बरेली: शहामतगंज पुल के चार साल...श्रेय लेने को सपा नेताओं में फेसबुक वार

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Published By Moazzam Beg
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सुरेश पांडेय, बरेली, अमृत विचार। नगरीय निकाय चुनाव की तैयारियां चल रही हैं। सपा नेता भी महापौर पद की दावेदारी करने की तैयारी में जुटे हैं। इस बीच कई वरिष्ठ सपा नेताओं के बीच सोशल मीडिया पर शहामतगंज पुल को लेकर खींचतान मची है, जबकि इस पुल का निर्माण हुए करीब चार साल हो चुके हैं। सपा शासनकाल में बने शहर की लाइफ लाइन कहे जाने वाले शाहमतगंज पुल निर्माण का श्रेय लेने को लेकर नेताओं में फेसबुक वार छिड़ा है।

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अखिलेश यादव के करीबी रहे एक सपा नेता अब पाला बदलकर भाजपा में चले गए हैं, इसलिए पुल का श्रेय लेने की यह होड़ चुनाव के दौरान खास मायने रख रही है। अब निकाय चुनाव से पहले श्रेय लेने का पिटारा सोशल मीडिया पर खुला तो शहर की राजनीति गरमा गई है। एक नेता ने कहा कि आईजीसीएल के मैच में पुल मंजूर नहीं होते हैं, लेकिन मैंने शहामतगंज पुल मंजूर कराया। दूसरे नेता पुल निर्माण को अकेले खुद बनवाने का दावा करते हैं तो तीसरे नेता जी ने कहा कि उनके पत्र पर मुख्यमंत्री ने शहामतगंज पुल बनवाने की मंजूरी दी। अब पुल निर्माण में किसका योगदान है, यह जनता ही तय कर सकती है, लेकिन सोशल मीडिया पर चल रही खींचतान की राजनैतिक गलियारों में खूब चर्चा हो रही है।

अकेले मैंने बनवाया शहामतगंज पुल: डा. तोमर
पूर्व मेयर डा. आईएस तोमर ने नगर निगम के कार्यों पर हुए एक साक्षात्कार में कहा था कि नगर निगम का काम जनता की सुविधा के लिए बिजली, पानी और स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था करवाना है। उन्होंने अपने कार्यकाल में हुए शाहमतगंज पुल निर्माण को लेकर कहा कि यह पुल उन्होंने अकेले बनवाया है। कोई दूसरा व्यक्ति नहीं है जो यह कह सके कि पुल निर्माण में उसने योगदान दिया। उनके अलावा यदि कोई नेता है तो वह अखिलेश यादव हैं, जिन्होंने पुल निर्माण के लिए बजट जारी कराया। 

डा. तोमर ने कहा है कि जो पुल मैंने बनवाया, वही पुल अब शहर की लाइफलाइन बना है। यह साक्षात्कार सोशल मीडिया पर आया तो पुल का श्रेय लेने की होड़ मच गई। पूर्व मेयर डा. तोमर ने यह भी कहा कि मौजूदा बोर्ड में नगर निगम में भ्रष्टाचार हुआ है। कोई ये बताए क्या जो काम इस दौरान किये गए, वे पहले कभी नहीं हुए। क्या पहले लोग जंगलों में रहते थे। सड़कों पर जो लाइटें लगाई हैं, उनमें भ्रष्टाचार हुआ है। पूर्व मेयर डा. तोमर ने बताया कि नगर निगम ने जो कार्य कराए हैं, उनकी यदि जांच हो जाए तो कई लोगों पर आंच आएगी। कई पूर्व अफसर भी इसके लपेटे में आएंगे।

मैंने ही पुल मंजूर कराया और पूरा सहयोग किया: डा. सत्येन्द्र
हड्डी रोग के विशेषज्ञ डा. सत्येन्द्र सिंह का कहना है कि मुझे सैफई में आईजीसीएल के मैच में बुलाया गया था। डॉ. देवेन्द्र सिंह ने मुझसे कहा कि हो सके तो डा. तोमर को भी लेते जाएं, वे पुल के लिए लिखकर दे आए हैं लेकिन मुख्यमंत्री उन्हें बुला नहीं रहे हैं। डा. सत्येन्द्र ने कहा कि पुल के लिए तो मैंने पहले से ही प्रस्ताव दे रखा था फिर भी मैंने सीएम से उन्हें साथ लाने की अनुमति ली और साथ लेकर गए थे। मैच में पुल की मंजूरी हुई।

डॉ. तोमर को लेकर मैं दोबारा लखनऊ गया। वार्ता हुई। चलने लगे तो मैंने ही कहा कि बड़ा काम हुआ है फोटो तो होनी ही चाहिए। तब अखिलेश ने पास पड़ी खाली फाइल उठाकर फोटो करवाई। यह फोटो अनुराग भदौरिया ने ली थी। पुल में मैंने पूरा सहयोग किया था। मैंने ही कुदेशिया पुल मंजूर करवाया। इसमें भी डा. तोमर ने बाधा डाली थी।

मेरा पत्र ही पुल की असलियत बताएगा : भगवत
तत्कालीन लघु उद्योग एवं निर्यात प्रोत्साहन राज्य मंत्री भगवत सरन गंगवार ने बताया कि शाहामतगंज पुल निर्माण की नींव मेरे द्वारा ही रखी गई थी, लेकिन मैंने कभी इसका शोर नहीं मचाया। मैंने ही तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को 4 अगस्त 2012 को पुल निर्माण की जरूरत बताते हुए पत्र लिखा था। सड़कें संकरी होने के कारण शहामतगंज पुल की जरूरत बताई थी। 

इस पर मुख्यमंत्री के विशेष सचिव जुहेर बिन सगीर ने 5 अगस्त 2012 को प्रमुख सचिव लोक निर्माण को पत्र भेजा था, जिसमें मेरे ही पत्र पर प्रभावी कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए थे। जब पुल मंजूर हो गया तो मैं ही पहला व्यक्ति था, जो ब्रिज कार्पोरेशन के अफसरों के साथ शहामतगंज चौकी वाले चौराहे की साइट पर गया था। मैं किसी बात का श्रेय नहीं ले रहा लेकिन मेरे पत्र के पहले कोई मंजूरी हुई तो सामने आनी चाहिए।

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