बरेली: मंत्री जी का सपना चिड़ियाघर... मानकों के पिंजड़े में फंसे अफसर

बरेली: मंत्री जी का सपना चिड़ियाघर... मानकों के पिंजड़े में फंसे अफसर

बरेली, अमृत विचार। वन मंत्री डॉ. अरुण कुमार अपने गृहनगर बरेली को अपने कार्यकाल की यादगार के तौर पर स्माल जू यानी लघु चिड़ियाघर की सौगात देना चाहते हैं लेकिन उनकी यह मंशा वन विभाग के अफसरों पर फिलहाल भारी पड़ रही है। सीबीगंज में स्माल जू के लिए चिह्नित की गई वन विभाग की रिसर्च विंग की 60 हेक्टेयर जमीन पर लखनऊ से आई आर्किटेक्ट्स की टीम सर्वे कर चुकी है, लेकिन इसके बावजूद यह प्रोजेक्ट अब तक मानकों के फेर में उलझा हुआ है।

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विभागीय मंत्री की मंशा पूरी करने के लिए वन विभाग के अफसर कई दिनों से जीतोड़ कोशिश कर रहे हैं लेकिन अब तक स्मॉल जू का रास्ता साफ होता नजर नहीं आ रहा है। दरअसल, सेंट्रल जू अथॉरिटी ने अब तक कई बार पत्राचार के बावजूद बरेली में स्मॉल जू के प्रोजेक्ट को हरी झंडी देने में बहुत ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई है। मानकों के अड़ंगे की वजह से भी प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ पा रहा है। यही वजह है कि सीबीगंज में वन विभाग की ही 60 हेक्टेयर जमीन उपलब्ध होने के बावजूद स्मॉल जू प्रोजेक्ट पर कोई तस्वीर साफ नहीं हो सकी है, जबकि यह जमीन देश के कई दूसरे स्मॉल जू के क्षेत्रफल से काफी ज्यादा है।

वन संरक्षक विजय सिंह के मुताबिक सीबीगंज में जमीन चिन्हित करने के बाद मंझा में ग्राम समाज जमीन पर भी स्मॉल जू की संभावनाएं तलाश करने का फैसला लिया गया है। एक-दो दिन में वह इस जमीन का निरीक्षण करेंगे। हालांकि अभी पुख्ता तौर पर जमीन की उपयुक्तता के बारे में कुछ कहने की स्थिति नहीं है। मानकों के अनुरूप जमीन मिलने और उसे अंतिम स्वीकृति मिलने के बाद ही यह प्रक्रिया आगे बढ़ पाएगी। दरअसल, अधिकारियों की प्राथमिकता है कि चिड़ियाघर शहर से नजदीक हो। वन विभाग की रिसर्च विंग की जो जमीन तलाशी गई है, वह सीबीगंज के खलीलपुर ब्लॉक की है। इसके लिए फॉरेस्ट रिसर्च विंग से मंजूरी भी मांग ली गई है।

इससे पहले आईवीआरआई कैंपस में चिड़ियाघर विकसित करने का प्रस्ताव भेजा गया था मगर उस पर भी बात नहीं बन पाई। प्रभागीय वनाधिकारी समीर कुमार ने बताया कि चिड़ियाघर का सर्वे करने के लिए हाल ही में लखनऊ से आर्किटेक्ट्स की टीम आई थी जिसने सीबीगंज में जमीन देखी है। हालांकि अभी दूसरे स्थानों पर भी जमीन की तलाश की जा रही है। केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की गाइड लाइन के मुताबिक फिजिबिलिटी रिपोर्ट भी तैयार की जा रही है।

अब तक की कवायद का कोई ठोस नतीजा नहीं
वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण के मानकों अनुसार स्मॉल, मीडियम और लार्ज समेत तीन अलग-अलग श्रेणी के चिड़ियाघर बनाए जाते हैं। नए मानकों के अनुसार मीडियम जू बनाने के लिए ज्यादा जमीन की जरूरत है। बरेली में अब तक जो जमीने देखी गईं हैं वहां स्मॉल श्रेणी का जू ही बनाया जा सकता है। वन विभाग के सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण बरेली में स्मॉल जू को अनुमति देने में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखा रहा। इसकी वजह से अब तक की गई सारी कवायद बेनतीजा नजर आ रही है। मानकों के अनुरूप ज्यादा जमीन मिलने के बाद ही बरेली में चिड़ियाघर के लिए कोई ठोस संभावना बन पाएगी।

इन बिंदुओं पर तैयार करनी है रिपोर्ट
-वन विभाग से चिड़ियाघर के मूलभूत ढांचे का खाका मांगा गया है।
-वन्यजीवों को जहां रखा जाएगा, उन स्थानों के बारे में जानकारी।
-चिड़ियाघर में किस-किस प्रजाति के वन्यजीव रहेंगे, इस पर मंथन।

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