हर साल बाढ़ के कारण शरणार्थियों वाला जीवन बिताती हैं असम के धेमाजी जिले की महिलांए 

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Published By Ashpreet
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धेमाजी (असम)। असम के धेमाजी जिले में महिलाओं के लिए हर साल घरों का पुनर्निर्माण, बच्चों व पशुओं को एक नई जगह पर बसाना एक बड़ी समस्या बन गई है, क्योंकि हर साल बाढ़ उन्हें शरणार्थी बना देती है। इनमें से ज्यादातर महिलाओं के पति प्रवासी मजदूर हैं जो दूर शहरों या खेतों में रहते हैं।

वे अक्सर उस बाढ़ के प्रभाव से अनजान रहते हैं जो उनके घरों और कभी-कभी परिवार के सदस्यों को बहा ले जाती है। शक्तिशाली ब्रह्मपुत्र और इसकी 26 सहायक नदियां जिले के 1200 गांवों में भूमि के विशाल भूभाग को जलमग्न कर देती हैं।

हर साल वह अप्रैल से अक्टूबर तक जलमग्न रहते हैं। तीन-चार बार बाढ़ आने से लोग आश्रय स्थलों व अन्य सुरक्षित स्थानों पर पनाह लेने को मजबूर हो जाते हैं जिनमें से कई दोबारा कभी अपने घर नहीं लौटते। अजरबाड़ी गांव की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता जुनाली हजोंग ने एक न्यूज एजेंसी से कहा,  बाढ़ के दौरान लगभग हर साल बच्चों व मवेशियों के साथ अपने घर छोड़ने पड़ते हैं।

जब हम लौटते हैं तब हमें या तो अपने मकानों को दोबारा बनाना पड़ता है या कोई नई जगह तलाशनी पड़ती है। ग्रामीण धेमाजी जिले के अधिकतर घर बांस के खंभों पर बने होते हैं, जिन्हें स्थानीय रूप से  चांग घर कहा जाता है। लोग घर के अंदर रहते हैं जबकि पशुओं को नीचे रखा जाता है। हालांकि, बाढ़ के दौरान, जानवरों को बह जाने से बचाने के लिए उन्हें भी घर के अंदर रखना पड़ता है।

बाढ़ के समय जब घर में रहना मुश्किल हो जाता है तो लोग तटबंध इलाकों की ओर चले जाते हैं और पानी कम होने पर घर लौट आते हैं। मेडीपौमा गांव की गृहिणी बिनीता डोले ने कहा, कुछ लोग वापस नहीं आते हैं और दूरदराज के इलाकों में इस उम्मीद में बस जाते हैं कि उन क्षेत्रों में बाढ़ का प्रभाव कम गंभीर होगा।

उन्होंने कहा, बाढ़ हमारे लिए जीवन का एक हिस्सा है लेकिन हमें अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। महिलाओं को बाढ़ के मौसम में और उसके बाद जिले में कई अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

इस क्षेत्र में 32 प्रतिशत लड़कियों की शादी 18 वर्ष से पहले ही करा दी जाती है। सुमिता पेगू ने कहा, बाढ़ के दौरान, हम स्वच्छता की समस्या से जूझते हैं, खासकर गर्भवती महिलाएं, और मासिक धर्म के दौरान.... इसके अलावा उचित पोषण और बच्चों की सुरक्षा भी बड़ा मुद्दा है।

पानी घटने के बाद, खेत खेती के लायक नहीं रह जाते और हम सीमित उपज पर निर्भर नहीं रह सकते। वहीं हमारे आदमी पैसे कमाने के लिए घर छोड़ने को मजबूर हैं। धेमाजी की बाढ़ प्रभावित महिलाओं की समस्याओं को कम करने के लिए सरकार ने भी कई कदम उठाए हैं।

असम राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के एक अधिकारी मोंटेस्क डोले ने कहा, आय सृजन की सुविधा के लिए सरकार उन्हें स्वयं सहायता समूह बनाने में मदद करती है। उन्हें सूत और उन्नत बीज प्रदान करती है और आजीविका प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करती है।

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