चावल पसंद करने वाले हाथी का केरल के गांव में कहर, किया राशन की दुकान को तबाह 

चावल पसंद करने वाले हाथी का केरल के गांव में कहर, किया राशन की दुकान को तबाह 

इडुक्की। केरल के इडुक्की जिले में चावल-प्रेमी एक जंगली हाथी के कहर बरपाने का मामला सामने आया है। इस हाथी ने शुक्रवार तड़के अपने पसंदीदा भोजन चावल की तलाश में जिले के एक ‘एस्टेट’ स्थित राशन की दुकान को तबाह कर दिया। यह शिकायत ग्रामीणों ने यहां की है। उपद्रवी हाथी की चावल (अरि) खाने के प्रति उसकी दीवानगी के कारण स्थानीय लोग इसे ‘अरिकोम्बन’ के नाम से संबोधित कर रहे हैं।

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लेकिन यह हाथी इस जिले के संथनपारा इलाके के लोगों के लिए कुछ समय से सिरदर्द बन गया है। स्थानीय भाषा में ‘अरि’ का मतलब चावल और ‘कोम्बन’ का अर्थ हाथी होता है। हालांकि, वन्यजीव अधिकारियों ने कहा कि राशन की दुकान हाथियों के परंपरागत मार्ग पर स्थित है। उन्होंने कहा कि अभी इस बात की पुष्टि की जानी बाकी है कि क्या उसी हाथी ने राशन की दुकान पर धावा बोला था।

दुकान मालिक एंटोनी ने कहा, ‘‘पन्नियर एस्टेट में स्थित राशन की दुकान पर हाथी ने पिछले 10 दिनों में चार बार धावा बोला, लेकिन शुक्रवार की सुबह इसने इस दुकान को पूरी तरह तबाह कर दिया।’’ दुकानदार ने कहा कि हाथी राशन की दुकान के चावल और यहां रखे गये अन्य सामान खाता रहा है। उन्होंने कहा कि इस बार हमले का अनुमान लगाते हुए दुकान की सभी चीजों को दूसरे कक्ष में स्थानांतरित कर दिया था।

एंटोनी ने कहा कि हाथी को जब दुकान में कुछ भी खाने को नहीं मिला तो उसने दुकान को तबाह कर दिया। उन्होंने कहा कि वह हाथी अक्सर छोटी दुकानों पर हमला करके इसके लोहे के तालों को हटाकर चावल को खा जाता है। इसके लिए हाथी अपनी सूंड़ से दुकान को पलट देता है। एंटोनी ने कहा कि चावल के अलावा चीनी और गेहूं भी हाथी का पसंदीदा भोजन है।

उन्होंने कहा कि ‘अरिकोम्बन’ के अलावा दो अन्य हाथी भी इस क्षेत्र की दुकानों पर हमले करते रहे हैं, जिन्हें स्थानीय लोग ‘चक्काकोम्बन’ और ‘मुरलीवालन’ कहते हैं। दुकानों पर हाथी हमला क्यों करते हैं? इसके जवाब में पुनयावेल नामक ग्रामीण ने कहा कि इन जानवरों ने किसी तरह चावल का स्वाद चख लिया है और वे इसकी तलाश में अक्सर आते हैं।

पुनयावेल की राशन की दुकान चोक्कानाड एस्टेट में स्थित है, जिस पर हाल ही में एक अन्य हाथी ने हमला किया था। उन्होंने कहा कि इस समस्या का समाधान केवल यही है कि इन हाथियों को ‘पालक्कड़ हाथी-7’ की तरह पकड़ा जाए, जो दो सालों से पलक्कड़ जिले में कहर बरपा रहा था। पालक्कड़ हाथी-7 को गत रविवार को पकड़ा गया था।

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