इतिहास रचेगा मुरादाबाद मंडल

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आशुतोष मिश्र,अमृत विचार। परंपरागत खेती से हटकर मंडल पशुपालन, बागवानी और मछली पालन का इतिहास रचने जा रहा है। इसके लिए मंडल में कृषि योजना तैयार की गई है। जो पशुपालन, कुक्कुट पालन, हॉर्टिकल्चर और मछली पालन को केंद्रित होगी। इस अभियान में कार्य का बैलेंस शीट बनाया जाएगा, जिसमें खेती की पैदावार और खपत …

आशुतोष मिश्र,अमृत विचार। परंपरागत खेती से हटकर मंडल पशुपालन, बागवानी और मछली पालन का इतिहास रचने जा रहा है। इसके लिए मंडल में कृषि योजना तैयार की गई है। जो पशुपालन, कुक्कुट पालन, हॉर्टिकल्चर और मछली पालन को केंद्रित होगी। इस अभियान में कार्य का बैलेंस शीट बनाया जाएगा, जिसमें खेती की पैदावार और खपत का ब्यौरा दर्ज किया जाएगा।

परंपरागत कार्य के अलावा मसालों का भी उत्पादन होगा। जहां पानी की समस्या नहीं है, वहां जलजनित पौधे उगाए जाएंगे। लेमनग्रास और बंबू की खेती के प्रति किसानों को जागरूक किया जाएगा। इस तरह की खेती के लिए सरकार की ओर से 20,000 रुपये तक सालाना अनुदान मिलता है। इस बात को किसानों में प्रसारित किया जाएगा। एफपीओ (फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन) को प्रमोट किया जाएगा, इसके लिए कलस्टर बनेगा। क्षेत्रवार खेती के लक्ष्य निर्धारित होंगे। पोर्टल पर किसानों के उत्पाद को बाजार उपलब्ध कराया जाएगा।

मुरादाबाद सहित मंडल के सभी जिलों में अलग-अलग भूमि पर खेती की अगल-अगल प्रजाति का निर्धारण किया जाएगा। कृषि क्षेत्र में निवेशकों को को जोड़ा जाएगा। अकेले बिजनौर जनपद में 1,000 करोड़ों रुपए का निवेश होने वाला है। अगस्त महीने में यह कार्य जमीन पर दिखने लगेगा, जिसमें 500 करोड रुपए की एक ही परियोजना तैयार की गई है। जबकि खाद बनाने के लिए 50 करोड़ रुपये का प्रबंध निजी प्रमोटर करेगा। धान के किसानों को उनकी उपज के निर्यात करने की सुविधा दी जाएगी।

बायर-सेलर एग्रीमेंट होगा। हल्दी की खेती गंगा तटीय इलाकों में कराई जाएगी। अगस्त महीने में इसके लिए बड़ा आयोजन होने जा रहा है, जिसमें किसानों से सीधी चर्चा की जाएगी। संभल के गुन्नौर गोटरी और रामपुर के मिलक को फीसरीज की संभावनाओं का लेखा-जोखा तैयार किया गया है। जबकि उत्पादकों को मंडी उपलब्ध कराया जाएगा। नदी के किनारे की भूमि को चारा के प्रबंध के लिए चुना गया है। बिजनौर में 11 बीघा जमीन पर नेपियर ग्रास की बुवाई की गई है। यह क्षेत्र बढ़ाकर 22 बीघा किया जाना है।

नदी क्षेत्र में सरकारी भूमि पर फलों के बाग लगवाए जाएंगे। उधर, अमरोहा में 1000 पशुओं के रहने के नंदी उपवन तैयार हो रहा है। अमरोहा में सीएनजी उत्पादन की कार्य योजना बनी है। बंदरों के लिए नदियों के किनारे सरकारी जमीन पर बाग लगाए जाएंगे। संभल, अमरोहा, बिजनौर में नदी किनारे नंदी उपवन का निर्माण होगा

मंडलायुक्त आन्जनेय कुमार सिंह का कहना है कि सरकार खेती के विकास और किसानों को लागत का दोगुना आमदनी कराने का संकल्प रखती है। मुरादाबाद पहला मंडल है जहां कृषि की योजना तैयार की गई है। हम परंपरागत खेती के भीतर हल्दी, मसाला, मत्स्य पालन, दूध उत्पादन सहित अन्य कार्यों के लिए किसानों को प्रोत्साहित करेंगे। उनके लिए बाजार देंगे, जिसके लिए निजी निवेशको को तैयार किया गया है। 1,000 करोड़ के की परियोजनाएं तैयार हो रही हैं। अगस्त माह में यह कार्य दिखेगा।

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