बरेली: ठंड का लें आनंद नहीं तो घेर लेगा Depression, ये हैं लक्षण

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Published By Vishal Singh
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40 से 50 रोगी दिसंबर से लेकर अब तक मन कक्ष में पहुंचे

बरेली, अमृत विचार। शीतलहर के साथ भीषण ठंड का प्रकोप जारी है। क्या आपको पता है कि मौसम के इस बदलाव का लुत्फ न लेना आपको अवसाद यानी डिप्रेशन से ग्रसित कर सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक मौसम बदलने पर पल-पल इंसान के मूड में बदलाव होता है। अन्य मौसमों के मुकाबले इन दिनों ज्यादा उदासी महसूस होती है।

जिला अस्पताल के मनोचिकित्सक डा. आशीष के मुताबिक सर्दी में डिप्रेशन बढ़ने का कारण सीधे तौर पर मौसम से जुड़ा होता है। इसे सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर कहते हैं। सर्दियों में होने वाले डिप्रेशन की पहली वजह होती है कि इन दिनों धूप का कम निकलना। इस कारण ब्रेन में सेरेटोनिन हॉर्मोन का सीक्रेशन प्रभावित होता है। यह एक मूड लाइटनिंग हॉर्मोन होता है, जिसे हैपी हॉर्मोन के नाम से भी जाना जाता है। यह ब्रेन के लिए न्यूरोट्रांसमीटर के रूप में भी काम करता है और मूड को सीधे तौर पर प्रभावित करता है। इसका स्तर कम होने से मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ता है और डिप्रेशन के लक्षण बढ़ने लगते हैं। इसे सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर भी कहा जाता है।

उन्होंने बताया कि दूसरा कारण यह है कि सर्दी हमारे शरीर के लिए तनाव की तरह होती है। ठंड के असर को कम करने के लिए शरीर खुद को गर्म रखने का प्रयास करता है। इसके लिए शरीर को अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट को बर्न करना होता है और जब शरीर में कार्बोहाइड्रेट अधिक मात्रा में बर्न होता है तो कार्टिसोल का उत्सर्जन यानी सीक्रेशन बढ़ जाता है। कार्टिसोल नेगेटिव हॉर्मोन है, जो डिप्रेशन के लिए जिम्मेदार होता है। इस कारण सर्दी में जब कार्टिसोल की मात्रा शरीर के अंदर बढ़ने लगती है तो बड़ी संख्या में लोग उदास और अवसादग्रस्त महसूस करने लगते हैं। ठंड में जिला अस्पताल में डिप्रेशन के लगभग 20 प्रतिशत मरीज बढ़ जाते हैं। जिला अस्पताल स्थित मन कक्ष में दिसंबर से लेकर अब तक इससे जुड़े 40 से 50 मरीज आ चुके हैं।

ये भी बन रहा कारण
मनोवैज्ञानिक खुशअदा ने बताया कि सर्दियों में मूड स्विंग की समस्या बढ़ जाती है, क्योंकि सूरज की रोशनी कम होने और आसमान में काले बादल छाए रहने से दिमाग में सेरॉटोनिन केमिकल का निर्माण कम होता है, जिसका सीधा असर मूड पर पड़ता है। जब यह कम बनता है तो मूड नॉर्मल नहीं रह पाता। इससे व्यक्ति को उदासी, बेचैनी और डिप्रेशन होने लगता है। कुछ लोगों पर यह केमिकल ज्यादा असर करता है और कुछ पर कोई असर नहीं पड़ता।

डिप्रेशन से कैसे बचें

  • ज्यादा से ज्यादा धूप में बैठने का प्रयास करें
  • सोने और जागने का समय निश्चित रखें
  • गलत विचारों से बचने के लिए मेडिटेशन करें
  • संगीत सुनें, किताबें पढ़ें और सिनेमा देखें
  • व्यायाम करें, ताकि मूड बदलने में मदद मिल सके
  • बागवानी करें, परिवार के साथ वक्त बिताएं
  • सप्ताह में कम से कम एक दिन किसी भी खुले स्थान जैसे पार्क में परिवारवालों के साथ वक्त बिताएं और बागवानी करें।

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