चाय बागानों में लैंगिक मसलों पर जागरूकता के लिए कठपुतली का सहारा ले रहे हैं युवा
गुवाहाटी। बाल विवाह और लैंगिक हिंसा जैसी सामाजिक बुराईयों के बारे में असम के यवाओं का एक समूह कठपुतली कार्यक्रम के माध्यम से प्रदेश के चाय बागानों में जागरूकता फैला रहा है, और युवाओं, खासकर, लड़कियों को अपनी औपचारिक शिक्षा पूरी करने के लिए समझा रहा है। गुवाहाटी स्थित एक समूह ‘पपेट पीपल’ के सदस्य महत्वपूर्ण सामाजिक संदेश देने के लिये कहानी कहने के वैकल्पिक तरीके के तौर पर कठपुतली का इस्तेमाल करते हैं । यह समूह चाय बागान के श्रमिकों को इन मुद्दों को बेहतर तरीके से समझाने के लिये ‘गीत एवं नृत्य’ का भी सहारा ले रहे हैं ।
‘पपेट पीपल’ की संस्थापक दृशाना कलिता ने कहा, “हमने पांच से 10 दिसंबर के बीच उदलगुरी जिले के पांच चाय बागानों में 11 कार्यक्रम किए हैं। हम कठपुतलियों के माध्यम से पांच मिनट तक गीत एवं नृत्य की प्रस्तुति देते हैं। इसके बाद कठपुतलियों का उपयोग करके 'अमर आशा' नामक 15 मिनट का नाटक प्रस्तुत करते हैं।”
कठपुतलियों का यह कार्यक्रम लैंगिक हिंसा के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र समर्थित 16 दिवसीय वार्षिक कार्यक्रम का हिस्सा है जो 25 नवंबर को शुरू हुआ था और 10 दिसंबर को संपन्न हो गया। कलिता ने कहा कि पूरे कार्यक्रम को स्थानीय सादरी भाषा में प्रस्तुत किया गया और नाटक के पात्रों को इस तरह से विकसित किया गया कि दर्शक उनसे खुद को जोड़ सकें।
उन्होंने कहा, “चाय बागान क्षेत्रों में लड़कियों के पढ़ाई बीच में छोड़कर कम उम्र में शादी करने का चलन बहुत प्रचलित है। हमारे अपने शोध में हमें इसकी जानकारी मिली है । नाटक की मुख्य पात्र किशोर लड़की आशा है जो एक चाय बागान श्रमिक परिवार से है। इस पात्र के जरिए हम यह दर्शाने की कोशिश करते हैं कि कैसे गलत फैसले जीवन भर की समस्याओं का कारण बन सकते हैं।”
कार्यक्रम की प्रस्तुति बागान के अंदर श्रमिकों के दोपहर के भोजन के समय की जाती थी। इसके बाद शाम में उनके घरों या बागान के अंदर बाजार के चौराहों के पास प्रस्तुति दी जाती थी। कलिता ने कहा, “पहली प्रस्तुति ज्यादातर महिलाओं तक ही सीमित रहती थी। मगर दूसरी प्रस्तुति में मिश्रित दर्शक थे जिसमें बच्चे और पुरुष भी शामिल थे।”
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