लखनऊ: नगर निकाय चुनाव अधिसूचना पर जारी रहेगी रोक

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Published By Jagat Mishra
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लखनऊ, अमृत विचार। प्रदेश के नगर निकाय चुनावों की अधिसूचना पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच द्वारा लगाई गई रोक बुधवार तक के लिए बढ़ा दी गई है। मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से दी गई सफाई पर न्यायालय ने कहा कि सरकार को यह समझना होगा कि ओबीसी आरक्षण लागू करने की प्रक्रिया एक संवैधानिक व्यवस्था है। मामले में बुधवार को पुनः सुनवाई होगी।

यह आदेश न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की खंडपीठ ने वैभव पांडेय की याचिका पर पारित किया। राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार शाही और अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता अमिताभ राय ने पक्ष रखा। सरकार की ओर से मामले पर सफाई दी गई कि 5 दिसम्बर 2022 को जारी ड्राफ्ट नोटिफिकेशन में सीटों का आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक न हो इस बात का पूरा ख्याल रखा गया है। इस पर न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय के सम्बंधित निर्णय व संविधान का अनुच्छेद 16(4) पढ़ने को कहा। न्यायालय ने कहा कि न सिर्फ शीर्ष अदालत का निर्णय बल्कि संविधान की भी यही व्यवस्था है कि ओबीसी आरक्षण जारी करने से पहले पिछड़ेपन का अध्ययन किया जाए। न्यायालय ने सरकार को यह भी ताकीद किया है कि अध्ययन का अर्थ रैपिड सर्वे नहीं होना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि वर्तमान याचिका में सर्वोच्च न्यायालय के सुरेश महाजन मामले के निर्णय का हवाला देते हुए कहा गया है कि स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण जारी करने से पहले ट्रिपल टेस्ट किया जाना चाहिए जबकि इसे की बिना 5 दिसम्बर 2022 को सरकार ने निकाय चुनावों के लिए ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी कर दिया। याचिका पर सुनवाई के उपरांत 12 दिसम्बर को न्यायालय ने उक्त ड्राफ्ट नोटिफिकेशन के साथ-साथ चुनाव की अधिसूचना जारी की जाने पर भी रोक लगा दी। 

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