अयोध्या : ईंट-पत्थरों से इतिहास लिखने की जरूरत नहीं: विद्या भास्कर
अमृत विचार, अयोध्या। डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के विवेकानंद सभागार में जगद्गुरु रामानुजाचार्य, वासुदेवाचार्य, विद्या भास्कर ने कहा कि हमें र्इंट-पत्थरों से इतिहास लिखने की जरूरत नहीं, हमारा इतिहास शब्दों और ग्रंथों में विद्यमान है। शिक्षा पद्धति को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि हमकों निर्णय लेना होगा कि हम भारतीय गुरुकुल शिक्षा …
अमृत विचार, अयोध्या। डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के विवेकानंद सभागार में जगद्गुरु रामानुजाचार्य, वासुदेवाचार्य, विद्या भास्कर ने कहा कि हमें र्इंट-पत्थरों से इतिहास लिखने की जरूरत नहीं, हमारा इतिहास शब्दों और ग्रंथों में विद्यमान है। शिक्षा पद्धति को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि हमकों निर्णय लेना होगा कि हम भारतीय गुरुकुल शिक्षा को अपनाएं अथवा कॉन्वेंट की ओर जाएं। जगद्गुरु विद्या भास्कर सेवाज्ञ संस्थानम और श्रीराम शोध पीठ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय युवा धर्म संसद के समापन समारोह को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे।
दूसरे दिन रविवार को पहले सत्र में समष्टि परक चरित्र-निर्माण का द्वंद्व और शिक्षा व दूसरे सत्र में धर्मसत्ता और स्त्री विचार पर वक्ताओं ने अपने विचार रखे। मुख्य अतिथि मणिराम दास छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमलनयन दास ने कहा कि हमारे इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा गया, जिससे लोगों को गौरव का भान न हो। रामराज्य में आपस में प्रेम और भाईचारा था। उन्होंने कहा कि मां भारती की रक्षा के लिए संविधान में एक समान व्यवस्था होनी चाहिए। भेदभाव नहीं चल सकता।
धारा-30 के रहने तक राष्ट्र की रक्षा संभव नहीं है। महंत गिरीशपति त्रिपाठी ने कहा कि शिक्षा दुनिया से परिचय कराती है और दीक्षा खुद से। राम को जान लेना ही उनका होकर रह जाना है। आयोजक आचार्य मिथिलेश नंदनी शरण ने कहा कि सबसे पहले हमको मनुष्य बनना होगा। परंपरा, आस्था और विश्वास आधारित आचरण बदलते रहते हैं, लेकिन विचार आधारित आचरण सर्वकालिक और दीर्घकालिक होता है। समापन सत्र के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो. अजय प्रताप सिंह व संचालक सहायक प्रो. प्रत्याशा मिश्रा ने किया। महापौर ऋषिकेश उपाध्याय, विश्वनाथ सिंह, अभय सिंह, डॉ. जनार्दन उपाध्याय, डॉ. बांके बिहारी मणि त्रिपाठी, डॉ. विक्रमा पांडेय समेत विभिन्न जिलों के प्रतिभागी मौजूद रहे।
हमें नए प्रवाह को समझना होगा : राहुल देव
युवा धर्म संसद के तहत धर्मसत्ता और स्त्री विचार विषयक संवाद को संबोधित करते हुए वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव ने कहा कि शास्त्रों में नारी धर्म का वर्णन तो मिलता है, लेकिन कहीं पुरुष धर्म का वर्णन नहीं है। हमें परंपराओं की लीग से हटकर नए प्रवाह को समझना होगा।
जगद्गुरु रामदिनेशाचार्य ने कहा कि धर्म, रुढ़ियों और परंपराओं से बड़ी है। शक्ति से ज्यादा हम श्री की उपासना करते हैं। लखनऊ की वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. शालिनी भसीन ने कहा कि धर्मशास्त्र में कहीं नारी को नीचा नहीं दिखाया गया। आज भी राम से पहले सिया का नाम लिया जाता है। इसको हमें जीवन और चरित्र में उतारने की जरूरत है।
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