विश्व गठिया रोग दिवस: युवा वर्ग भी हो रहा गठिया का शिकार

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अमृत विचार, लखनऊ। ढ़लती उम्र में थक चुके माता-पिता का यह सपना होता है कि उनके बुढ़ापे में उनके बच्चों के मजबूत कंधे उनका सहारा बनेंगे। आलम यह है कि बच्चे मजबूत होने की जगह खुद ही बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। गठिया की बीमारी उम्रदराज लोगों के साथ युवा वर्ग को भी तेजी …

अमृत विचार, लखनऊ। ढ़लती उम्र में थक चुके माता-पिता का यह सपना होता है कि उनके बुढ़ापे में उनके बच्चों के मजबूत कंधे उनका सहारा बनेंगे। आलम यह है कि बच्चे मजबूत होने की जगह खुद ही बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। गठिया की बीमारी उम्रदराज लोगों के साथ युवा वर्ग को भी तेजी से अपनी चपेट में ले रही है। जिसका सबसे बड़ा कारण है केमिकल से बने खाद्य पदार्थों का सेवन करना। आजकल बच्चे सबसे ज्यादा फ्रोजेन फूड खाना पसंद करते हैं जो उनकी सेहत के लिए बहुत हानिकारक हैं।

12 अक्टूबर को विश्व गठिया दिवस मनाया जाता है इस पर चर्चा करते हुए किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के गठिया रोग विशेषज्ञ प्रो. नरेंद्र कुशवाहा बताते हैं कि गठिया को गाउट (gout)भी कहा जाता है। उन्होंने बताया कि गठिया रोग के कारण जब शरीर की हड्डियों के जोड़ों में सूजन होती है, तब शरीर से निकलने वाले रसायन रक्त या प्रभावित ऊतकों में पहुँच जाते हैं। निष्काषित रसायन प्रभावित हिस्से या संक्रमण की जगह पर रक्त प्रवाह को बढ़ाते है, जिसके परिणामस्वरूप प्रभावित हिस्से में लालिमा और जलन में महसूस में होती है। कुछ रसायनों के कारण ऊतकों में तरल पदार्थ का रिसाव होता है, जिसके परिणामस्वरूप जोड़ों में सूजन हो जाती है। यह प्रक्रिया तंत्रिकाओं को उत्तेजित कर सकती हैं तथा दर्द का कारण भी हो सकती
हैं।

रुमेटी (संधिशोथ) कारक (आरएफ): यह परीक्षण रुमेटी (संधिशोथ) की जाँच के लिए किया जाता है। हालांकि, आरएफ, लोगों के आरए से पीड़ित हुए बिना या अन्य स्व-प्रतिरक्षित विकारों के साथ भी पाया जा सकता है। आमतौर पर, यदि किसी व्यक्ति में आरए के साथ रुमेटी (संधिशोथ) के कारक उपस्थित नहीं होते है, तो बीमारी का कोर्स (अवधि) अल्प गंभीर होता है।

ईएसआर (एरिथ्रोसाइट अवसादन रेट) और सी रिएक्टिव प्रोटीन (सीआरपी) का स्तर: ये भी बढ़ जाते हैं। सीआरपी और ईएसआर दोनों के स्तरों का उपयोग की गतिविधियों की जांच तथा किसी व्यक्ति के उपचार के प्रति प्रतिक्रिया का निरीक्षण करने के लिए किया जाता हैं।
इमेजिंग स्कैनः आमतौर पर एक्स-रे, सीटी स्कैन और एमआरआई का उपयोग हड्डियों एवं उपास्थि के चित्रो को प्राप्त करने के लिए किया जाता हैं, ताकि रोग का पता लगाया जा सकें।

गठिया रोग के इलाज

शारीरिक व्यायाम

दर्द के दौरान, मांसपेशियों को मज़बूत बनाने का आख़िरी विकल्प व्यायाम होता है, लेकिन इसके लिए स्ट्रेचिंग व्यायाम अत्यधिक उपयोगी साबित होता है।

दर्द निवारक

दर्द निवारक जैसे कि एनएसएआईडी (नॉन स्टेरायड एंटी इंफ्लामेटरी दवाओं ) । आमतौर पर, रसायनों के साथ एनएसएआईडी के हस्तक्षेप को शरीर प्रास्टाग्लैंडिनों के नाम से जाना जाता हैं, जो कि द सूजन और बुखार को ट्रिगर करता है। यह दर्द निवार सभी प्रकार के दर्द से राहत दिलाने में सहायता करते हैं।

सर्जरी

जोड़ों के प्रत्यारोपण (सर्जरी) का उपयोग अक्सर उन व्यक्तियों के लिए किया जाता है, जिन्हें चलने में असमर्थता या चलने में अत्यधिक परेशानी होती है।

रोग संशोधित एंटी रूमैटिक दवाएं (डीएमएआरडीएस )
प्रायः इसका उपयोग रुमेटी संधिशोथ (गठिया) का उपचार करने के लिए किया जाता हैं; प्रतिरक्षा प्रणाली जोड़ों पर हमला करती है। इस हमले को रोकने के लिए डीएमएआरडीएस का सेवन किया जाता है, जिसके परिणामस्वरुप प्रतिरक्षा प्रणाली का जोड़ों पर हमला कम या बंद हो जाता है। उदाहरण के लिए इसमें मिथोट्रेक्सेट (ट्रैक्साल) और हैड्रो आक्सीक्लोरोक्वेन (प्लेक्नियूल) दवाएं शामिल हैं।

इंट्रा- आर्टिकुलर इंजेक्शन

इस प्रक्रिया का उपयोग इंफ्लामेटरी जोड़ों की स्थितियो जैसे कि रुमेटी संधिशोथ (गठिया), सोरायटिक, गाउट कण्डराशोथ, बुर्सिटिस तथा कभी-कभी पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस के उपचार के लिए किया जाता हैं। हाइपडर्मिक सुई द्वारा प्रभावित जोड़ों में अनेक एंटी इंफ्लामेटरी एजेंट्स में से एक की ख़ुराक को दिया जाता हैं, जिसमें सबसे सामान्य कोर्टिकोस्टेरायडल हैं।

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