लखनऊ: सिगरेट का धुआं बढ़ा रहा COPD, जानें विशेषज्ञों की राय

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Published By Jagat Mishra
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लखनऊ, अमृत विचार। विश्व सीओपीडी दिवस के अवसर पर राजधानी लखनऊ में केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर विभाग में सीओपीडी अपडेट 2022 कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर केजीएमयू के कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ बिपिन पुरी मौजूद रहे। वहीं इनके अलावा केजीएमयू के प्रो वाइस चांसलर विनीत शर्मा, केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर के विभागाध्यक्ष डॉ वेद प्रकाश, इरा मेडिकल कॉलेज के पल्मोनरी विभागाध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद, राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ के पूर्व निदेशक ए के त्रिपाठी भी मौजूद रहे।

 विश्व सीओपीडी दिवस हर साल नवम्बर माह के तीसरे बुधवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से मनाया जाता है। सीओपीडी यानी कि क्रॉनिक ओब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज एक निवारण योग्य और उपचार योग्य बीमारी है जो सांस फूलने, बलगम और खांसी के कारण होती है। पूरी दुनिया में यह तीसरी ऐसी बीमारी है जिससे मौते होती हैं। इसके अलावा पूरी दुनिया में सीओपीडी के करीब 300 मिलियन से भी ज्यादा मामले हैं। यह कार्यक्रम सीओपीडी के कारक,लक्षण, इलाज और रोकथाम के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए आयोजित किया गया। वहीं इस मौके पर केजीएमयू के कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ बिपिन पुरी ने सीओपीडी के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए विभाग को बधाई दी और बताया कि कैसे सीओपीडी बीमारी जीवन की गुणवत्ता को कम करके रोगियों के जीवन को प्रभावित कर रही है। उन्होंने आगे कहा कि इस बीमारी के खिलाफ सिर्फ रोकथाम ही सबसे बड़ा हथियार है। इसीलिए धूम्रपान छोड़े, प्रदूषण कम करें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं। 

वहीं इस मौके पर केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर के विभागाध्यक्ष डॉ वेद प्रकाश ने बताया कि इस बीमारी में फेफड़े और सास लेने की नलियां पूरी तरह अंदर से सिकुड़ जाती है। वहीं उन्होंने लोगों से धूम्रपान को तुरंत छोड़ने की सलाह दी और एयर पॉल्यूशन को रोकने की भी सलाह दी। उन्होंने आगे बताया कि इस बीमारी का कोई परमानेंट इलाज नहीं है बल्कि इसे रोका जा सकता है और अंत में जब फेफड़े पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाते हैं तो फेफड़ों का प्रत्यारोपण करना ही एकमात्र इलाज बचता है।

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