भारतीय चिंतन परंपरा के प्रतिनिधि युवा हैं विवेकानंद : डॉ. ज्ञानेंद्र

भारतीय चिंतन परंपरा के प्रतिनिधि युवा हैं विवेकानंद : डॉ. ज्ञानेंद्र

अमृत विचार, सुलतानपुर। स्वामी विवेकानंद भारतीय चिंतन परंपरा के प्रतिनिधि युवा हैं। उनके व्यक्तित्व, कृतित्व और विचारों का अनुसरण करके हम भारत को विकसित राष्ट्र और विश्वगुरु बना सकते हैं। भारत के युवा को आगे बढ़ने के लिए आधुनिकता और आध्यात्मिकता से एक साथ जुड़ना होगा।  यह बातें राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय के असिस्टेंट प्रो. ज्ञानेंद्र विक्रम सिंह रवि ने कहीं।

वह कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रशिक्षण कक्ष में नेहरू युवा केन्द्र द्वारा चलाए जा रहे राष्ट्रीय युवा सप्ताह के समापन तथा तीन दिवसीय युवा नेतृत्व एवं सामुदायिक विकास प्रशिक्षण के उद्घाटन समारोह को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे। समारोह की अध्यक्षता करते हुए कृषि विज्ञान केन्द्र के निदेशक डॉ. जेबी सिंह ने कहा कि विवेकानंद के संस्कार और ज्ञान को अपना कर हम अपने व्यक्तित्व का विकास कर सकते हैं। कृषि वैज्ञानिक डॉ. एके सिंह ने कहा कि भारत इस समय सबसे ज्यादा युवा आबादी वाला देश है। इसलिए देश में अब कुछ भी असंभव नहीं है।

राष्ट्रीय युवा पुरस्कार से सम्मानित सत्यनाथ पाठक ने कहा कि देश के हर युवा की पहचान में भारतीयता दिखनी चाहिए। योगाचार्य सुनील दत्त तिवारी ने प्रशिक्षार्थियों को कौशल विकास के बारे में जानकारी दी। एनवाईके के कार्यक्रम एवं लेखा पर्यवेक्षक दिनेश मणि ओझा ने बताया कि राष्ट्रीय युवा सप्ताह के अंतर्गत नेहरू युवा केन्द्र द्वारा जिले भर में संगोष्ठी, श्रमदान, प्रभात फेरी, हस्तनिर्मित वस्तु प्रदर्शनी के साथ साथ लोक नृत्य, राष्ट्रीय गीत व निबंध प्रतियोगिताएं आदि आयोजित की गईं ।

इस अवसर पर सत्यनाथ पाठक को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया। समारोह में विवेकानंद का साहित्य युवाओं को वितरित किया गया। यहां वरिष्ठ स्वयंसेवक विजय तिवारी, राज्य प्रशिक्षक बेचेलाल , राष्ट्रीय युवा स्वयंसेवक अंजलि दूबे, अंजलि पांडेय, अंकित मिश्र, मुकेश आदि उपस्थित रहे।

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