बरेली: फसलों पर पड़ रही मौसम की मार, बढ़ी किसानों की चिंता

पहले अधिक गर्मी से धान, अब सर्दी और पाले से आलू व अन्य फसलें प्रभावित

बरेली: फसलों पर पड़ रही मौसम की मार, बढ़ी किसानों की चिंता

बरेली, अमृत विचार। पहले अधिक गर्मी और बारिश से किसान परेशान थे। अब मौसम में लगातार बदलाव और पाला पड़ने से किसान चिंता में डूब गए हैं। खासकर आलू, चना, सरसों और सब्जी की फसलों पर विभिन्न रोगों का खतरा मंडरा रहा है। इन दिनों माहू, झुलसा आदि रोग फसलों को प्रभावित करते हैं। कृषि विशेषज्ञों को कहना है कि अभी खेतों में पाला व झुलसा रोग के लक्षण कुछ ही जगह देखने को मिल रहे हैं। इसलिए समय रहते बचाव के उपाय कर लेना चाहिए।

कृषि विभाग के अफसरों का कहना है कि किसानों को प्रत्येक वर्ष जागरूक किया जाता है, लेकिन ठंड के सीजन में रबी की 20 से 30 फीसदी फसलें प्रभावित हो ही जाती हैं। नवाबगंज, बहेड़ी समेत कुछ जगहों पर आलू में झुलसा रोग लग रहा है। झुलसा एक फफूंदी जनित रोग है, जो दो प्रकार का होता है। पहला शाखाओं के भागों को प्रभावित करता है, जिसमें जिसमें पत्तियों में गोल-गोल रिंग आकार के संरचना बनने लगती है। उस स्थान पर पत्तियां गलने लगती हैं और गोलाकार रूप में आगे बढ़ने लगती हैं। यह अल्टरनेरिया नामक फफूंदी से होता है, जिसे अल्टरनेरिया ब्लाइट भी कहते हैं। यह पत्तियों के भोजन बनाने वाले क्षेत्र को कम कर देता है, जिससे भोजन बनने की प्रक्रिया कम हो जाती है, जिससे उत्पादन प्रभावित होता है। 

वहीं पछेती झुलसा फाइटोफ्थोरा नामक फफूंद से होता है। यह पौधों को अंदर से संक्रमित करता है और बहुत तेजी से बढ़ता है। जब तापमान में कमी होती है और आसमान में बादल छाए होते हैं और हल्की बूंदाबांदी होती है तो यह बीमारी बहुत तेजी से फैलती है। एक सप्ताह के अंदर संपूर्ण फसल झुलस कर नीचे की ओर लटक जाती है। देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि फसल को जला दिया गया हो। इससे गुणवत्ता एवं उत्पादकता दोनों 20 प्रतिशत से लेकर कर 100 प्रतिशत तक प्रभावित हो सकती है।

झुलसा व माहू रोग का बढ़ा खतरा
जिला कृषि रक्षा अधिकारी अर्चना प्रकाश ने फसलों को रोगों से बचाव को किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है। उनके मुताबिक तापमान में परिवर्तन की वजह से आलू में झुलसा व सरसों में माहू रोग का खतरा बढ़ जाता है। आलू को झुलसा रोग से बचाव के लिए कॉपर आक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत, डब्ल्यूपी की 2.5 किग्रा मात्रा या मैकोनेब 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी की 2 किग्रा 500 से 700 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। सरसों में माहू से निजात पाने के लिए किसान नीम ऑयल के घोल का प्रयोग कर सकते हैं। फसलों की हल्की सिंचाई भी करते रहें। इससे फसलों को झुलसा रोग एवं पाले से बचाया जा सकता है।

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