रूसी विदेश मंत्री जी20 शिखर सम्मेलन के निर्धारित समापन से पहले बाली से लौटे

रूसी विदेश मंत्री जी20 शिखर सम्मेलन के निर्धारित समापन से पहले बाली से लौटे

बाली। जी20 सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रतिनिधि के रूप में पहुंचे रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव रूस-यूक्रेन युद्ध से उपजीं आर्थिक चुनौतियों के बीच सम्मेलन के निर्धारित समापन से एक दिन पहले बुधवार को बाली से रवाना हो गये। लावरोव की वापसी से कुछ घंटे पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने मंगलवार को वर्चुअल तरीके से जी20 देशों के नेताओं को संबोधित किया और बार-बार समूह को 'जी19' कहकर पुकारा तथा युद्ध पर न्यायपूर्ण तरीके से विराम का आह्वान भी किया। लावरोव की वापसी की मेजबान देश इंडोनेशिया ने पुष्टि कर दी है। यह अभी स्पष्ट नहीं हुआ है कि रूसी विदेश मंत्री के इस कदम का जेलेंस्की के भाषण से कोई लेना-देना है या नहीं। 

जी20 के सदस्य देशों के कामकाजी सत्रों में संवाददाताओं को आने की अनुमति नहीं होती, लेकिन जेलेंस्की का भाषण यूक्रेन की विभिन्न मीडिया वेबसाइट पर उपलब्ध है। पहले इस तरह की अपुष्ट खबरें थीं कि लावरोव बीमार हैं और वह मंगलवार को दो दिवसीय सम्मेलन की शुरुआत से पहले चिकित्सा जांच के लिए बाली के एक अस्पताल गये थे। रूस ने इन खबरों का खंडन किया। सम्मेलन के समापन से कुछ घंटे पहले इस तरह की भी अटकलें थीं कि संयुक्त वक्तव्य में रूस को स्पष्ट रूप से आक्रामक कहा जाएगा या सामान्य तरीके से उससे युद्ध समाप्त करने को कहा जाएगा। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अपने भाषण में यूक्रेन संघर्ष के समाधान के लिए ‘संघर्ष विराम तथा कूटनीति’ के रास्ते पर लौटने का आह्वान किया था। उन्होंने रूस से तेल और गैस की कीमतों में छूट के साथ खरीद के खिलाफ पश्चिमी देशों के आह्वान के बीच ऊर्जा आपूर्ति पर किसी तरह की पाबंदी का विरोध किया था। लावरोव की जल्द वापसी के बारे में रूस की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन इससे यूक्रेन में उसकी सैन्य कार्रवाई को लेकर हो रही आलोचना पर उसके विरोध का संकेत मिलता है। इससे मेजबान देश इंडोनेशिया के लिए भी चीजें आसान हो सकती हैं। इससे पहले खबरें थीं कि जी20 देशों के नेताओं की तस्वीर खींचे जाते समय पश्चिमी देशों के नेता लावरोव के साथ खड़े होने के पक्ष में नहीं थे।
 
जेलेंस्की के भाषण के अनाधिकारिक अंश के अनुसार उन्होंने कहा कि वह ‘विनाशकारी युद्ध’ को संयुक्त राष्ट्र के चार्टर तथा अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर न्यायपूर्ण तरीके से समाप्त होते देखना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि शांति का वैश्विक मूल्य होता है। खबरों के अनुसार उन्होंने यह भी कहा, ‘‘रूस को संयुक्त राष्ट्र महासभा के संबंधित संकल्प और अंतरराष्ट्रीय तौर पर कानूनन बाध्यकारी दस्तावेज की रूपरेखा में यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करनी चाहिए।’’

 जी20 के सदस्य देशों में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ हैं। भारत ने समूह की अध्यक्षता के दौरान इसमें अतिथि देशों के तौर पर बांग्लादेश, मिस्र, मॉरीशस, नीदरलैंड, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन और संयुक्त अरब अमीरात को शामिल कराया है।

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