मुरादाबाद : अप्रशिक्षित हाथों में बहुमंजिला इमारतों की सुरक्षा की कमान, खतरे में लोगों की जान
अधिकारों की अंधेरगर्दी : अग्नि सुरक्षाधिकारियों की नियुक्ति पर अग्निशमन विभाग लापरवाह
दीनदयाल नगर स्थित अपार्टमेंट।
मुरादाबाद,अमृत विचार। महानगर में हाई राइज बिल्डिंग की सुरक्षा भगवान भरोसे है। कागजी खानापूर्ति करते हुए बिल्डरों ने भले ही अग्निशमन विभाग की एनओसी हथियान ली, लेकिन बहुतायत इमारतों व व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में सुरक्षा के तय मानक अभी भी पूरे नहीं हैं। अधिकांश ऐसी इमारतों की सुरक्षा अप्रशिक्षित हाथों में है। दिलचस्प बात यह है कि हाई राइज बिल्डिंग की सुरक्षा में चूक को अग्निशमन विभाग भी स्वीकारने से गुरेज नहीं करता।
यूपी फायर एंड इमरजेंसी सर्विस अध्यादेश नवंबर 2022 के तहत हाई राइज बिल्डिंग व कामर्शियल भवनों में की सुरक्षा चाक चौबंद करने की कोशिश की गई है। शासन लगातार सुनिश्चित करने की कोशिश में जुटा है कि ऊंचे व बड़े भवनों में आग लगने की दशा में जान व माल की क्षति न के बराबर हो। यही वजह है कि बाकायदा बिल जारी करते हुए सभी बड़े भवनों व बिल्डिंग में अग्नि सुरक्षा अधिकारी तैनाती करने के निर्देश दिए गए हैं। हालांकि शासन का यह आदेश नया नहीं है। पूर्व में भी कई बार अग्निशमन विभाग के उच्चाधिकारियों ने आदेश देते हुए ऊंची इमारतों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के आदेश मातहतों को दे चुके हैं। इसके तहत बिल्डिंग में तैनात होने वाले अग्नि सुरक्षा अधिकारी को परीक्षण से गुजरना होगा।
टेस्ट में पास अधिकारी ही भवनों की सुरक्षा में नियुक्ति पाने का पात्र होगा। सुरक्षाधिकारी के खर्च का वहन भवन मालिक को ही उठाना होगा। ऊंची बिल्डिंग व कामर्शियल भवनों में अग्नि सुरक्षा अधिकारी की नियुक्ति न होने की दशा में भवन स्वामी से जुर्माना तक वसूलने का प्राविधान है। लापरवाही उजागर होने पर अग्नि सुरक्षा एक्ट के तहत कार्रवाई भी होगी। एक्ट के तहत बिल्डर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने तक का प्राविधान है।
गले की फांस बनेगी मानक के विपरीत जारी एनओसी
महानगर में ऊंचे भवनों के साथ ही कई ऐसे स्कूल, कालेज व कोचिंग संस्थान हैं, जो घनी रिहायश के बीच हैं। वहां प्रबंधन अग्नि सुरक्षा के मानक पूरे नहीं करता। मगर अग्निशमन विभाग थोक के भाव एनओसी जारी कर रहा है। ताजा मामला सिविल लाइंस थाना क्षेत्र का है। सिविल लाइंस क्षेत्र में महज तीन मीटर यानी कि 10 फीट की सड़क पर एक ऐसा शिक्षण संस्थान है, जिसका प्रबंध तंत्र बीते चार वर्षों में विविध रूपों में अग्निशमन विभाग के सामने पेश हुआ। रिहायशी क्षेत्र में पहले स्कूल फिर कोचिंग संस्था चलाने की अनुमति मांगने वाले प्रबंध तंत्र को न सिर्फ फायर दफ्तर बल्कि उच्च प्रशासनिक अधिकारियों के साथ ही हाईकोर्ट तक में मुह की खानी पड़ी। मानक पूरे न होने के कारण उच्च न्यायालय तक ने एनओसी जारी करने पर रोक लगा दी, फिर भी प्रबंध तंत्र ने हार नहीं मानी। दबी जुबान बताया जा रहा है कि अग्निशमन विभाग ने उक्त संस्थान को अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर दिया है।
कागज तक सिमटी सिक्योरिटी
अग्नि सुरक्षाधिकारी आरके सिंह बताते हैं कि कागजी तौर पर महानगर में अधिकांश हाई राइज बिल्डिंग में अग्नि सुरक्षाधिकारी की नियुक्ति की गई है। लेकिन सच यह है कि अधिकांश प्रशिक्षित नहीं हैं। अधिकारियों के पास फायर की डिग्री भी नहीं है। जबकि, सुरक्षाधिकारी के लिए फायर से डिप्लोमा करना अनिवार्य होता है। टीएमयू व एपेक्स हास्पिटल में फायर की पूरी टीम नियुक्त है। जबकि, कुछ बिल्डरों ने इलेक्ट्रिशियन को सिक्योरिटी अफसर के रूप में नियुक्त किया है। नए सिरे से सुरक्षाधिकारियों की नियुक्ति की जांच की जाएगी। ऐसे भवनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अग्नि सुरक्षाधिकारी की तैनाती सुनिश्चित की जाएगी।
