हरदोई : हज़रत क़ासिम की शहादत पर फूट-फूट कर रोए अज़ादार, मीर सराय से शुरू हुआ सातवीं मोहर्रम का जुलूस

हरदोई : हज़रत क़ासिम की शहादत पर फूट-फूट कर रोए अज़ादार, मीर सराय से शुरू हुआ सातवीं मोहर्रम का जुलूस

हरदोई, अमृत विचार । पामाल हुआ दश्त में घोड़ों की सुमो से,किस तरह उठे कासिम-ए-मुजतर का जनाजा.. सातवीं मोहर्रम को अज़ादार हज़रत क़ासिम की शहादत को याद करते हुए फूट-फूट कर रोए। पिहानी कस्बे के मोहल्ला मीर सराय से निकाला गया सातवीं मोहर्रम के जुलूस में शामिल अज़ादारों ने मैदान-ए-कर्बला की जंग मंज़रकशी पर मातम …

हरदोई, अमृत विचार । पामाल हुआ दश्त में घोड़ों की सुमो से,किस तरह उठे कासिम-ए-मुजतर का जनाजा.. सातवीं मोहर्रम को अज़ादार हज़रत क़ासिम की शहादत को याद करते हुए फूट-फूट कर रोए। पिहानी कस्बे के मोहल्ला मीर सराय से निकाला गया सातवीं मोहर्रम के जुलूस में शामिल अज़ादारों ने मैदान-ए-कर्बला की जंग मंज़रकशी पर मातम करते हुए अपना सीना लाल कर लिया।

सातवीं मोहर्रम को निकाले गए जुलूस में हज़रत कासिम के तख्त पर आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। इस दौरान जुलूस में शामिल हुईं अंजुमन-ए नौहे ख्वानी कर रही थी और अज़ादार मातम। जुलूस में शामिल बच्चे भी हज़रत कासिम की शहादत को याद करते हुए ज़ारो-कतार रो रहे थे। सातवीं मोहर्रम को हज़रत कासिम की शहादत का गम मनाया जाता है।

तारीख गवाह है कि कर्बला के मैदान में यजीद की फौज ने शहजादे कासिम को शहीद करके उनकी लाश को घोड़ों की टापों से पामाल (कुचल) दिया था। सातवीं मोहर्रम से ही यजीदयों ने हुसैनियों पर ज़ुल्म ज़्यादा बढ़ा दिये थे। शिद्दत की गर्मी थी, इसके बावजूद वहां पानी बंद कर दिया गया। हज़रत कासिम की शहादत का दर्दनाक मंजर सुन कर अज़ादार बेकरार हो उठे। उन्होंने नम आंखों के आंसुओं का पुरसा पेश किया।

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