क्या है हिंडनबर्ग रिसर्च...जिसने अडाणी समूह पर लगाया खुल्लम खुल्ला धोखाधड़ी का आरोप?

क्या है हिंडनबर्ग रिसर्च...जिसने अडाणी समूह पर लगाया खुल्लम खुल्ला धोखाधड़ी का आरोप?

मुंबई। अडाणी समूह की कंपनियों पर स्टॉक मार्केट में बेहिसाब हेरफेर और धोखाधड़ी के आरोप लगाने वाली अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च फॉरेंसिक फाइनेंशियल रिसर्च का काम करती है। इसकी स्थापना यूनिवर्सिटी ऑफ कनेटिकट से इंटरनैशनल बिज़नेस मैनेजमेंट की पढ़ाई करने वाले नेथन ऐंडरसन ने की थी। यह अलग-अलग संगठनों/कंपनियों द्वारा गैरकानूनी वित्तीय गतिविधियों और वित्तीय हेरफेर पर नजर रखती है।

हिंडनबर्ग ने अडाणी पर खुल्लम खुल्ला धोखाधड़ी का आरोप लगाया
वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया है कि अडाणी समूह खुल्लम-खुल्ला शेयरों में गड़बड़ी और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है। हालांकि, समूह ने इस आरोप को पूरी तरह से बेबुनियाद बताया। उसने कहा कि यह कुछ और नहीं बल्कि उसकी शेयर बिक्री को नुकसान पहुंचाने के गलत इरादे से किया गया है। अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग के अनुसार उसके दो साल के शोध के बाद यह पता चला कि 17,800 अरब रुपये (218 अरब डॉलर) मूल्य वाला अडाणी समूह दशकों से खुल्लम-खुल्ला शेयरों में गड़बड़ी और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है। यह रिपोर्ट अडाणी समूह की प्रमुख कंपनी अडाणी एंटरप्राइजेज के 20,000 करोड़ रुपये के अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ) के आवेदन के लिये खुलने से ठीक पहले आयी है। 

कंपनी का एफपीओ 27 जनवरी को खुलकर 31 जनवरी को बंद होगा। अडाणी समूह ने कहा कि रिपोर्ट को लेकर तथ्यों की पुष्टि के लिये उससे कोई संपर्क नहीं किया गया और यह अचंभित और परेशान करने वाला है। बंदरगाह से लेकर ऊर्जा क्षेत्र में काम कर रहे समूह ने कहा, ‘‘रिपोर्ट कुछ और नहीं बल्कि चुनिंदा गलत और निराधार सूचनाओं को लेकर तैयार की गयी है और जिसका मकसद पूरी तरीके से दुर्भावनापूर्ण है। जिन बातों के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गयी है, उसे भारत की अदालतें भी खारिज कर चुकी हैं।

समूह ने रिपोर्ट के समय को लेकर भी सवाल उठाया है। उसने कहा कि एफपीओ से ठीक पहले जारी रिपोर्ट से साफ पता चलता है कि दुर्भावनापूर्ण इरादे से इसे लाया गया है जिसका मकसद अडाणी समूह के साख को बट्टा लगाना है। रिपोर्ट के बाद अडाणी समूह के शेयर लुढ़क गये। हालांकि, बाद में यह नुकसान से उबरने में कामयाब रहा। अडाणी एंटरप्राइजेज 2.5 प्रतिशत नीचे आ गया था लेकिन समूह के बयान के बाद लगभग दो बजे 1.5 प्रतिशत नीचे था। अडाणी पोर्ट एंड सेज लि. भी एक समय 6.23 प्रतिशत नीचे चला गया था। बाद में इसमें कुछ सुधार आया। 

अमेरिकी कंपनी की रिपोर्ट के मुताबिक, अडाणी समूह के संस्थापक और चेयरमैन गौतम अडाणी का नेटवर्थ 120 अरब डॉलर है। इसमें से 100 अरब डॉलर से ज्यादा का इजाफा पिछले तीन साल में हुआ। इसका कारण समूह की सूचीबद्ध सात कंपनियों के शेयरों में तेजी है। इनमें इस दौरान औसतन 819 प्रतिशत की तेजी हुई है। रिपोर्ट में अडाणी परिवार के नियंत्रण वाली मुखौटा इकाइयों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी है। ये कंपनियां कैरेबियाई और मॉरीशस से लेकर संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) तक में है। इसमें दावा किया गया है कि इन इकाइयों का उपयोग भ्रष्टाचार, मनी लांड्रिंग और कर चोरी को अंजाम देने के लिये किया गया। साथ ही समूह की सूचीबद्ध कंपनियों के धन की हेराफेरी के लिये भी इसका उपयोग किया गया।

