कानपुर एनएसटीआई को मशीनों के लिए चार करोड़ देगा एचएएल, सीएसआर फंड के रूप में करेगा मदद

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अभिषेक वर्मा, कानपुर। गोविंद नगर स्थित राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान (एनएसटीआई) के छात्र-छात्राओं को तकनीकी कौशल सिखाने के लिए हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) कानपुर मदद करेगा। दोनों संस्थानों के बीच करार हो रहा है। इसके तहत एनएसटीआई को एचएएल चार करोड़ देगा। जिससे एनएसटीआई संस्थान के लिए मशीन को खरीदेगा। दोनों ही विभागों में बात …

अभिषेक वर्मा, कानपुर। गोविंद नगर स्थित राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान (एनएसटीआई) के छात्र-छात्राओं को तकनीकी कौशल सिखाने के लिए हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) कानपुर मदद करेगा। दोनों संस्थानों के बीच करार हो रहा है। इसके तहत एनएसटीआई को एचएएल चार करोड़ देगा। जिससे एनएसटीआई संस्थान के लिए मशीन को खरीदेगा। दोनों ही विभागों में बात अंतिम चरण में है। जल्द ही संस्थान के छात्र-छात्राओं इसका फायदा मिलेगा।

सीएसआर फंड के तहत मदद
एचएएल सीएसआर (नैगमिक सामाजिक उत्तरदायित्व) के रूप में एनएसटीआई को यह फंड देगा। दोनों ही संस्थानों के अधिकारियों के बीच कई चरणों में बैठक हो चुकी है। एचएएल यह फंड डॉयरेक्ट वेंडर को देगा जो मशीनों को संस्थान में सप्लाई करेगा, हालांकि, इसपर चर्चा हो रही है। बता दें कि भारत के कंपनी अधिनियम के तहत टर्नओवर और लाभ की कंपनियों को उनके पिछले तीन वर्षों के औसत शुद्ध लाभ का 2 प्रतिशत सीएसआर पर खर्च करना अनिवार्य होता है।

सीएनसी मशीन खरीदेगा संस्थान
एचएएल द्वारा दिए जा रहे फंड से एनएसटीआई सीएनसी मशीन खरीदेगा। जो संस्थान में मकैनिकल की पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राओं के लिए मददगार साबित होगा। सीएनसी मशीन को कम्प्यूटर न्यूमेरिकल कंट्रोल के नाम से जाना जाता हैं। इसे कंप्यूटर द्वारा कण्ट्रोल किया जाता है। क्षेत्रीय निदेशक जेडी मासिलामणि ने बताया कि सीएनसी मशीन के जरिए कम्प्यूटर में जॉब के अनुसार प्रोग्राम बनाकर डाला जाता है, मशीन प्रोग्राम के अनुसार जॉब को फाइनल रूप दे देती है। उन्होंने बताया कि प्रोग्रामिंग में एम-कोड तथा जी-कोड का प्रयोग किया जाता है। सीएनसी मशीन का प्रयोग मास प्रोडक्शन के लिए करते हैं।

बढ़ाई जा रही सुविधाएं
क्षेत्रीय निदेशक जेडी मासिलामणि ने बताया कि संस्थान छात्र-छात्राओं को कौशल ज्ञान को बढ़ाने के लिए लगातार कार्य कर रहा है। किताबी ज्ञान के साथ ही उन्हें प्रयोगात्मक ज्ञान देने के लिए संस्थान में मशीनों को लगाया जा रहा है। ताकि, जब वह यहां से निकलें तो उन्हें इंडस्ट्री में काम करने में दिक्कत का सामना नहीं करना पड़े।

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