कुकरैल नदी की स्वच्छता एवं सौंदर्य दे रहे विदेशी मेहमानों को आमंत्रण

Amrit Vichar Network
Published By Vinay Shukla
On

मेहमान परिंदो के कलरव से गुलजार हुआ कुकरैल, हर साल यहां पहुंचते हैं अलग-अलग प्रजातियों के लाखों विदेशी पक्षी

अखंड प्रकाश शुक्ल, लखनऊ। सर्दी आते ही लखनऊ एवं इसके समीपवर्ती इलाके प्रवासी पक्षियों से गुलजार हो गये हैं। लखनऊ के कुकरैल वन क्षेत्र स्थित गोमती की सहायक कुकरैल नदी क्षेत्र में देश के विभिन्न राज्यों के साथ लाखों की संख्या में विदेश पक्षी हजारों मील का सफर तय कर भोजन की तलाश में पहुंचे हैं। गर्मी शुरू होने तक ये यहीं रहेंगे। स्वच्छ प्राकृतिक वातावरण के बीच नदी की धाराओं से इनकी अठखेलियां और आसमान में इनकी कलाबाजियां दर्शकों का मन मोहने को विवश कर रही है।

मेहमान परिंदों के आकर्षण का मुख्य कारण कुकरैल का स्वच्छ वातावरण और प्राकृतिक संपदा है। कुकरैल वन क्षेत्र के पांच किलोमीटर क्षेत्र में फैली इस नदी के आस पास सौ से अधिक प्राजाति के विदेशी पक्षी पहुंचे हैं। इन पक्षियों में फेरोजीनस पोचर्ड, नार्थन पिनफाल और कानन टेल शामिल है।

ये मेहमान यूरोप, साइबेरिया, मलेशिया और मध्य एशिया से आये हैं। वहीं चीन, यूरोप और मध्य एशिया के साथ करीब दस देशों के 50 प्रजाति के दस हजार मेहमान आये हैं। इन विदेशी पक्षियों के साथ करीब पांच हजार स्वदेशी पक्षी भी यहां पहुंचे हैं। ये दक्षिणा भारत, गुजरात, कर्नाटक और हिमांचल प्रदेश से आये हैं। इन पक्षियों में रसिन, बरूआ, पलिकाल, बरहेडिल, स्पूनबिल, पिगटल, कामेंटिक और ओहन प्रमुख रूप से शामिल हैं।

ये था कुकरैल की स्थापना का उद्देश्य

कुकरैल संरक्षित वन क्षेत्र की स्थापना वर्ष 1978 में उत्तर प्रदेश वन विभाग और भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के संयुक्त प्रयास से हुआ था। केंद्र की स्थापना का विचार 1975 में संयुक्त राष्ट्र संघ के संस्थान प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण हेतु अंतर्राष्ट्रीय संघ की उस रिपोर्ट के बाद आया, जिसमें कहा गया था कि उत्तर प्रदेश की नदियों में मात्र 300 मगरमच्छ ही जीवित बचे हैं।

मगरमच्छों के संरक्षण के लिए कुकरैल संरक्षित वन क्षेत्र को विकसित किया गया। आजकल यह एक पिकनिक स्थल के रूप में लोकप्रिय हो रहा है। यहां हर साल भारी संख्या में विदेशी पक्षियां प्रवास के लिए आती हैं।

 अवध वन प्रभाग के  प्रभागीय वन अधिकारी डॉ. रवि कुमार सिंह के मुताबिक, कुकरैल वन क्षेत्र में स्थित गोमती की सहायक इकाई कुकरैल नदी के आस-पास करीब सौ से अधिक प्रजाति की लाखों पक्षियां कई देशों से आई हुई हैं।

इन पक्षियों में देश के विभिन्न राज्यों की पक्षी भी शामिल हैं। ये प्रति वर्ष सर्दी की शुरूआत में भोजन की तलाश में आती हैं। जैसे ही गर्मी दस्तक देती है ये वापस अपने वतन को उड़ जाते हैं।

यह भी पढ़ें:-लखनऊ : समिट बिल्डिंग के पास किन्नरों का हाईवोल्टेज ड्रामा, वीडियो वायरल

,,

 

संबंधित समाचार