G20 Summit : भारत को मिली G20 की अध्यक्षता, जानिए पीएम मोदी ने क्या कहा?
डिजिटल तकनीक में गरीबी, जलवायु परिवर्तन से मुकाबला करने का सामर्थ्य : मोदी
भारत एक दिसंबर से नई दिल्ली में G-20 समूह के नेताओं के शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा
बाली। आज G20 समिट का दूसरा और आखिरी दिन है। इंडोनेशिया ने G20 की अध्यक्षता भारत को सौंपी दी है। भारत एक दिसंबर से नई दिल्ली में G-20 समूह के नेताओं के शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। दिसम्बर 2022 में इसका इनॉगरल उदयपुर में होगा। राजस्थान के तीन शहर इस बार इस समूह की मेजबानी करेंगे। उदयपुर और जोधपुर के साथ जयपुर में भी कॉन्फ्रेंस होंगी।
इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल प्रौद्योगिकी को समावेशी बना कर गरीबी, जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों का मुकाबला करने और मानव जाति के सामाजिक आर्थिक परावर्तन करने के सामर्थ्य को आज रेखांकित किया। पीएम मोदी ने कहा कि अगले एक साल में भारत ‘विकास के लिए डाटा’ के सिद्धांत पर काम करते हुए इसे कार्यान्वित करने का प्रयास करेंगे। मोदी ने यहां विश्व के आर्थिक रूप से शक्तिशाली 20 देशों के समूह जी-20 के शिखर सम्मेलन के अंतिम सत्र को संबोधित करते हुए यह बात कही।
Addressed the @g20org session on Digital Transformation. Many tech innovations are among the biggest transformations of our era. Technology has emerged as a force multiplier in battling poverty. Digital solutions can show the way to solve global challenges like climate change. pic.twitter.com/yFLX9sUD3p
— Narendra Modi (@narendramodi) November 16, 2022
डिजिटल परावर्तन विषय पर आधारित तीसरे एवं अंतिम सत्र में मोदी ने कहा कि डिजिटल परावर्तन हमारे दौर का सबसे उल्लेखनीय बदलाव है। डिजिटल तकनीकों का उचित उपयोग, गरीबी के खिलाफ दशकों से चल रही वैश्विक लड़ाई मे हमारी ताकत को कई गुना बढ़ा सकता है। डिजिटल समाधान जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई मे भी सहायक हो सकते हैं – जैसा हम सब ने कोविड के दौरान सुदूर कार्यवहन और कागज़ रहित हरित कार्यालय के उदाहरणों मे देखा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ये लाभ हमें तभी मिलेंगे जब डिजिटल पहुंच सच्चे मायने मे समावेशी हो, जब डिजिटल तकनीक का उपयोग सचमुच व्यापक हो। दुर्भाग्य से अभी तक हमने इस शक्तिशाली औज़ार को सिर्फ साधारण व्यापार के मापदंड से ही देखा है, इस पॉवर को लाभ और हानि के बहीखातों मे बांध के रखा है। डिजिटल परावर्तन के लाभ मानवजाति के एक छोटे अंश तक ही सीमित न रह जाएं, यह हम जी-20 नेताओं की जिम्मेदारी है।
Delighted to meet PM @leehsienloong in Bali. We discussed boosting avenues of India-Singapore cooperation in sectors such as the green economy, renewable energy, FinTech and deepening trade relations. Singapore is an important pillar of India’s ‘Act East’ policy. pic.twitter.com/wQN6Wjy2vE
— Narendra Modi (@narendramodi) November 16, 2022
उन्होंने कहा कि भारत के पिछले कुछ साल के अनुभव ने हमें दिखाया है कि अगर हम डिजिटल ढांचे को समावेशी बनाएं, तो इससे सामाजिक आर्थिक परावर्तन लाया जा सकता है। डिजिटल उपयोग मे स्केल और स्पीड लाई जा सकती है। शासन में पारदर्शिता लाई जा सकती है। भारत ने ऐसे डिजिटल पब्लिक प्लेटफॉर्म्स विकसित किए हैं, जिनके मूल बनावट में ही लोकतांत्रिक सिद्धांत निहित हैं। ये समाधान किसी भी तकनीकी बंधन से मुक्त और सार्वजनिक हैं। भारत में आज जो डिजिटल क्रांति चल रही है, उनका आधार हमारी यही अप्रोच है। उदाहरण के तौर पर, हमारा यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) है।
उन्होंने कहा कि पिछले साल, विश्व के 40 प्रतिशत से अधिक भुगतान यूपीआई के जरिए हुए। इसी तरह हमने डिजिटल आइडेंटिटी के आधार पर 46 करोड़ नए बैंक खाते खोले, जिस से भारत आज वित्तीय समावेशन में वैश्विक नेता बन रहा है। महामारी के दौरान भी हमारे ओपन सोर्स कोविन प्लेटफॉर्म ने मानव इतिहास के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान को सफल बनाया। मोदी ने विश्व में डिजिटल विभाजन को समाप्त करने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि भारत में तो हम डिजिटल पहुंच को सार्वजनिक कर रहे हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आज भी एक बहुत बड़ी डिजिटल विभाजन है। विश्व के अधिकतर विकासशील देशों के नागरिकों के पास किसी भी प्रकार की डिजिटल पहचान नहीं है। केवल 50 देशों के पास ही डिजिटल भुगतान प्रणाली मौजूद है।
प्रधानमंत्री ने आह्वान करते हुए कहा, “क्या हम साथ मिल कर यह प्रण ले सकते हैं कि अगले दस सालों मे हम हर मनुष्य के जीवन मे डिजिटल परावर्तन लाएंगे, डिजिटल तकनीक के लाभ से विश्व का कोई व्यक्ति वंचित नहीं रहेगा?” उन्होंने कहा कि अगले साल अपनी जी-20 अध्यक्षता के दौरान भारत सभी जी-20 साझीदारों के साथ इस उद्देश्य के लिए काम करेगा। डाटा फॉर डेवेलेपमेंट यानी विकास के लिए डाटा का सिद्धांत हमारे अध्यक्षीय काल की थीम ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ का अभिन्न अंग रहेगा।
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