हिंडनबर्ग ने कहा, शोध को लेकर अडाणी समूह के पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों सहित कई व्यक्तियों के साथ बातचीत की गयी। हजारों दस्तावेजों की समीक्षा की गयी और करीब छह देशों में जाकर स्थिति का पता लगाया गया। कंपनी ने उन प्रयासों से पर्दा हटाने का दावा किया, जिसमें कुछ मुखौटा इकाइयों को ढंकने के उपाय किये गये थे। रिपोर्ट में कहा गया है, ...समूह की प्रमुख सूचीबद्ध कंपनियों ने काफी कर्ज लिया है। इसमें जब शेयर के दाम ऊंचे थे, तब उसे गिरवी पर रख कर लिया गया कर्ज शामिल है। इसने पूरे समूह की वित्तीय हालत को डांवाडोल स्थिति में डाल दिया है।

उल्लेखनीय है कि अडाणी समूह बार-बार कर्ज को लेकर चिंता को खारिज करता रहा है। समूह के मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) जुगेशिन्दर सिंह ने 21 जनवरी को मीडिया से बातचीत में कहा था, किसी ने भी हमारे कर्ज को लेकर चिंता नहीं जतायी। एक भी निवेशक ने कुछ नहीं कहा है। समूह ने कहा, वित्तीय विशेषज्ञों और प्रमुख राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के विस्तृत विश्लेषण और रिपोर्ट के आधार पर निवेशक समुदाय ने हमेशा अडाणी समूह में भरोसा जताया है। 

उसने कहा, हमारे निवेशक चीजों से वाकिफ हैं और वे निहित स्वार्थ के साथ जारी एकतरफा और निराधार रिपोर्ट से प्रभावित होने वाले नहीं हैं। समूह ने कहा, समूह चाहे जहां भी काम करता है, हमेशा सभी कानूनों का अनुपालन करता रहा है और कंपनी संचालन के उच्च मानकों को बनाये रखा है। उल्लेखनीय है कि फिच समूह की इकाई ‘क्रेडिटसाइट्स’ ने पिछले साल सितंबर में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि समूह भारी कर्ज में डूबा हुआ है। हालांकि, बाद में उसने आलकन की गलती मानी। साथ में यह भी कहा कि वह अडाणी समूह के ऊपर कर्ज को लेकर चिंतित है। 

हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट दुर्भावनापूर्ण : अडानी समूह 
अडानी समूह के सीएफओ जुगेशिंदर सिंह ने हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट पर आज हैरानी व्यक्त करते हुए इसे दुर्भावनापूर्ण करार दिया। अमेरिका के विख्यात शॉर्ट सेलर, हिंडनबर्ग ने भारत के अडानी ग्रुप पर जारी एक रिपोर्ट में ऑफशोर टैक्स हेवन में स्थापित संस्थाओं का व्यापक रूप से अनुचित उपयोग का आरोप लगाया। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि अडानी की सात सूचीबद्ध कंपनियों में मौलिक आधार पर 85 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है, जिसे स्काई-हाई वैल्यूएशन कहा जाता है। 

कुछ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और समाचारपत्रों में आज इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने के बाद अडानी समूह के शेयर में तेजी से गिरावट दर्ज की गई। रिपोर्ट का खंडन करते हुए, श्री जुगशिंदर सिंह ने एक बयान में कहा, हम हैरान हैं कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने हमसे संपर्क किए बिना या तथ्यात्मक मैट्रिक्स को सत्यापित करने की कोई कोशिश किए बिना 24 जनवरी, 2023 को एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। उन्होंने कहा, यह रिपोर्ट चुनिंदा गलत सूचनाओं और नीरस, निराधार और बदनाम करने वाले आरोपों का दुर्भावनापूर्ण मिश्रण है, जिन्हें भारत की सर्वोच्च अदालतों द्वारा खारिज किया जा चुका है।

उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के प्रकाशन का समय स्पष्ट रूप से अडानी समूह की प्रतिष्ठा को कमजोर करने वाले एक निर्लज्ज और दुर्भावनापूर्ण सोच को दर्शाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य अडानी एंटरप्राइजेज के आगामी फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफरिंग को नुकसान पहुंचाना है, जो भारत में अब तक का सबसे बड़ा एफपीओ है। उन्होंने कहा कि हमारे अवगत और जानकार निवेशक निहित स्वार्थों वाली एकतरफा, प्रेरित और अप्रमाणित रिपोर्टों से प्रभावित नहीं होते हैं। अडानी समूह, जो अवसंरचना और रोजगार सृजन में भारत की अग्रणी कंपनी है, उच्चतम पेशेवर क्षमता के सीईओ द्वारा प्रबंधित अग्रणी व्यवसायों का एक विविध पोर्टफोलियो है और इसकी देखरेख कई दशकों से विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों द्वारा की जाती है। श्री जुगशिंदर सिंह ने कहा कि यह समूह हमेशा अधिकार क्षेत्र की परवाह किए बिना सभी कानूनों का पालन करता है और कॉर्पोरेट प्रशासन के उच्चतम मानकों को बनाए रखता है। 

धोखाधड़ी की रिपोर्ट आने के बाद अडाणी समूह की कंपनियों के शेयर धड़ाम
अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में बुधवार को जोरदार गिरावट आई। अमेरिका की निवेश जांच कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि अडाणी समूह दशकों से ‘खुल्लम-खुल्ला शेयरों में गड़बड़ी और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है। यह रिपोर्ट आने के बाद समूह के कंपनी के शेयर नीचे आ गए। बीएसई पर अडाणी ट्रांसमिशन का शेयर 8.87 प्रतिशत की गिरावट के साथ 2,511.75 रुपये पर बंद हुआ। इसके अलावा, अडाणी पोर्ट और एसईजेड का शेयर 6.30 प्रतिशत की गिरावट के साथ 712.90 रुपये पर आ गया। 

अडाणी टोटल गैस का शेयर 5.59 प्रतिशत की गिरावट के साथ 3,668.15 रुपये प्रति शेयर के भाव पर बंद हुआ, जबकि पांच-पांच प्रतिशत की गिरावट के साथ अडाणी विल्मर 544.50 रुपये और अडाणी पावर 261.10 रुपये पर बंद हुआ। अडाणी ग्रीन एनर्जी के शेयर 3.04 प्रतिशत गिर गए और समूह की प्रमुख कंपनी अडाणी एंटरप्राइजेज के शेयर में 1.54 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। अडाणी द्वारा हाल ही में अधिग्रहण की गई अंबुजा सीमेंट्स और एसीसी के शेयर में भी बीएसई में लगभग सात प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, जबकि उसकी मीडिया फर्म न्यू दिल्ली टेलीविजन (एनडीटीवी) के शेयर मे पांच प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। तीस शेयर वाला बीएसई सेंसेक्स बुधवार को 773.69 अंक की गिरावट के साथ 60,205.06 अंक पर बंद हुआ। 

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अडाणी परिवार के नियंत्रण वाली ‘मुखौटा इकाइयों’ के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। ये कंपनियां कैरेबियाई और मॉरीशस से लेकर संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) तक में है। इसमें दावा किया गया है कि इन इकाइयों का उपयोग भ्रष्टाचार, मनी लांड्रिंग और कर चोरी को अंजाम देने के लिये किया गया। साथ ही समूह की सूचीबद्ध कंपनियों के धन की हेराफेरी के लिये भी इसका उपयोग किया गया। यह रिपोर्ट अडाणी समूह की प्रमुख कंपनी अडाणी एंटरप्राइजेज के 20,000 करोड़ रुपये के अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ) के आवेदन के लिये खुलने से ठीक पहले आई है। कंपनी का एफपीओ 27 जनवरी को खुलकर 31 जनवरी को बंद होगा। 

अडाणी समूह ने कहा है कि रिपोर्ट को लेकर तथ्यों की पुष्टि के लिये उससे कोई संपर्क नहीं किया गया और यह अचंभित और परेशान करने वाला है। बंदरगाह से लेकर ऊर्जा क्षेत्र में काम कर रहे समूह ने कहा, रिपोर्ट कुछ और नहीं बल्कि चुनिंदा गलत और निराधार सूचनाओं को लेकर तैयार की गयी है और जिसका मकसद पूरी तरीके से दुर्भावनापूर्ण है। जिन बातों के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गयी है, उसे भारत की अदालतें भी खारिज कर चुकी हैं। समूह ने रिपोर्ट के समय को लेकर भी सवाल उठाया है। उसने कहा कि एफपीओ से ठीक पहले जारी रिपोर्ट से साफ पता चलता है कि दुर्भावनापूर्ण इरादे से इसे लाया गया है जिसका मकसद अडाणी समूह के साख को बट्टा लगाना है।

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