गुणवत्ता और प्रतिद्वंद्विता

गुणवत्ता और प्रतिद्वंद्विता

सीमा पर चीन और भारत की सेनाओं के बीच गतिरोध और बदलते क्षेत्रीय सुरक्षा समीकरणों ने भारत को सैन्य सुधार एवं आधुनिकीकरण में तेजी लाने के लिए बाध्य किया। सरकार ने सैन्यबलों, उच्च गुणवत्ता उत्पादन और किफायती हथियार प्रणाली को अत्याधुनिक बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं।

इस समय सेना के आधुनिकीकरण की कुल 93 परियोजनाएं चल रही हैं जिनकी प्रगति विभिन्न चरणों में है। इनके तहत कुल 1.37 लाख करोड़ रुपये के हथियारों और उपकरणों की खरीद होनी है। रविवार को  बेंगलुरु में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सभी प्रमुख सशस्त्र बलों का आधुनिकीकरण किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि हम अपने सुरक्षा तंत्र को बढ़ाएंगे। साथ ही रक्षामंत्री ने सशस्त्र बलों से रूस-यूक्रेन युद्ध से सबक लेकर भविष्य के लिए तैयार रहने का आह्वान किया। ध्यान रहे रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़े 11 माह हो चुके हैं और फिलहाल इसके थमने के कोई आसार नहीं दिखते। पिछले कई दशकों के बाद यह पहला ऐसा युद्ध है, जो पारंपरिक और गैर पारंपरिक हथियारों के उपयोग के बीच इतने बड़े पैमाने पर लड़ा जा रहा है। यह युद्ध जितना सामरिक और सैन्य योजनाकारों के लिए अध्ययन का विषय है, उतना ही नेताओं और अर्थशास्त्रियों के लिए भी है।

भारत को पड़ोसी देशों से मिल रही सैन्य चुनौतियों से निपटने के लिए भी बड़े पैमाने पर सैन्य तैनाती या हस्तक्षेप की आवश्यकता पड़ सकती है। महत्वपूर्ण है कि सेना दिवस के अवसर पर थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने कहा कि भारतीय सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर एक मजबूत रक्षात्मक रुख अपनाए हुए है और वह हर प्रकार की आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं।

पिछले पांच वर्षों के दौरान रक्षा निर्यात में 334 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है और अब भारत 75 से अधिक देशों को हथियार निर्यात कर रहा है। देश में निर्यात की उपलब्धि भारतीय रक्षा उत्पादों की गुणवत्ता और प्रतिद्वंद्विता का प्रतीक है। यूक्रेन युद्ध में रूसी सेना का प्रदर्शन भारतीय सेना के लिए काफी मायने रखता है, क्योंकि हमारी सेना के पास अधिकांश हथियार रूस से ही आते हैं।

इस युद्ध में भी ड्रोन ने अपनी मौलिक भूमिका एक बार पुन: निभाई है। भारत जटिल सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए मजबूती से सैन्यीकरण में जुटा है। इसके लिए हमें रक्षा खर्च में वृद्धि करने की भी जरूरत है। ऐसा करते हुए हम प्राथमिकता के साथ उभरती तकनीक को देख सकते हैं, ताकि वह पुरानी पीढ़ी के हथियारों की जगह ले सकें।