बरेली: धरती पर आए तो एक साथी भी साथ लाए, 70 से ज्यादा ऐसे प्रसव...जुड़वां बच्चों ने लिया जन्म
अंकित चौहान, बरेली, अमृत विचार। बरेली में जुड़वां बच्चों के जन्म लेने की संख्या बढ़ रही है। अकेले जिला महिला अस्पताल में ही साल भर के दौरान 70 से ज्यादा ऐसे प्रसव हुए हैं जिनमें जुड़वां बच्चों ने जन्म लिया है। यहीं नहीं, पिछले छह महीनों से जुड़वां बच्चों के जन्म लेने का ग्राफ काफी बढ़ा है। खुद महिला अस्पताल के स्टाफ के लिए यह सिलसिला किसी सुखद आश्चर्य से कम नहीं है।
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आंकड़ों के मुताबिक जिला महिला अस्पताल में हर महीने एक-दो ऐसे प्रसव होते हैं जिनमें जुड़वां बच्चे जन्म लेते हैं। किसी-किसी महीने में यह संख्या और ज्यादा होती है। अगस्त 2022 महिला अस्पताल के स्टाफ को सर्वाधिक चकित करने वाला महीना रहा जिसमें 11 महिलाओं ने प्रसव के बाद एक साथ दो बच्चों को जन्म दिया। इसके साथ पिछले छह महीनों में किसी भी महीने में जुड़वां बच्चों के जन्म लेने का सिलसिला महिला अस्पताल में टूटा नहीं है। इसके अलावा निजी अस्पतालों में जुड़वां बच्चों के जन्म लेने के मामले बढ़े हैं।
इसलिए होता है जुड़वां बच्चों का जन्म
डॉक्टर के मुताबिक जब स्पर्म भ्रूण बनाने के लिए गर्भाशय में निषेचित अंडे तक पहुंचता है तो गर्भधारण होता है। अगर निषेचन के समय गर्भाशय में दो अंडे मौजूद हों या निषेचित अंडा दो भ्रूण में बंट जाए तो महिला के गर्भाशय में एक साथ दो भ्रूण पलने लगते हैं और जुड़वां बच्चों का जन्म होता है। गर्भाशय में होने वाली यह क्रिया कुदरती ही होती है।
अजूबा है केरल का कोडिन्ही गांव
जुड़वां बच्चों के जन्म लेने के देश में सबसे ज्यादा केस होने के कारण केरल के मलप्पुरम जिले के गांव कोडिन्ही को इस मामले में अजूबा माना जाता है। जहां दुनिया में प्रति एक हजार प्रसव में से नौ प्रसव में जुड़वां बच्चों के जन्म लेने का औसत है, वहीं इस गांव में एक हजार में से 45 प्रसव के दौरान जुड़वां बच्चे जन्म लेते हैं जो वैश्विक औसत से पांच गुना ज्यादा हैं। वैसे दुुनिया भर में 80 फीसदी जुड़वां बच्चों की संख्या एशिया और अफ्रीका में ही है। दुनिया के बाकी हिस्से में यह संख्या नाममात्र की ही है।
महिला अस्पताल में छह महीने में जन्मे जुड़वां बच्चे
महीना संख्या
जुलाई - 8
अगस्त - 11
सितंबर - 9
अक्टूबर - 5
नवंबर - 6
दिसंबर - 3
जिला महिला अस्पताल में संस्थागत प्रसव बढ़ाने के लिए पहल की गई है। हर महीने गंभीर हालत में भर्ती हुई महिलाओं के भी सुरक्षित प्रसव कराए गए हैं। इनमें अधिकांश केस निजी अस्पतालों से रेफर किए गए थे। महिला अस्पताल में निजी अस्पतालों से भी बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हैं। जुड़वां बच्चों के जन्म लेने के भी पिछले महीनों में कई केस हुए हैं---
डॉ. अलका शर्मा, सीएमएस, जिला महिला अस्पताल।
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