बरेली: कर्मचारियों के पास है टैक्स का पासवर्ड, सेटिंग करो, टैक्स माफ करवा लो

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बरेली, अमृत विचार। नगर निगम का टैक्स विभाग, जहां एरियर माफ करके फाइलें गायब हो रही हैं। उस टैक्स विभाग में सब कुछ सेन्ट्रलाइज नहीं है। हालत यह है हर जोन अफसर का पासवर्ड कर्मचारियों के पास है। जब मामला पकड़ा जाता है तो पूरी गलती कर्मचारियों पर डालकर जोन अफसर पाकसाफ हो जाते हैं। …

बरेली, अमृत विचार। नगर निगम का टैक्स विभाग, जहां एरियर माफ करके फाइलें गायब हो रही हैं। उस टैक्स विभाग में सब कुछ सेन्ट्रलाइज नहीं है। हालत यह है हर जोन अफसर का पासवर्ड कर्मचारियों के पास है। जब मामला पकड़ा जाता है तो पूरी गलती कर्मचारियों पर डालकर जोन अफसर पाकसाफ हो जाते हैं। एक माॅल का 40 लाख का एरियर मौखिक आदेश पर माफ कर दिया जाता है।

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इस मामले की फाइल ढूंढे से भी नहीं मिल रही है। यह गड़बड़ी इसीलिए हुई है कि निगम में टैक्स का कोई रजिस्टर नहीं है। सब कुछ कंप्यूटर पर ही है। कंप्यूटर आउटसोर्सिंग के कर्मचारी चला रहे हैं। जोन अफसर का आईडी और पासवर्ड भी उन्हीं के पास है।

निगम के टैक्स विभाग में नहीं है फुल प्रूफ व्यवस्था

बरेली नगर निगम के टैक्स विभाग की व्यवस्था फुल प्रूफ नहीं है। चार जोन में बंटे निगम में टैक्स विभाग में बड़े घपले हैं। कुछ उजागर हो चुके हैं। इनमें सबसे ज्यादा चर्चित रामपुर रोड पर कार शो रूम का प्रकरण है। इसमें कर्मचारी ने भव्य शोरूम की जगह व सड़क की चौड़ाई को कम दिखाया। यानी जितना ज्यादा हो सकता था, उतना निगम को राजस्व हानि पहुंचाई गई। शासन ने इस मामले में दो कर अधीक्षकों को निलंबित किया जो अब छह माह बाद बहाल होकर आ गए हैं।

एक अन्य मामला प्रकाश में आया, जिसमें पीलीभीत बाईपास स्थित एक मॉल के 40 लाख के टैक्स को मौखिक आदेश पर माफ कर दिया गया। इसकी फाइल नहीं मिल रही है। इसके बाद भी निगम प्रशासन ने टैक्स व्यवस्था में सुधार की पहल नहीं की है। जोन अफसर के आईडी पासवर्ड आउटसोर्सिंग कर्मचारी के पास हैं। कुछ जोन अफसर कर्मचारियों पर ही आश्रित हैं। वर्ष 19-20 में टैक्स विभाग में कई घपले किए गए। एकता नगर में दो संपत्तियों को मिलाकर एक तो किया गया, साथ ही टैक्स को भी कम कर दिया गया है।

यह होना चाहिए

राजस्व चाहें एक रुपये का हो या 100 का। निगम की टैक्स व्यवस्था को फुलप्रूफ करने के लिए टैक्स का आईडी पासवर्ड नगर आयुक्त और विभागाध्यक्ष के पास ही होना चाहिए, ताकि जोन स्तर से टैक्स की कोई पत्रावली आए तो विभागाध्यक्ष के पास उसका परीक्षण के बाद उसे कंप्यूटर पर दर्ज किया जा सके। मौजूदा समय में जोन अफसरों के पास टैक्स मूल्यांकन की पुरानी सीमा को बरकरार रखते हुए निगम प्रशासन ने इसमें सुधार करने की पहल नहीं की है।

ऐसे में तीन लाख वार्षिक मूल्यांकन वाले टैक्स को जोन स्तर पर ही कम्प्यूटर पर फीड और सुधारा जा रहा है। जानकारों ने बताया कि सिविल लाइंस स्टेशन रोड आइडी नंबर 7906664 में भवन पर एक लाख 35 हजार 70 रुपये बकाया है, जबकि लेजर में अंतिम शेष 0.21 रुपये दर्शाये गये हैं। इस तरह जोन की लिपिक और कर अधीक्षक द्वारा रिकार्ड को दुरुस्त नहीं किया गया और निगम को राजस्व हानि हुई है।

नगर आयुक्त निधि गुप्ता वत्स कह चुकी हैं कि राजस्व को क्षति पहुंचाना अक्षम्य है, लेकिन निगम में टैक्स विभाग के वाणिज्यिक जोन में भवनों की वास्तविक जांच हो तो टैक्स में हेराफेरी और निगम को हानि पहुंचाने की स्थिति सामने आ सकती है।

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